कटाक्ष
Mardan of the dignity of Bhancha Ram :खाकी का रौब कभी,सारा दिन सताते हो..दो साल बेमिसाल,रेत का “राज” और 35 की बात…
खाकी का रौब कभी कम नहीं होना चाहिए…
कहते हैं “जीने का स्ट्रेंथ, अकाउंट का बैलेंस और नाम का खौफ कभी कम नहीं होना चाहिए।” ठीक इसी तरह खाकी का रौब भी कम नहीं होना चाहिए। जिस पल गुंडे बदमाश खाकी पर हावी हुए तो कीचड़ उछालने में तनिक देरी नहीं लगाएंगे। जिले में जब से कप्तान उदय की पोस्टिंग हुई है तब से अवैध कारोबार में लिप्त लोगों का अस्त होना शुरू हो गया है।
अवैध कारोबारियों में खौफ भी हैं और डिपार्टमेंट के अधिकारियों में रौब भी..! वैसे तो खाकी का अपराधियों पर खौफ से ही पब्लिक में पुलिस का विश्वास बढ़ता है। सो इन दिनों खाकी का रौब कोरबा में दिखने लगा है जो अब तक बेखौफ होकर अवैध कार्य मे लिप्त थे उन्हें मौका मिलते ही कार्रवाई कर कप्तान ने संदेश देते हुए कहा है. हमारा न किसी से ईर्ष्या और न ही किसी से होड़ है, हमारी अपनी मंजिल हमारी अपनी दौड़ है !
कहा तो यह भी जा रहा है जिस अंदाज में जिले में हो रहे मर्डर मिस्ट्री क्राइम को डिडेक्ट किया जा रहा है उससे बेसिक पुलिसिंग मजबूत हो रही है। शहर की शांत फिजा को अशांत करने वाले और गुंडा टैक्स वसूलने वालों पर एक के बाद एक कार्यवाही की जा रही है।
पुलिस की कार्यवाही से डॉन बनने का सपना संजोने वाले अपराधियों में पुलिस का खौफ झलक रहा है। हाल ही हुई एक चर्चित मारपीट के मामले में कप्तान ने क्विक एक्शन लेकर बता दिया कि गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शान्त रहकर अवैध कारोबारियों को कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे का पाठ दुहराया है।
सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो..
80 के दशक में आई फ़िल्म “रास्ते प्यार के” का गीत “सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो, तुम याद बहुत आते हो “ विद्युत वितरण विभाग के अधिकारियों पर सटीक बैठता है। क्योंकि, पॉवर हब के नाम से मशहूर ऊर्जाधानी बत्ती गुल के नाम से सुर्खियां बटोर रही है। बिना किसी सूचना के बत्ती गोल कर करंट के झटके आम लोगों को दिया जा रहा है। भीषण गर्मी में दिन में भी उपभोक्ताओं को पॉवर कट सता रहा है और रात कैसे कटती है ये तो यह सारा शहर जानता है।
ये अलग बात है कि बिजली विभाग के अधिकारी एससी दफ्तर में बैठकर लोगों की मुसीबत पर मुस्कुरा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है लाइन मेन्टेन्स के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं को रुलाया जा रहा है। विद्युत तार से निर्बाध करंट प्रवाह हो इसके लिए गर्मी शुरू होने के पहले लाइन के रखरखाव पर बिजली बंद, फिर बरसात शुरू होने के पहले लाइन मेन्टेन्स और तो और बिजली की खपत बढ़ने पर भी मरम्मत ..विभाग का पुराना खेल है!
और तो और अगर 24 घंटे में 22 घण्टे बिजली आपूर्ति हो रही बाकी दो घंटे किसी न किसी बहाने से बिजली गुल की जा रही है।अब बात अगर बिजली बिल की करें तो बिल के फंडे में बड़ा गोल है। पहले 100 वॉट का बल्ब जलता था और अब 15 वॉट की एलईडी लेकिन फिर भी बिजली बिल पहले से 4 गुना। मतलब बिना बिजली के लोगों को करंट लगा रहे हैं। बिल थमा रहे है जोड़ जोड़ के और बिजली सप्लाई कर रहे है छोड़ छोड़ के!