कटाक्ष

Youth brigade in bjp:थाना और चौकी की कुर्सी,DMF बना केजीएफ,खोदने वाले..ना हम जीते ना तुम,काला झंडा बना राजनीति चमकाने का..

थाना और चौकी की कुर्सी..

 

 

नदी उस पार हरदी वाले बाजार में थानेदारी का सपना संजोने वाले खाकी के खिलाड़ियों का सपना साकार होने वाला है। क्योंकि थानेदार का तबादला हो गया है और काले हीरे के सबसे बड़े स्रोत कहे जाने वाले थाने की कुर्सी खाली हो गई है। सो काले कामों से माल बनाने वाले थानेदार थानेदारी करने सक्रिय हो गए हैं।

यही हाल शहर के हृदय स्थल की एक चौकी पर पुलिस विभाग के अच्छे अच्छे अधिकारियों की नजर है। हो भी क्यों न साहब आज के समय में इस चौकी का चढ़वा थानों से ज्यादा आ रहा है। 2 स्टार वाले साहब का स्थांतरण के बाद चौकी की कुर्सी खाली हो गई है।

लिहाजा चौकी प्रभारी बनने दो फूल वाले अधिकारी जुगाड़ जंतर के साथ मन्तर मार रहे हैं। एक साहब तो कहने भी लगे हैं अब तो चौकी के चौकीदार बीहड़ जंगल चले गए मैं वापस आ रहा हूं। वैसे नदी उस पार का थाना और चौकी का दीवाना वही हो सकता है जिसमें समय के साथ चलने का हुनर रखता हो, क्योंकि कहा गया है घोड़ा तो हर कोई पाल सकता है बेचता सौदागर ही है..!

चर्चा तो इस बात की भी है अगर एलेक्शन का रिएक्शन न होता तो हरदी वाले साहब कुछ दिन और काला हीरा तरास्ते, पर क्या करें एन वक्त पर चुनाव और तीन साल का कायदा ने सारा खेल खराब कर दिया। हालांकि साहब मीठा बोल बड़ा अनमोल के धनी होने की वजह लंबे समय के कार्यकाल में सबको सम्मान दिया।

DMF बना केजीएफ,खोदने वाले…

डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड कोलार गोल्ड माइंस बन गया है। सोने की इस खान को गलत तरीके से खोदने वाले अधिकारियों की कब्र खुद रही है। भाजपा कार्यकाल में शुरू हुए डीएमएफ स्रोत के पहले सूत्रधार सेंट्रल एजेंसी के रडार पर हैं। इसके बाद महिला आईएस जिन्होंने सोन चिरई के माध्यम से अंडा को सोना बनाया था उन पर भी जांच की आंच पहुंच चुकी है। तत्कालीन साहब ने तो पूर्व के अधिकारियों के कार्यों का आंकलन करते हुए सोने की खान से सोना निकालने अलग राह निकाला और खरीदी के लिए शिक्षा विभाग के सिंह को किंग बना डाला।

खबरीलाल की माने तो आत्मानन्द स्कूल के नाम पर जो खरीदी हुई वह जांच के रडार पर है। कहा तो यह भी जा रहा है कि बिना कम्प्यूटर शिक्षक के स्कूलों में कम्प्यूटर भेज कर डीएमएफ का अधिकारी मात्र स्वयं का हित साध रहे हैं। अगर बात नेताओं की जाए तो उन्हें भी मुंह बंद रखने के लिए फंड का एक हिस्सा दे दिया गया। जिससे नेता फोटो खिंचवाकर अधिकारियों का गुणगान करते रहे।

सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग के खरीदी किंग ने नगर निगम आयुक्त के घर हुई ईडी की रेड के बाद अपनी चाल बदल दी लेकिन, उससे क्या होगा ? ड्रेस और बैग के घोटाले का बैताल तो घोटालों का उत्तर मिलते ही एक दिन श्मशान के पेड़ पर उल्टा जा लटकेगा और लोगों को भी उल्टा लटकाएगा।

कहा भी गया है जैसा बोओगे वैसा काटोगे..! तो अब खरीदी किंग के फसल कटने के दिन पास आ गए हैं और जल्द ही उल्टा लटककर जांच के आंच झुलसने वाले हैं।

ना हम जीते ना तुम

जुलाई का महीना गुजरा गया। सावन में बाबा भोलेनाथ की कृपा अफसरों पर जमकर बरसी, कुछ का तो बेड़ा पार हो गया पर कुछ चुनाव गुजर जाने का इंतजार कर रहे हैं। कोरबा की बात करें तो यहां मंत्री और अफसर दोनों की भक्ति से भगवान प्रसन्न हो गए। कोरबा कलेक्टर संजीव झा ईडी के लफड़े से बच निकले तो स्थानीय मंत्री को भी इस बात से राहत मिल गई कि उनकी भी चल पड़ी।

कहावत है कि भगवान की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं खड़कता पर मगर कोरबा में तो अफसर ही भगवान बन बैठे थे, उनकी मर्जी के बिना कोई फाइल भी नहीं खिसकती थी। ये तो सीएम भूपेश बघेल की भलमनसाहत है कि वो भगवान भोलेनाथ के इशारे पर एक्सचेंज आफर लेकर आए और कोरबा का भला कर गए। अपनी मुराद पूरी होने से मंत्री भी खुश और साहब भी। यानि ना हम जीते ना तुम।

अब कोरबा की कमान यंग आईएएस अफसर के पास होगी, निगम में भी कड़क महिला अफसर की पोस्टिंग कर दी गई है। बिलासपुर में कलेक्टर होकर आए सौरव कुमारअभी यंग हैं। वो केवल काम पर फोकस करते हैं तभी तो रायपुर नगर निगम और बिलासपुर से वीआईपी जिलों में कलेक्टरी कर पाए। यानि साहब के पास कलेक्टरी और निगम आयुक्त दोनों का अनुभव है।

ऐसी चर्चा है कि चलो जैसे तैसे साढ़े चार साल गुजर गए। बाकी के पांच महीने में कोरबा का कुछ भला तो होगा। निगम के पूर्व आयुक्त और डीएमएफ मद के बड़े खिलाड़ी प्रभाकर पांडेय भी ईडी की गुगली से आउट हो गए हैं। रानू साहू अपने दिन गिन रही हैं। मगर नए कलेक्टर और मंत्री में आने वाले समय क्या ट्​वनिंग बनती है इसे लेकर चुनाव तक इंतजार करना होगा। बाकी भगवान भोलेनाथ पर छोड़ दीजिए….जय शिवशंकर…..।

काला झंडा बना राजनीति चमकाने का धंधा

साल 2002 में अजय देवगन की मूवी का संवाद “गंदा है पर धंधा है..” ठीक इसी शैली में नेतागिरी चमकाने के लिए काले झंडे दिखाने की पुरानी परिपाटी आज के युवा पीढ़ी के नेताओं में चल पड़ी है। जिनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं वे भी बहती गंगा में हाथ धोकर राजनीति चमका रहे हैं।

बात सीएम को काला झंडा दिखाने की है। मुख्यमंत्री के आगमन पर काला झंडा दिखाकर पार्टी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले कुछ युवा नेता कांग्रेस नेताओं के रहमोकरम पर अपनी दुकानदारी को चमका रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि एक युवा नेता रेत के अवैध कारोबार में लिप्त है और नेता प्रतिपक्ष का पल्लू पकड़कर पार्टी नीति का राज का पाठ लोगों को पढ़ाते रहते हैं।

वैसे झंडा दिखाने वाले ये नेता भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत जुटा नहीं पाते और न ही पब्लिक हित से जुड़े मुद्दों को उठा पाते हैं। हां ये बात अलग है कि बालको में ठेकेदारी हथियाने के लिए बीच बीच मे हो हल्ला मचाकर अपना काम बनता तो … जाए जनता का राग अलाप करते हैं।

चर्चा तो इस बात की भी है काला झंडा दिखाने वाले लोगों का मैच पहले से फिक्स था। तभी तो झंडा के साथ हल्ला बुलंद हुआ तो तत्काल गिरफ्तारी भी हो गई। राजनीति चमकाने का राज और मन की बात जानने वाले जनमानस को अच्छे से पता है। तभी तो वे ये पब्लिक है जो सब जानती है का गाना गुनगुना कर मुस्कुरा रहे हैं।

 भाजपा में युवा ब्रिगेड

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी चुनावी टीम में छत्तीसगढ़ के यूथ ब्रिगेड का कद बढ़ा दिया है। राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में छत्‍तीसगढ़ से पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व सांसद सरोज पांडेय और राज्‍य की पूर्व मंत्री लता उसेंडी को राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष बनाकर उनका कद बढ़ाया है। इनमें से डॉ रमन सिंह को छोड़कर बाकी दो महिला चेहरा युवा मोर्चा में रही हैं।

सरोज पांडये पहले भी दुर्ग की महापौर, राज्यसभा सांसद और पाटी की राष्‍ट्रीय महासचिव रह चुकी हैं। लता उसेंडी महिला एवं बाल विकास मंत्री बनी। इससे पहले लता उसेंडी भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्‍यक्ष रह चुकी हैं और अभी राष्‍ट्रीय कार्यसमिति की सदस्‍य हैं। उन्‍हें पार्टी बार पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में स्‍थान मिला है।

यानि इस बार जेपी नड्डा की टीम में बीजेपी की यूथ ब्रिगेड का कद बढ़ाया गया है। इसके जरिए प्रदेश में नई लीडरशिप की शुरुआत की गई है। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव भी युवा मोर्चा से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं। यानि बीजेपी आने वाले चुनाव में यूथ, महिला, आदिवासी का काकटेल तैयार कर सत्ता में वापसी की तैयारी कर चुकी है। इसके नतीजे क्या होंगे ये आने वाले समय में ही प​ता चल पाएगा।

   ✍️अनिल द्विवेदी , ईश्वर चन्द्रा

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