
कोरबा। सुशासन की सरकार में ट्रांसफर अब नियम कायदे से नहीं, बल्कि दबाव और जुगाड़ से तय होते दिख रहे हैं। इसका ताज़ा उदाहरण हैं महिला सहायक यंत्री श्रीमती माधुरी पटेल। कर्मचारियों से अपमानजनक भाषा बोलने के आरोप के बाद यूनियन के भारी विरोध पर छह माह पहले पेंड्रा भेजी गई थीं। मगर कहते हैं “झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए”, और यह कहावत उन्होंने सच कर दिखाया।
श्रीमती माधुरी पटेल की वापसी ने साफ कर दिया है कि बिजली विभाग में तबादला सजा नहीं, महज़ औपचारिकता है। फर्क बस इतना है कि इस बार उन्हें शहरी क्षेत्र की जगह पाली उपसंभाग की कमान सौंपी गई है। चर्चा यह है कि छह महीने पहले जिन्हें हटाना मजबूरी थी, आज वही फिर से पसंद बन गए। कर्मचारी हक्का-बक्का हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर असली ताकतवर कौन सरकार, फेडरेशन या फिर खुद AE माधुरी पटेल?