
नई दिल्ली: महज पांच दिन बीते थे सौम्य और रीमा की शादी को। 26 साल के सौम्य शेखर साहू पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। नई बहू के आने से परिवार में भी खुशी का माहौल था। उस दिन दोपहर के खाने के लिए रीमा, रसोई में बैंगन का भर्ता और दाल बना रही थीं। तारीख थी- 23 फरवरी 2018, वक्त- दोपहर के लगभग साढ़े 12 बजे और जगह- ओडिशा में बलांगीर जिले का पाटनगढ़ कस्बा। तभी कोई बाहर से उनके घर का दरवाजा खटखटाता है। बाहर से कुंडी खटखटाने की आवाज सुनकर सौम्य दरवाजा खोलते हैं, तो सामने कोरियर वाला खड़ा था।
कोरियर बॉय एक पार्सल लेकर आया था। सौम्य को लगता है कि शायद किसी दोस्त ने शादी का तोहफा भेजा है। शादी 18 फरवरी को ही हुई थी और ऐसे बहुत से दोस्त थे, जो उनकी शादी में नहीं पहुंच पाए थे। पार्सल पर सौम्य का ही नाम लिखा था। रायपुर में रहने वाले किसी एसके शर्मा ने यह पार्सल भेजा था। सौम्य पार्सल ले लेते हैं और पत्नी को आवाज लगाते हुए रसोई में पहुंचते हैं। हालांकि, सौम्य यह नहीं समझ पा रहा थे कि यहां से लगभग 230 किलोमीटर दूर रायपुर में एसके शर्मा नाम का उनका कौन सा दोस्त है?
हरे रंग के कागज में लिपटे इस पार्सल से एक सफेद धागा बाहर निकल रहा था। आवाज सुनकर सौम्य की दादी भी ये जानने के लिए रसोई में आ जाती हैं कि आखिर किसने उनकी शादी के लिए यह तोहफा भेजा है। पैकेट खोलने के लिए सौम्य जैसे ही उस सफेद धागे को खींचते हैं, अचानक बहुत तेज धमाका होता है। इतना जबरदस्त धमाका कि रसोई की छत तक उड़ जाती है। सौम्य, रीमा और उनकी दादी लहुलूहान होकर वहीं गिर पड़ते हैं। शोर सुनकर आसपास के लोग पहुंचते हैं और तीनों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया जाता है।
किसने भेजा मौत का वो पार्सल
सौम्य और उनकी दादी बुरी तरह जल चुके थे। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों उन्हें मृत घोषित कर देते हैं। वहीं सौम्य की पत्नी की हालत बेहद गंभीर थीं। मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। सौम्य की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। लोग हैरान थे कि आखिर इस घर में क्या हुआ था? रीमा को होश आता है तो वह पुलिस को पार्सल के बारे में बताती है। अब कई सवाल थे। वह पार्सल किसने भेजा, क्यों भेजा? आखिर वो रायपुर का एसके शर्मा कौन था? पुलिस केस दर्ज करते हुए मामले की तहकीकात शुरू करती है। दोस्तो, रिश्तेदारों सहित 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ होती है।
सौम्य का मोबाइल, लैपटॉप सब खंगाले जाते हैं, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिलता। जिस कोरियर कंपनी से पार्सल भेजा गया था, पुलिस उस एड्रेस पर भी पहुंचती है। लेकिन, ना वहां कोई सीसीटीवी कैमरा था और ना ही पार्सल को स्कैन करने की मशीन। ऐसा लग रहा था कि पार्सल भेजने वाले ने पूरी प्लानिंग के साथ इस कोरियर ऑफिस को चुना था। पार्सल भेजते वक्त नाम और एड्रेस भी फर्जी लिखवाया गया था। कोरियर कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ होती है तो एक चौंकाने वाली बात पता चलती है।
शादी के अगले दिन ही था हत्या का प्लान
कोरियर कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि इस पार्सल को तीन दिन पहले की तारीख के लिए बुक किया गया था। डिलीवरी बॉय इसे देने भी पहुंचा था, लेकिन वहां किसी शादी का रिसेप्शन चल रहा था। इसलिए, वह लौट आया और तीन दिन बाद पार्सल को डिलीवर किया। मतलब साफ था कि ये मौत का पार्सल शादी के ठीक अगले दिन के लिए था। लंबी छानबीन के बावजूद पुलिस को कहीं से कोई सुराग नहीं मिलता। केस पूरी तरह से एक पहेली बनता जा रहा था कि तभी बलांगीर के एसपी के दफ्तर में एक गुमनाम चिट्ठी पहुंचती है।
एसपी के नाम भेजी गई इस चिट्ठी में लिखा था, ‘आपके पास इस पत्र को एक खास दूत के जरिए पहुंचाया गया है। वो बम वाला पार्सल एसके सिन्हा के नाम से भेजा गया था, ना कि एसके शर्मा के नाम से। इस प्रोजेक्ट को तीन लोगों ने पूरा किया और वो तीनों आपकी पहुंच से बहुत दूर हैं। पुलिस उन्हें छू भी नहीं सकती। धमाका इसलिए किया गया कि क्योंकि उन लोगों ने विश्वासघात किया था। हम जानते हैं कि कानून के पास जाने से कुछ नहीं होता, इसलिए ये कदम उठाया गया। अगर उस पूरे परिवार की भी हत्या कर दी जाए, तब भी नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। आपसे निवेदन है कि इस मामले से दूर रहिए और निर्दोष लोगों को परेशान करना बंद कीजिए।’
पुलिस के लिए सुराग बनी गुमनाम चिट्ठी
इस गुमनाम चिट्ठी के मिलने के बाद मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया और यही चिट्ठी उस पार्सल को भेजने वाले तक पहुंचने का अहम सुराग बनी। अगले दिन क्राइम ब्रांच के अफसर सौम्य के माता-पिता के पास पहुंचे और उन्हें वह चिट्ठी दिखाई। सौम्य की मां पास ही के एक कॉलेज में टीचर थीं। उन्होंने उस चिट्ठी को कई बार पढ़ा और चौंकते हुए कहा कि इसमें लिखे गए शब्द और लिखने का तरीका, उनके कॉलेज के एक अंग्रेजी टीचर से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि वह टीचर अक्सर बातचीत में प्रोजेक्ट को पूरा करने जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी करता है।
इस अंग्रेजी टीचर का नाम था पुंजीलाल मेहर। सौम्य की मां बताती हैं कि पिछले साल ही पुंजीलाल को हटाकर उन्हें प्रिंसिपल बनाया गया था और उस वक्त उसने इस बात से चिढ़कर उन्हें काफी परेशान किया था। कई बार लोगों के सामने भी दोनों के बीच बहस हुई। अब पुलिस कड़ियों को जोड़ना शुरू करती है और कुछ दिन बाद पुंजीलाल को पूछताछ के लिए बुलाती है। शुरुआत में वह पुलिस को झूठी कहानियां सुनाकर बरगलाता है, लेकिन जब सख्ती से पूछताछ होती है, तो वह टूट जाता है। मौत का वो पार्सल इसी पुंजीलाल मेहर ने भेजा था।
कैसे बनाया मौत के पार्सल का प्लान?
पुंजीलाल ने 1996 में कॉलेज में एक अंग्रेजी टीचर के तौर पर ज्वॉइन किया था और 2014 में उसे प्रिंसिपल बना दिया गया। जब उसे हटाकर सौम्य की मां को प्रिंसिपल बनाया गया, तो उसने इस बात को अपना अपमान समझा और बदला लेने की ठान ली। पुलिस पूछताछ में पुंजीलाल ने बताया कि उसने अक्टूबर के महीने से पटाखे खरीदना और उनके अंदर से बारूद निकालकर जमा करना शुरू किया था। इस बारूद के जरिए उसने एक बम बनाया और फिर इसे एक कार्डबोर्ड बॉक्स में डालकर गिफ्ट-रैप किया।
पुंजीलाल मेहर सौम्य की मां को प्रिंसिपल बनाए जाने से बहुत नाराज था
पुंजीलाल को पता चला कि फरवरी के महीने में सौम्य की शादी है। अपने अपमान का बदला लेने के लिए पुंजीलाल ने शादी का यही मौका चुना। शादी से करीब एक हफ्ते पहले, कॉलेज में क्लास लेने के बाद वह घर लौटा और अपना मोबाइल वहीं छोड़कर, उस गिफ्ट पैक को लेकर निकल पड़ा। मोबाइल उसने इसलिए घर पर छोड़ा था कि अगर कभी पुलिस उसके ऊपर शक करे, तो बता सके कि उस दिन वह घर से बाहर ही नहीं निकला था। इसके बाद वह रेलवे स्टेशन पहुंचा और स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए बिना टिकट लिए ही रायपुर जाने की ट्रेन में चढ़ गया।
सात साल बाद मिला इंसाफ
रायपुर पहुंचने के बाद उसने एक ऐसा कोरियर ऑफिस तलाशा, जहां ना सीसीटीवी कैमरे थे और ना ही पार्सल को स्कैन करने की मशीन। फर्जी नाम और फर्जी पते के साथ पार्सल को बुक कराकर उसी शाम पुंजीलाल वापस लौट आया। इसके बाद वह सौम्य की शादी में गया और जब तीन दिन बाद बम धमाके में उसकी जान चली गई तो अंतिम संस्कार में भी शामिल हुआ। उसने बताया कि वह पूरे परिवार को खत्म करना चाहता था। पुंजीलाल की प्लानिंग बेहद मजबूत थी और पुलिस उसतक कभी नहीं पहुंच पाती। लेकिन, एसपी को भेजी गई उसकी चिट्ठी ने ही पुलिस को उसका सुराग दे दिया।
मामला कोर्ट में चला और 28 मई 2025, यानी सात साल बाद पुंजीलाल मेहर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने माना कि यह हत्या का एक जघन्य मामला है। फैसले के बाद सौम्य के परिवार ने कहा कि वे लोग दोषी के लिए फांसी की सजा की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन, अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।