
न्यूज डेस्क।असम के आईपीएस अधिकारी गौरव उपाध्याय छह साल पुराने यौन उत्पीड़न के एक मामले में बुरी तरह फंसते हुए नजर आ रहे हैं. एक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है. बुधवार को पारित इस आदेश की एक प्रति शनिवार को पीटीआई को उपलब्ध कराई गई है.
कार्बी आंगलोंग में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अदालत के विशेष न्यायाधीश आर लाल ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी द्वारा पीड़िता पर यौन उत्पीड़न की दो घटनाएं हुईं. वो घटना के समय उस जिले का पुलिस अधीक्षक थे. पहला अपराध डिफू में एसपी बंगले में हुआ. दूसरा होटल के एक कमरे में हुआ, जहां पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ रह रही थी.
यह घटना दिसंबर 2019 में हुई थी. उस वक्त पीड़िता की उम्र 14 साल थी. उसकी मां की तहरीर के आधार पर जनवरी 2020 में पुलिस ने केस दर्ज किया था. इसके बाद केस की जांच सीआईडी को सौंप दी गई थी, जिसने आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था. उत्तर प्रदेश के रहने वाले 2012 बैच के आईपीएस गौरव उपाध्याय वर्तमान में राज्य परिवहन विभाग के अतिरिक्त सचिव हैं.
वारदात के वक्त कार्बी आंगलोंग के एसपी थे गौरव
इसके साथ ही असम अंतर्देशीय जल परिवहन विकास सोसाइटी के राज्य परियोजना निदेशक और असम एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन के परियोजना अधिकारी हैं. न्यायाधीश ने कहा कि गौरव उपाध्याय घटना के समय कार्बी आंगलोंग के एसपी थे, इसलिए यह घटना एक पुलिस अधिकारी के रूप में उनके अधिकार क्षेत्र और नियंत्रण की सीमा के भीतर हुई, जो पॉक्सो और आईपीसी के तहत दंडनीय है.
क्या जानबूझकर लंबित रखा गया ये मामला?
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 354 और 354ए के तहत आरोप तय किए जाते हैं. ये मामला वर्षों से पूर्व-परीक्षण चरण में लंबित है, जबकि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के निर्देश सुप्रीम कोर्ट और विधायिका द्वारा स्पष्ट रूप से दिए जा चुके हैं. इसके बावजूद इस मामले को लगातार लंबित रखा गया है.
पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के तहत आरोप तय
विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 और आईपीसी की धारा 354, 354ए के तहत आरोप तय किए जाते हैं. पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 गंभीर यौन हमले के लिए सजा से संबंधित है, जबकि आईपीसी की धारा 354 और 354ए महिला की शील भंग करने या यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों के लिए है.