छत्तीसगढ़

Illegal Occupation : सरकारी ज़मीन पर 4 साल से अवैध कब्ज़ा…! कलेक्टर–तहसीलदार पर अवमानना याचिका…अब अफसरों पर गिरी गाज

2021 से आज तक कार्रवाई नहीं, हाई कोर्ट हुआ सख्त

जांजगीर, 30 नवंबर। Illegal Occupation : जांजगीर-चांपा ज़िले में सरकारी ज़मीन से अवैध कब्ज़ा हटाने के मामले में प्रशासन की लापरवाही अब भारी पड़ती दिख रही है। हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद 4 साल से ज्यादा समय तक कार्रवाई न करने पर कलेक्टर और तहसीलदार के खिलाफ अवमानना की तलवार लटक गई है।

याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद देवांगन ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। आरोप है कि महावीर कोल वाशरी के कथित रसूख और दबदबे के कारण अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश को जानबूझकर लागू नहीं किया, जिसकी वजह से अवैध कब्ज़ा आज तक बरकरार है।

2021 से लंबित है मामला

मामला जांजगीर-चांपा ज़िले के भिलाई गांव का है। यहां महावीर कोल वाशरी एंड प्राइवेट लिमिटेड ने सरकारी घासभूमि, खसरा नंबर 167/1 पर कथित रूप से अवैध कब्ज़ा कर रखा है। इस अतिक्रमण के खिलाफ याचिका क्रमांक 2524/2020 पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 20 जनवरी 2021 को तहसीलदार को स्पष्ट निर्देश दिया था कि, याचिकाकर्ता सीमांकन रिपोर्ट के साथ आवेदन दे। हसीलदार कानून के अनुसार जल्द से जल्द फैसला करें। सरकारी नियमों में भी कोर्ट के ऐसे आदेशों को 6 महीने के भीतर पूरा करना अनिवार्य है। इसके बावजूद मामला चार साल बाद भी जस का तस पड़ा हुआ है।

अधिकारियों पर आरोप-रसूख के आगे झुक गई प्रशासनिक कार्रवाई 

याचिकाकर्ता द्वारा 27 फरवरी 2021 को आवेदन देने के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और तहसीलदार किशन मिश्रा ने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया। देवांगन का आरोप है कि अधिकारियों ने जानबूझकर मामले को दबाए रखा और हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।

याचिकाकर्ता की अधिकारियों को सज़ा मांग

अवमानना याचिका में कहा गया है कि, यह अधिकारियों द्वारा हाई कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा (Wilful Disobedience) है, अतः दोनों अधिकारियों पर न्यायालय अवमानना की कार्रवाई की जाए। याचिका वकील रमाकांत पांडे द्वारा 26 अगस्त 2021 को दाखिल की गई थी।

क्या कोल वाशरी का दबदबा इतना बड़ा है?

मामला अब यह सवाल उठाता है कि, क्या महावीर कोल वाशरी का प्रभाव इतना ज़्यादा है कि कलेक्टर और तहसीलदार भी हाई कोर्ट के आदेश को 4 साल तक नज़रअंदाज़ कर दें? क्या अब हाई कोर्ट की सख्ती के बाद प्रशासन हरकत में आएगा?

अगला कदम क्या?

अब हाई कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई में तय होगा कि, अधिकारी अदालत को क्या जवाब देते हैं। और क्या अवैध कब्ज़े वाली सरकारी ज़मीन आखिरकार मुक्त कराई जाएगी या नहीं। यह मामला अब पूरे प्रदेश में प्रशासनिक जवाबदेही और न्यायिक आदेशों के पालन पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

 

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