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The doer and the destroyer: एसआई के हाथ में थाना,फर्जी रॉयल्टी का है जमाना… पूरी हकीकत..टेंडर मैनेज के लिए बन रहा ग्रीन कॉरिडो,सीएसईबी में भीमसेनी करंट…

एसआई के हाथ में थाना, अपराधियों को पकड़ने चल रहा बहाना…”

जिले के सरहदी थाने में किया गया प्रयोग अब पूरे पुलिस महकमे के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। थाने की बागडोर जब से एसआई के हाथों में सौंपी गई है, तभी से अपराधियों की मौज और आमजन की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।

गाँव-गली में लोग तंज कसते सुने जा रहे हैं “एसआई के हाथ में थाना, अपराधियों को पकड़ने कम हाइट वाले साहब के पास है बहाना…”

असल में, कोल लिफ्टर की हत्या के बाद पाली क्षेत्र में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। हत्या में शामिल एसईसीएल का एजीएम अब तक फरार है और पिछले पाँच महीनों से भाजपा नेता भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। जिले की स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जेल से दीवार फांदकर भागा एक कैदी आज तक पुलिस के हाथ नहीं आया।

हालाँकि, सोशल मीडिया पर पुलिस पर टिप्पणी करने वाले युवक को महज चौबीस घंटे में “वीर सिपाहियों” ने ढूंढ निकाला। इसी वजह से चर्चा यह भी गर्म है कि पुलिस एक वायरल वीडियो पर तो तुरंत कार्रवाई करती है, लेकिन दूसरे मामले को जानबूझकर अनदेखा कर देती है। खाकी के इस दोहरे मापदंड को लोग कहावत में ढालकर कह रहे हैं “माथा देखकर चंदन लगाया जा रहा है।”

कहा तो यह भी जा रहा कि जिस अंदाज में फरार आरोपी बेखौफ है उससे पुलिस की कार्यश पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं। जिला पुलिस की पुलिसिंग को समझते हुए पुलिसिया पंडित ने ताने मारते तान  है एसआई के हाथ में थाना, तो अपराधियों को पकड़ने चलेगा ही बहाना…”!

फर्जी रॉयल्टी का है जमाना… पूरी हकीकत, पूरा फसाना

अमीर धरती को लूटने वाले खनिज माफियाओं और माइनिंग विभाग में चल रही उच्चस्तरीय सेटिंग का कलेक्टर ने भंडाफोड़ कर दिया है। फर्जी रॉयल्टी पर्ची पकड़े जाने के बाद जनमानस में सवाल गूंज रहा है “खनिज संपदा के लुटेरों का है जमाना… यही है पूरी हकीकत और पूरा फसाना।”

दरअसल, सरकार बदलते ही प्रदेश खनिज तस्करों का सुरक्षित ठिकाना बन गया। खदानों से निकल रहे गिट्टी और अन्य खनिजों पर मोटा मुनाफा कमाने वाले माफिया रॉयल्टी क्लियरेंस के लिए फर्जी रॉयल्टी बुक का इस्तेमाल कर रहे थे।

मामला तब सामने आया जब अंबिकापुर खनिज विभाग ने गिट्टी की एक रॉयल्टी पर्ची सत्यापन के लिए सूरजपुर भेजी। सूरजपुर के ईमानदार कलेक्टर ने पर्ची को फर्जी करार देते हुए माइनिंग विभाग को वापस भेज दिया और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद अंबिकापुर खनिज विभाग ने पूरा प्रकरण एसपी कार्यालय भेजा, जहां एसपी ने संपूर्ण दस्तावेज़ लगाकर कार्रवाई के लिए कहा। इस खुलासे के बाद खनिज माफियाओं में हड़कंप मच गया है। खासकर कोरबा जिले के खनिज कारोबारियों के बीच खुसुर-फुसुर शुरू हो गई है “कहीं हमारी फाइलें भी खुल गईं तो क्या होगा?”जनमानस अब यह कहने लगा है “यही है साहब फर्जी रॉयल्टी का जमाना, और खनिज माफियाओं की पूरी हकीकत,पूरा फसाना।”

टेंडर मैनेज के लिए बन रहा ग्रीन कॉरिडोर…

कोरबा नगर निगम में शहर की सरकार बदल गई तो जाहिर है सिस्टम में कुछ ना कुछ जरूर बदला होगा। इसका असर टेंडर मैनेज सिंडिकेट पर भी दिखने लगा है। मगर जुगाड़ जंतर में माहिर निगम के टेंडर मैनेज सिंडिकेट ने इसका तोड़ निकाल लिया है। शतरंज वही है मगर प्यादे बदल गए।

दरअसल शहर में साकेत भवन से पथरीपारा से होते हुए गेरवा घाट की ओर जाने ग्रीन कॉरिडोर की चर्चा है। निगम का टेंडर मैनेज सिंडिकेट टेंडर किसे देना है और किसे निपटाना है के काम में जुटा हुआ है। चहेते ठेकेदारों की लिस्ट तैयार है।

इसमें जो फिट बैठेगा टेंडर उसके नाम ही खुलेगा। पहले निगम में अब तक टेंडर मैनेज का ठेका एक खास टीम के पास था, जो तीन प्रतिशत लेकर सबका काम आसान कर देती थी। लेकिन अब हालात बदले हैं।

नया कॉरिडोर बनते ही पुराना मैनेजमेंट गैंग साइडलाइन पर बैठा आहें भर रहा है। सत्ता तो है, पर मलाई किसी और के हिस्से में जा रही है। टेंडर सिस्टम छूटने के बाद भी बुझ मन से साथ खड़ा होकर मजबूरी में ताली बजा रहे हैं। लेकिन, अब ग्रीन कॉरिडोर के शुरू होते ही निगम के सारे कामों पर सिंडिकेट का राज होगा। देखिए आगे आगे होता है क्या।

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सीएसईबी में भीमसेनी करंट

 

सीएसईबी के वितरण विभाग में जब से भीमसिंह एमडी बने हैं तब घोटालेबाज अफसरों को भीमसेनी करंट का जोरदार झटका लगा है। उनके काले चिट्ठे खुलने लगे हैं। महाभारत में प्रसंग है कि भीम को दस हजार हाथियों का बल था। यही बल इन दिनों पॉवर कंपनी के एमडी भीमसिंह में देखने को मिल रहा है। साहब की टीम सरगुजा से लेकर प्रदेश के सभी जिलों में दौरा कर बिजली विभाग हुए धांधली का पर्दाफाश करने में जुटी है।

असल में सीएसईबी के अफसर अभी भी पुरानी सरकार के ढर्रे में काम कर रहे हैं। अकेले कोरबा जिले में 110 करोड़ रुपये के केबल घोटाले का मामला सामने आया है, और सरकार ने इसकी जांच के लिए 40 सदस्यीय विशेष जांच टीम बना दी। जांच टीम को भौतिक सत्यापन किए बिना ही ठेकेदारों को भुगतान करने की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। दो कार्यपालन अभियंताओं को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

जिसके बाद विभाग में भीमसेनी करंट को लेकर अफसर सहमे हुए हैं। ये खेल बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में खेला गया है। जांच का दायरा अब बाकी जिलों तक पहुंचे वाला है। अब देखने वाली बात ये होगी कि भीमसेनी करंट का झटका किन अफसरों को लगने वाला है।

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कर्ता और विध्नहर्ता

पिछले सप्ता​ह से हमारे गांव में दो बात की ही चर्चा हो रही है, एक कर्ता और दूसरे विध्नहर्ता…। कर्ता इसलिए क्योंकि अखबार में ऐसी खबर आई थी, एक 80 साल के सामाजिक कार्यकर्ता ने सूबे में 14 मंत्री बनाए जाने को लेकर कोर्ट में अर्जी लगाई है और विध्नहर्ता इसलिए क्योंकि गणेश उत्सव का सीजन चल रहा है। अब कर्ता और विध्नहर्ता क्या बला है इसकी सही शाट उत्तर तो बाबू भाई की गुमठी में ही निकल पाएगा।

बात दरअसल ये है कि हमारे गांव में चार लोग की पढ़ें लिखे हैं..ज्ञानचंद, ध्यानचंद, मुरारीलाल और अपने मंदिर वाले शर्माजी..चारों बाबू भाई की गुमठी में मिलेगे, अंदाजा एकदम सही निकला चारों वहीं मजमा जमाए बैठे थे। ध्यानचंद आंखों में मोटे कांच का फ्रेम वाला चश्मा लगाए अखबार पढ़ते मिले..और ध्यानचंद उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। स्कूल मास्टर मुरारीलाल चुप थे.. रही बात शर्माजी की वो अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे।

काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब ज्ञानचंद जब अखबार छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए तो शर्माजी से रहा नहीं गया.. अरे भाई इतनी देर ये एक ही खबर क्यों पढ़े जा रहे हो दूसरे भी इंतजार कर रहे हैं। अब ज्ञानचंद अपनी आदत के अनुसार ज्ञान बांटने लगे.. शर्माजी अखबार में खबर ही ऐसी आई है..भला सामाजिक कार्यकर्ता को राजनीति से क्या लेना देना..। साढ़े तेरह मंत्री बने या चौदह उनसे क्या लेना देना। ये तो गणित का सवाल है इसका उत्तर तो स्कूल मास्टर मुरारीलाल ही बता देते..भला उन्हीं से पूछ लेते है, कोर्ट जाने की जरूरत क्यों आन पड़ी।

बा​त में दम था..सभी स्कूल मास्टर मुरारीलाल की तरफ देखने लगे। सबसे पहले मुरारीलाल कर्ता और अकर्ता की परिभाषा बताने लगे। कर्ता वो होता है कुछ करता है..जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई कार्यकर्ता और अकर्ता वो होता है जो बिना फल की आशा किए काम करता है जैसे किसी राजनीति दल का कार्यकर्ता उसके हिस्से का फल पार्टी के बड़े नेता हजम कर जाते है..और वो कोर्ट कचहरी के चक्कर से भी बच जाते हैं। अब समझे…स्कूल मास्टर मुरारीलाल ने पूरे गणित का आसान हल बता दिया।

वैसे भी गांव में शाम जल्दी हो जाती है..पास के गणेश पंडाल में संध्या आरती के लिए भक्त जुटने लगे थे। जोर जोर से गणपति बप्पा की आरती गाई जा रही थी…सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची…। धीरे से शर्माजी भी उठकर जाने लगे अब उनके लिए अखबार में पढ़ने लायक कुछ नहीं बचा था…स्कूल मास्टर ने पूरे खबर की हवा जो निकाल दी थी।

            ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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