छत्तीसगढ़

Devi Ahilyabai Convention Hall : लोकार्पण के एक महीने में धराशायी हुआ 17 करोड़ का भवन…! निर्माण गुणवत्ता पर बड़ा सवाल

सीलिंग हादसे से उजागर हुई सरकारी निर्माण की हकीकत

रायगढ़, 12 जुलाई। Devi Ahilyabai Convention Hall : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा हाल ही में लोकार्पित देवी अहिल्याबाई होलकर कन्वेंशन भवन की सीलिंग भरभराकर गिरने से न केवल निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर बल्कि शासन और प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। भवन का निर्माण लगभग 17 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था और इसे लोकार्पण के मात्र एक महीने बाद ही यह शर्मनाक हादसा पेश आया।

इस कन्वेंशन भवन के लोकार्पण अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ राज्य सरकार के कई कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। यह भवन वर्षों से निर्माणाधीन था, जिसे हाल ही में जनता को समर्पित किया गया था। लेकिन जिस भरोसे और गरिमा के साथ इसका उद्घाटन हुआ था, वह अब इसकी गिरती सीलिंग के मलबे में दब गई है।

घटिया निर्माण या गहरा भ्रष्टाचार?

घटना ने निम्नलिखित गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

निर्माण की गुणवत्ता: क्या करोड़ों की लागत के बावजूद निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया?

ठेकेदार की लापरवाही: क्या सुरक्षा मानकों और गुणवत्ता दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया?

अधिकारियों की मिलीभगत: क्या सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से इस निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरती गई?

जल्दबाज़ी में निर्माण: क्या लोकार्पण की तारीख को लेकर दबाव में अधूरी या कमज़ोर गुणवत्ता वाली संरचना खड़ी कर दी गई?

कार्रवाई की मांग

इस हादसे ने जिला प्रशासन, निर्माण एजेंसी और लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में ला खड़ा किया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिक संगठनों ने घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।

यह मामला अब राज्य सरकार के भ्रष्टाचार-विरोधी रुख की भी परीक्षा बन गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या प्रशासन और सरकार इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ सख्त कदम उठाती है या फिर यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल इमारतें बनाना काफी नहीं, बल्कि उनमें गुणवत्ता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी भी ज़रूरी है। ऐसे में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार पर जनता की नज़र है, क्या यह शासन दोषियों को सज़ा दिलाएगा या राजनीतिक संरक्षण की आड़ में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

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