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Looking for a coach to manage: छा गए थानेदार साहब! किस्मत या कनेक्शन, महराज के फाइल में दफन है नहर का राज..कहीं खुशी कहीं गम,जल बिन मछली

छा गए थानेदार साहब! किस्मत या कनेक्शन…

क्रिकेटर,कॉमेडियन और पॉलिटिशियन का संवाद छा गए गुरु…पुलिस डिपार्टमेंट के एक थानेदार पर बखूबी जंच रहा है। साहब किस्मत के धनी हैं या उनका नेतागिरी में कुछ कनेक्शन ये तो लोगो की समझ से परे है पर उनकी पोस्टिंग देखकर डिपार्टमेंट के अफसर कहने लगे है आप तो छा गए गुरु…!

बात कोरबा के सिंघम टाइप थानेदार की है । साहब ने कांग्रेस सरकार मे भी बड़े थानो में थानेदारी करते हुए खनिज संपदा का भरपूर दोहन किया और सरकार बदली तो फिर से किस्मत ने ऐसी बाजी पलट दी कि जहां पोस्टिंग पाने मंत्रीयो की परिक्रमा करनी पड़ती है वो भी तुक्के में मिल गई। ट्रांसफर हुआ भी लेकिन पुलिस मुख्यालय का आदेश भी उन्हें डगमगा नही सका। पुलिस के कार्यों में चुस्ती लाने कप्तान ने भी तबदला किया तो आदेश को ही शिथिल करना पड़ा। जिस अंदाज में जब तक चाहूँ तब तक थानेदारी करूंगा के हठ की लट्ठ से दोस्तो की लुटिया डूबी लेकिन अपनी कुर्सी सलामत रखी।

वैसे तो कोरबा के चार थाने दीपका , कुसमुंडा बालको और हरदीबाजार थानेदारो के लिए पहली पसंद है। जिसमें साहब दो थाने का स्वाद चख चुके है।

साहब चर्चा में उस समय आए थे जब सीकेएस ने हटाने मोर्चा खोल दिया था। कहा जाता है कोरबा की माटी बहुत ही शांत है और हर कोई यहां लंबी पारी खेलना चाहता है। तभी तो जिस पर नेताओं का आशीर्वाद रहता है वो कप्तान के नियम को तार – तार कर कुर्सी छोड़ने तैयार नही होता। हो भी यही रहा है साहब कप्तान और पीएचक्यू के आदेश को शिथिल कर अब शहर के इकलौते सुपर स्टार बन गए है। जो दीवार फिल्म के चिरकालिक अमर संवाद …”हम जहां खड़ा हो जाते है वही  से लाइन शुरू हो जाती है “… कहते हुए थानेदारी कर रहे है। उनके पोस्टिंग और अपने वसूल पर कर रहे थानेदारी को परखकर पुलिस के पंडित कहने लगे छा गए थानेदार साहब ! ये किस्मत है या कनेक्शन…!

 

महराज के फाइल में दफन है नहर का राज..

शांति का टापू कहे जाने वाले कोरबा की पावन धरा भ्रष्टाचारियों के लिए चारागाह से कम नही है। कोयले की नगरी में काले कारनामों की एक अलग दुनिया है जो यदा कदा दिखती है। ऐसे ही एक महराज के फाइल में नहर का राज दफन है।

वाक्या नहर निर्माण से जुड़ा हुआ है। जलसंसाधन के निर्माण कार्य में अब बंधा बंधाया हिसाब के दिन लद गए है। अफसरो में ठेकेदारी की हिस्सेदारी का प्रचलन बढ़ गया है। ऐसा ही मामला पाली ब्लाक के सेंदरीपाली में चल रहे नहर निर्माण का है। बिलासपुर के ठेकेदार पर महराज इस कदर मेहरबान हुए कि बिना वर्क आर्डर के गांव में नहर निर्माण के लिए लीपा पोती शुरू हो गई। नहर निर्माण में हो रहे खेला की सूचना पर अंदरखाने से पता चला कि महराज अब छोटा मोटा खेल में इंटरेस्ट नही लेते। वे तो घाट घाट के पानी पीकर इतने  घाघ हो चुके है सीधा सेटलमेंट की बात करते हुए एस्ट्रा वर्क में एमबी रिकॉर्ड का फिफ्टी फिफ्टी की डिमांड करते है। सूत्रधार की माने तो साहब है चतुर सुजान मधुर वाणी का उपयोग कर अच्छे अच्छों को अपने मुताबिक ढाल लेते है। कहा तो यह भी जा रहा है साहब के डिवीजन में लगभग 30 करोड़ का कार्य है। मतलब साफ है महराज की चारों उंगलियां घी में और सर…सतना में है।

 

सचिन डेब्यू पार्ट.2, मैनेज के लिए कोच की तलाश

 

शहर की पॉलिटकल ग्राउंड से एक सचिन का डेब्यू नगर निगम में हुआ है। अब वो पास होंगे या फेल ये तो भविष्य वक्ता भी नहीं बता पा रहे है, क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार मे एक सचिन को डीएमएफ के मैच में खेलाने का प्रयास किया गया था। उनका डेब्यू उस काल में हुआ जब डीएमएफ का किला हिल चुका था। अब भाजपा राज में फिर से एक सचिन का क्या होगा ये तो पार्टी के परोपकारी नेता ही बता पाएंगे।

दरअसल ये वो सचिन नहीं हैं जो डीएमएफ के काज संभालने के लिए कोरबा आए थे। इस युवा जाबांज को राजनीति पिच पर चौका छक्का लगाने के लिए परछाई बनाया गया है। हालांकि उनके कार्यशैली को लेकर पार्टी के अंदरखाने में खुसफुसाहट होने लगी है। शहर की सत्ता पर साथ काम करने के लिए तन मन धन लगाए उनको अब सचिन से बात करना पड़ रहा है।

सूत्रधार की माने तो ये सचिन किसी सरकारी विभाग के मुलाजिम हैं लेकिन, सरकार है तो ड्यूटी कहीं भी करें उससे क्या। कहा भी गया है जब सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का..! सो भैया सचिन नगर निगम के पिच पर बैटिंग करने को तैयार है। इन्हें मैनेज करने के लिए कौन सी बॉल फेंक​नी इसके लिए निगग से जुड़े लोग एक कोच की तलाश कर रहे हैं।

 

कहीं खुशी कहीं गम

छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में इस वक्त कहीं खुशी कहीं गम वाला माहौल है। असल में सरकार का सुशासन तिहार राजीखुशी से पूरा जो हुआ। सुशासन तिहार में कलेक्टर, एसपी से लेकर मैदानी अफसर सबसे ज्यादा इस बात को लेकर परेशान थे कि पता नहीं किस समाधान पेटी में उनके नाम की पर्ची निकल आए और बोरिया बिस्तर बंध जाए।

कुल मिलाकर सुशासन तिहार से सरकार फुर्सत पा गई और अफसर भी रिलेक्स हो पाए। लेकिन, मंत्रालय में अभी कई फाइल मूव होने की खबर है। सरकार के मुखिया हर मीटिंग में अफसरों से एक ही हिदायत देते रहे कि टाइम लिमिट और सुशासन पर फोकस करें।

खबरीलाल की माने तो महीने भर चले सुशासन तिहार में सरकार अफसरों की पूरी कुंडली आनलाइन तैयार कर चुकी है। जहां समस्या मिली उसका समाधान हुआ कि नहीं और, नहीं तो देर की वजह अफसरों से पूछी जाएगी। यानि बिल्कुल मोदी वाली स्टाइल में सुशासन तिहार अभी खत्म नहीं हुआ केवल, स्थगित हुआ।

तिहार तब पूरा होगा जब अफसरों के कामकाज की समीक्षा होगी। जहां कलेक्टर, एसपी के परफॉर्मेंस कमजोर होंगे वहां सर्जिकल स्ट्राइक होगी। खबरीलाल की माने तो इसी सप्ताह मंत्रालय से लेकर जिलों में फेरबदल की लिस्ट जारी होना है..अब कहां खुशी होगी और कहां गम ये सरकार जानें..तब तक राम राम।

जल बिन मछली..!

1971 में बॉलीवुड के मशहूर प्रोड्यूसर वी. शांताराम की एक हिट फिल्म पर्दे पर आई थी.. ”जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली” जिसमें संध्या और अभिजीत के रोमांस पर पानी के बिना तड़फती मछली पर एक सीन फिल्माया गया था। इसी सीन से पूरी फिल्म ने बॉक्स आफिस में जमकर कमाई की। इस फिल्म को बने 55 साल गुजर गए मगर, पानी ​के बिना मछली तो अब भी तड़फ रही है, बस किरदार बदल गए हैं।

आप सोच रहे होंगे, इस फिल्म का ”कटाक्ष” से ​इसका क्या लेना देना तो जान लिजिए… आज छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए केंद्र से टीम पहुंचने वाली है। और जिन्होंने इस मिशन में उछल कूद कर मलाई काटी वो जल बिन मछली की तरह तड़फ रहे हैं।

इस बार भ्रष्टाचारियों को दबोचने के लिए कांट केंद्र से बनकर आया है। और छत्तीसगढ़ सरकार जाल बिछाकर बैठी है। सीएम भी कह चुके हैं..पिछली सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया। सुशासन तिहार में कई गांव ऐसे मिले जहां टंकी खड़ी है, नल लग गए हैं लेकिन, टोंटियों से पानी नहीं आता। बोर में पानी नहीं है लेकिन, टंकी बना दी गईं!

अब जब केंद्र की टीम कांट लगाकर इन भ्रष्टाचारियों को पानी से बाहर निकालेगी तो उनकी हालत पानी के बिना तड़फती मछली जैसे हो जाएगी। विभाग के कई अफसर तो पहले ही सस्पेंड हो चुके हैं। रही बात जो बाकी बचे हैं उनकी तो उनके लिए जाल दिल्ली से तैयार होकर छत्तीसगढ़ पहुंचा है।

कुल मिलाकर पिछली सरकार के जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार पर एक और हिट फिल्म जल्द ही छत्तीसगढ़ में लॉन्च होने वाली है। अब इसके किरदार कौन होंगे..ये जांच टीम वाले ही बता पाएंगे।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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