कटाक्ष

Meaning of Sai’s coronation : नेता कम लेता ज्यादा,सरकार और दास बने खास..धंधा और राजस्व का फंदा,डीएमएफ में सेटिंग और कागज में ट्रेनिंग

नेता कम लेता ज्यादा…

कहते जो लेता है वही तो नेता … लेकिन, नेता जब लेने में ज्यादा विश्वास रखता हो तो नेता नेता नहीं रह जाता..! हम बात औद्योगिक नगरी के श्रमिक नेता की कर रहे हैं। जिन पर एक के बाद तीन अपराध दर्ज हुए है। ये नेता जी श्रमिकों के सम्मान की लड़ाई लड़ते लड़ते कब कमाई कर गए समझ नहीं आया…! श्रमिकों के श्रम से नेता जी इतना फलेफूले हैं कि उनकी कई पीढ़िया तर जाएंगी।
कहते हैं जब फ्री का माल मिले तो होली खेलने से गुरेज कैसा..! ठीक इसी तरह नेता जी श्रमिकों के श्रम को बेचकर जमकर होली खेले हैं।

खबरीलाल की माने तो नेता जी महंगी कारों के शौकींन भी हैं। वे फार्च्यूनर, ऑडी औऱ पोर्श जैसे महंगी गाड़ियों की सवारी करते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है रायपुर के लॉ विस्टा में उनका एक शानदार फ्लैट के साथ-साथ बालोद में एक राइस मिल भी है।

मतलब श्रमवीरों के पसीने की कमाई को भुनाते हुए नेता जी ने खूब माल बटोरा है। हालांकि सब होने के बाद भी अपराध दर्ज होते ही नेता जी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। क्योंकि, मजदूरों की प्रार्थना-सद्भावनाएं कीमती दवा से ज्यादा प्रभावकारी होती है और उनकी आह-हाय से खरीदी दवा भी माटी के मोल हो जाती है।

शकुनि सरकार और दास बने खास

आदिवासियों की उत्थान के लिए बने डिपार्टमेंट में सगुनी की सरकार चल रही है औऱ निकाय के दास उनके खास। जी हां विभाग के शकुनि के नाम से मशहूर ये साहेब बड़े-बड़े खेला खेल रहे हैं। साहब को साध कर वे अपना स्वार्थ सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उनकी मधुर वाणी पर फिदा ठेकेदार चाय पर चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि कहीं का इंजीनियर और कहीं का एसडीओ अस्सिटेंट कमिश्नर ने कुनबा जोड़ा ..!

बिना टेक्निकल सेटअप के लालच में छोटे ” साहेब” के हठ योग में साहब काम लेकर निर्माण एजेंसी तो बन गए हैं। लेकिन, अब उनके के लिए आत्मनन्द गले की फ़ांस बन गया है। खबरीलाल की माने तो निगम के दास अब शकुनि के खास हो गए हैं और आरईएस के सरकार को साधकर डूबती नैय्या को पार लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

अब उन्हें भला कौन बताए कि निगम के इंजीनियरिंग इतनी विराट है कि वे काम कम दाम ज्यादा मांगते हैं। वैसे तो निगम के इंजिनियर को अटैच करने का नियम है ही नहीं लेकिन, निधी के लिए विधि से खेलना अफसरों को अच्छे से आता है। वे डिपार्टमेंट की बिना एनओसी संलग्न कर कर्मचारियों पर कृपादृष्टि भी जता रहे हैं।

ये बात भी सही है कि गलत तरीके से काम करने के बाद डर तो लगता है। क्योंकि, अभी गड़बड़झाले पर ईडी सीडी बनाकर रख रही है और समय आने पर सीडी को पब्लिक के बीच चला भी रही है..! तो संभलकर निगम के नमूने खास जी और आरईएस के अरमान यानि सरकार ..!

थाने के बगल में धंधा और राजस्व का फंदा…

जिले के एक थानेदार की राजस्व टीम ने किरकिरी कर दी है। दरअसल थाने के बगल में चल रहे अवैध धंधे पर राजस्व की टीम ने बिन बुलाए मेहमान बनकर कोयला जब्त कर थानेदार की मुसीबत बढ़ा दी। राजस्व टीम के एक्शन के बाद लोग जंगल के थानेदार पर चुटकी ले रहे हैं यानि ये पब्लिक है साहब जो सब जानती है..!

वैसे लोगों का यह कहना भी वाजिब है क्योंकि कोयला तस्कर बिना थाने के माने काम कैसे कर सकता है? कोयला के धंधे से जुड़े लोगों की माने तो कुर्की में भी कुकर्म हुआ है। यानि कोयला की मात्रा अधिक थी और कुर्की कम की..! तो खेला तो बनता है।

वैसे चर्चा इस बात की भी है कि दबाव में मैडम की टीम ने एक्शन तो लिया लेकिन, सिर्फ कार्रवाई के नाम पर पीठ थपथपाने और बड़े तस्कर को बचाने के लिए! सूत्र बताते हैं कोयले के खेल में हर रोज बड़े मेले लगते हैं और सबको नजराना देकर संतुष्ट किया जाता है। तभी तो थाने के बगल में चल रहा था कोयला लोडिंग अनलोडिंग का काम और साहब को चोरी पकड़ने में हो गए नाकाम, जिसे राजस्व की टीम ने पकड़कर खाकी को आईना दिखा दिया.. और चमका लिए अपने टीम का नाम..!

डीएमएफ में सेटिंग और कागज में ट्रेनिंग

मलाईदार जिलों में डीएमएफ फंड की बंदरबांट के मामले में जांजगीर चांपा पुलिस ने कागजों पर प्रशिक्षण चलाने वाले दो एनजीओ के चार संचालाकों को गिरफ्तार किया है, लेकिन उन अफसरों को बरी कर दिया जिनके हा​थों डीएमएफ फंड रिलीज करने के अधिकार हैं। मलाईदार जिलों कोरबा, जांजगीर, रायगढ़ और सरगुजा में डीएमएफ फंड की बंदरबांट वाली खबर कोई पहली बार सामने नहीं आई है।

वैसे तो डीएमएफ फंड की चाबी केंद्र सरकार ने ​कलेक्टरों को दी है पर इनका आवंटन माइनिंग एरिया के विकास की जगह अफसरशाही अपने और जिलों के नेताओं के विकास को ध्यान में रखकर करती आ रही है। कई बार तो नेता अफसरों के बीच इसी बात को लेकर विवाद तक हो चुका है। गैर विकासवाले मद में डीएमएफ फंड की राशि का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।

ताजा मामला जांजगीर चांपा जिले के लाईवलीवुड कॉलेज का है जहां करोड़ों रुपए डकारने वाले दो एनजीओ के संचालकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अभी भी कोरबा और जांजगीर चांपा में कई एनजीओ ऐसे हैं जो केवल कागजों पर चलाए जा रहे हैं।

कुछ एनजीओ में तो अफसरों और नेताओं की पार्टनरशिप की भी खबर है। मगर इन पर हाथ डालने पुलिस के बूते की बात नहीं है। चलो देर से ही सही पुलिस ने कुछ तो हौसला दिखाया और बात प्रशासन है कि वो इन कागजी एनजीओ पर नकेल लगाने में कितनी कामयाब होती है।

साय की ताजपोशी के मायने

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का भगवाचोला उतार कर कांग्रेस में आए दबंग आदिवासी नेता नंदकुमार साय के छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष पद ताजपोशी की तैयारी ने बीजेपी के नेताओं को परेशानी में डाल दिया है। साय के बहाने कांग्रेस आदिवासी समाज को ये संदेश देने में सफल रही कि कांग्रेस आदिवासी समाज को उनका वाजिब हक देना जानती है। वैसे भी सूबे के सीएम और दिगर पार्टी लीडर भगवा दल में आदिवासी समाज की अनदेखी करने का आरोप लगाते रहे हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम में अध्यक्ष पद पर साय की ताजपोशी नंदकुमार साय का प्रमोशन है या कुछ और इसे समझने के लिए कांग्रेस के इस राजनीतिक दांव को समझना होगा। हाल ही में साय ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा है। तब से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हर बड़े कार्यक्रम में साय नजर आ रहे हैं। साय भाजपा में तीन बार के सांसद और तीन बार के विधायक रहे हैं।

ऐसे में कांग्रेस आदिवासी क्षेत्रों में साय का भरपूर उपयोग करेगी। साथ ही साय के कांग्रेस में जाने से कांग्रेस के पास भाजपा पर हमले के लिए एक राजनैतिक कारण भी होगा। हालांकि भाजपा की ओर से भी साय के जवाब में कांग्रेस के कुछ नेताओं को लाने का प्रयास किया जा रहा है। अब देखने वाली बात होगी की आने वाले समय में साय की भगवा दल के लीडरशिप से नाराजगी बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएगी।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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