Featuredकटाक्ष

Mother’ .. ‘father’ : थानेदारों में नंबर बढ़ाने की होड़..सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो..उधार के इंजीनियर की बाजीगरी,समाधान की तीसरी पारी और अफसरों की परेशानी…

थानेदारों में नंबर बढ़ाने की होड़..

शहर के थानेदारों में इन दिनों पुलिसिंग का काम को छोड़ नम्बर बढ़ाने की होड़ लगी है। सही भी है साहब को खुश करना है और अपने थानेदारी बचना है तो अर्जी और फर्जी तो लगाना ही पड़ेगा। सो थानेदार भी बड़े साहब के स्पेशल अभियान में ज्यादा केस दर्ज कर पीठ थपथपा रहे हैं।
अब शहर के एक तेजतर्रार थाना प्रभारी को ही ले लीजिए! साहब शराब तो पकड़ रहे है लेकिन कबाड़ कारोबारी से नजराना वसूल रहे है। वैसे तो काम करने वाले भी जिले में कई जांबाज सिपाही है जो “नेकी कर और दरिया में डाल”की बात को आत्मसात करते हुए अपने काम को शिद्दत से करते हैं, लेकिन कुछ अफसर ऐसे भी हैं जो महज सोशल मीडिया के सहारे थानेदारी कर रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि जिले में थानेदार ऐसे भी है जो खाली डिब्बा के साथ शराब विक्रेताओं की फ़ोटो क्लिक कराकर स्मार्ट पुलिसिंग का खिताब जीत चुके हैं। खैर ये ऐसे थानेदार है जो विलक्षण प्रतिभा के धनी है यानी पानी में भी चलना आता है। जो उच्च अफसरों को गुमराह कर अपना अपना सीआर बढ़ा रहे है। ऐसे अफसरों की वजह से काम करने वाले जाबांजों का कांफिडेंस लेवल डाउन हो रहा है। वैसे जिले में चल रहे थानेदारी पर जनमानस तंज कसते है कह रहे थानेदार पुलिसिंग छोड़ मैनेजर का काम करने वाले थानेदार बड़े रुआब से थाना चला रहे है क्योंकि उन्हें पता है कब कैसे किसको मैनेज करना है। जिले के स्मार्ट पुलिसिंग को देख यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा की थानेदार थानेदारी कम दुकानदारी ज्यादा चला रहे है।

सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो..

80 के दशक में आई फ़िल्म “रास्ते प्यार के” का गीत “सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो, तुम याद बहुत आते हो “ विद्युत वितरण विभाग के अधिकारियों पर सटीक बैठता है। क्योंकि, पॉवर हब के नाम से मशहूर ऊर्जाधानी बत्ती गुल के नाम से सुर्खियां बटोर रही है। वितरण विभाग के होनहार टेक्निकल टीम इतने अनुभवी है कि हल्की आंधी में बत्ती गुल होने पर भूल जाते है कि फाल्ट कहां है…?
 कहीं खंभा गिरा हुआ है और वायर टूटा तो उसकी जवाबदारी तो बिजली विभाग की है ही नही। अब देखिए न शनिवार की दोपहर हवा चली और बिजली शहर के अधिकांश हिस्सो में पूरी रात बंद रही। वो तो कृपा है ऊपर वाले की कि मौसम सुहाना था और स्लम एरिया के लोगों की रात बिना बिजली कट गई। जनमानस में चर्चा चल पड़ी है कि भीषण गर्मी के दिन में भी उपभोक्ताओं को पॉवर कट सता रहा है और रात कैसे कटती है ये तो यह सारा शहर जानता है।
ये अलग बात है कि बिजली विभाग के अधिकारी एससी दफ्तर में बैठकर लोगों की मुसीबत पर मुस्कुरा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है लाइन मेन्टेन्स के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं को रुलाया जा रहा है। विद्युत तार से निर्बाध करंट प्रवाह हो इसके लिए गर्मी शुरू होने के पहले लाइन के रखरखाव पर बिजली बंद, फिर बरसात शुरू होने के पहले लाइन मेन्टेन्स और तो और बिजली की खपत बढ़ने पर भी मरम्मत ..विभाग का पुराना खेल है..!!
और तो और अगर 24 घंटे में 22 घण्टे बिजली आपूर्ति हो रही बाकी दो घंटे किसी न किसी बहाने से बिजली गुल की जा रही है।अब बात अगर बिजली बिल की करें तो बिल के फंडे में बड़ा गोल है। पहले 100 वॉट का बल्ब जलता था और अब 15 वॉट की एलईडी लेकिन फिर भी बिजली बिल पहले से 4 गुना। मतलब बिना बिजली के लोगों को करंट लगा रहे हैं। बिल थमा रहे है जोड़ जोड़ के और बिजली सप्लाई कर रहे है छोड़ छोड़ के!

उधार के इंजीनियर की बाजीगरी

हार के जीतने वाले को बाजीगर तो कहते हैं , पर यहां उधार के इंजीनियर को भी बाजीगरी कह रहे है… मामला हाउसिंग बोर्ड  के तेज तर्रार और कम दिन में ज्यादा कमाने की चाह रखने वाले उप-अभियंता की है, जो नियम विरूद्ध ट्राइबल में अटैच होकर बड़े ठाठ से निर्माण कार्यों की वाट लगा रहे हैं।
हालिया मामला 6 करोड़ के बिल्डिंग का है। जिसमें नियमों को ताक में रखकर विभागीय इंजीनियर को काम देने के बजाय हाउसिंग बोर्ड के इंजिनियर को सौंप दिया गया है। सूत्रधार की माने तो हाउसिंग बोर्ड का वाट लगाने वाले साहेब को इसलिए निर्माण कार्य की जवाबदारी दी गई जिससे वे अपने चहते  ठेकेदार को उपकृत कर सके।
मार्केट में उड़ रही खबर की माने तो विभाग के निर्माण शाखा और जिला प्रशासन में फायदे के लिए चल रहे कार्य में उधार के इंजिनियर की बाजीगरी फिर से चमकने लगी है। कहा तो यह भी जा रहा है अपने काम को छोड़ ट्राइबल में अटैच साहेब उच्च अफसरों को खास बताकर ठेकेदारों से 5 प्रतिशत तक नजराना वसूल रहे हैं। निर्माण कार्यों में चल रही उनकी धाक को देखते हुए विभाग  के गलियारों में हार के जीतने वाले को बाजीगर और उधार के इंजिनियर को भी बाजीगरी कहा जा रहा है। विभाग के चाणक्यों तो कहने लगे है क्या करें भाई विभाग का इंजिनियर खाली बैठा है और उधार वाले भौकाल दिखा रहे है।  हाउसिंग बोर्ड के बाजीगर के कार्यों का आंकलन करते हुए ठेकेदार मंद मुस्कान में मुस्कुराते हुए रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना..कौवा मोती खायेगा सुना रहे है।

 

समाधान की तीसरी पारी और अफसरों की परेशानी

विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन तिहार के तीसरे चरण की शुरुआत आज से हो रही है। संवाद से समाधान वाले तीसरे चरण में अफसर जनता को ये बताएंगे कि उनकी समस्या कहां उलझी थी और अब कहां तक सुलझी है। संवाद से समाधान वाला ये अभियान 31 मई तक चलेगा। करीब 25 दिन चलने वाले इस अभियान में अफसरों को जनता की परेशानियों का समाधान ढ़ूंढना होगा। मुख्यमंत्री और उनके मंत्री उड़न खटोले में खुद शिविर तक पहुंचेंगे। यानि जनता की समस्या तो सुलझनी हैं मगर अफसरों की …।
वैसे भी पहले चरण और दूसरे चरण में कई जिलों के कलेक्टर बदल गए..अब 25 दिन चलने वाले इस अभियान का क्या होगा इसे लेकर मंत्रालय में चर्चा हो रही है। असल में सीएम सचिवालय ने कलेक्टर्स की निगरानी के लिए सीनियर अफसरों की टीम को काम पर लगा दिया है।
अटल मॉनिटरिंग पोर्टल पर डेटा फीड है, बस एक ​क्लिक और पूरी कुंडली तैयार। यानि इन 25 दिन में कमजोर परफार्मेंस वाले जिलों के कलेक्टर की एक और तबादला सूची जारी हो सकती है और बाकी अफसरों की परीक्षा होनी है। इस बार सरकार पूरा होमवर्क लेकर आ रही है यानि बहाने बाजी की कोई गुंजाइश नहीं है..तो जना​ब समाधान के लिए तैयार रहे।

महतारी’ .. ‘बाप’

छत्तीसगढ़ में ‘महतारी’ और ‘बाप’ ये दोनों शब्द आदर, श्रद्धा, ममता और स्वभिमान से भरे हुए हैं। इन पवित्र शब्दों का इस्तेमाल राजनीतिक बयानबाजी के लिए तो कतई नहीं किया जाना चाहिए, मगर यहां सब कुछ हो रहा है। वो भी उस पार्टी की ओर से जो लड़की हूं लड़ सकती हूं..कैंपेन चला चुकी हो, उससे ऐसी आशा तो बिल्कुल नहीं थी। इस वक्त सोशल मीडिया में कांग्रेस और बीजेपी में पोस्टर वार चल रहा है..साथ में लोगों का गुस्सा भी।….कांग्रेस कह रही है..छत्तीसगढ़ महतारी की आड़ में बाप का कर्ज उतारने लगे आखिर भाजपा का मकसद क्या है !!
नक्सल की आड़ में बस्तर साफ
आदिवासियों का अबूझमाड़ साफ अडानी-आर्सेलर का कर्जा माफ….और बीजेपी की ओर से कहा गया है..कांग्रेस द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी के आगे किसी को ‘बाप’ की उपमा देना घोर आपत्तिजनक है। स्वयं भगवान राम भी छत्तीसगढ़ महतारी के संतत है और ये गंदी सोच के लोग छत्तीसगढ़ महतारी के लिए ऐसी ओछी बात करते हैं।
जाहिर है नक्सलियों के खात्मे की पीड़ा कांग्रेस को जमकर हो रही है, नक्सलियों के जरिये उगाही करने वाली कांग्रेस का ये दुख यदा-कदा उनके टाइम लाइन में दिख ही जाता है।
और सभी जानते हैं अडानी ग्रुप को सबसे बड़ा काम छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ही दिया था।……यहां सवाल इस बात का नहीं है कि किसने क्या कहा..सवाल ये हैं कि क्या राजनीति इतनी गैर जिम्मेदार हो गई कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए ‘महतारी’ .. ‘बाप’ जैसे शब्दों का सहारा लेना पड़े। पक्ष हो या विपक्ष राजनीतिक बयानबाजी में कुछ तो सुचिता होनी चाहिए..दलों को भी चाहिए कि अपने सोशल मीडिया चलाने वाले कथित हैंडलर्स को ये समझाए कि नेताओं के झगड़े निपटाने के लिए ‘महतारी’ .. ‘बाप’ जैसे शब्दों को बीच में न लाएं..जैसा अभी हो रहा है वैसा आगे न हो।

 ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button