
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अफसरों का सोशल मीडिया ग्रुप अपनी पोस्ट को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है। कुछ दिन पहले तहसीलदारों की हड़ताल में नारियल का चढ़ावा वाली पोस्ट की जबरदस्त चर्चा रही। हैरानी की बात ये रही कि सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया..नहीं तो नारियल और किलो वाला कोड वर्ड डीकोड हो सकता था। अब राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुप में एक महिला डीएसपी की पोस्ट के जबरदस्त चर्चे हैं। जिसमें सीधे.सीधे राज्य सरकार की तबादला नीति और सरकार के कामकाज करने के तरीके पर ही सवाल उठाए गए हैं।
वैसे पुलिस एक अनुशासित बल है, जहां चेन ऑफ कमांड का पालन अनिवार्य है, वहां सरकार की नीति पर खुलकर सवाल उठाना, खासकर पत्र को वायरल होने देना, अनुशासन भंग करने के रूप में देखा जा सकता है। एक रिटायर्ड IPS अधिकारी ने कहा, ऐसे मुद्दों को विभागीय चैनल्स में निजी तौर पर उठाना चाहिए, न कि सार्वजनिक रूप से।
हालांकि ये व्हाट्सएप ग्रुप में राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को एड्रेस करके पोस्ट किया गया है मगर राज्य पुलिस सेवा के कई सीनियर अधिकारियों ने भी डीएसपी के ट्रांसफर पॉलिसी पर निगेटिव कमेंट्स किया है। जो पुलिस जैसे अनुशासित बल के लिए सोच का विषय है। कई पुलिस अधिकारियों ने इस बातचीत का व्हाट्सएप का स्क्रीन शॉट शेयर किया है, जिसकी जोरदार चर्चा है, लोगों का कहना है कि जब विभाग में ही अनुशासन नहीं बचा तो बाकी विभागों से उम्मीद करना बेमानी होगी।
क्या है मामला…
दरअसल, 14 अगस्त को 11 डीएसपी ट्रांसफर की लिस्ट जारी हुई, उसमें पहली बार थानेवार पोस्टिंग की गई है। जिसे लेकर डीएसपी लितेश सिंह का एक लेटर वायरल हो रहा है। इस आदेश में बकायदा थाने का नाम लिखा हुआ है। इससे पहले गृह विभाग से जितने आदेश निकलते थे, उसमें सब डिवीजन का नाम होता था। याने इस अफसर को फलां सब डिवीजन में पोस्ट किया जाता है। मगर इस बार एक ही सब डिवीजन में थानों का बंटवारा कर दो-दो अफसर पोस्ट हो गए हैं। इस बार एक थाना का डीएसपी भी बनाया गया है।
स्थानांतरण आदेश को लेकर डीएसपी लितेश सिंह का एक लेटर राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को लिखा एक लेटर वायरल हो रहा है। जिसमें ट्रांसफर लिस्ट को लेकर असंतोष जताया गया है। लितेश सिंह के पत्र पर डीएसपी के व्हाट्सएप ग्रुप में कमेंट्स की झड़ी लग लग गई है।
पत्र में ये लिखा
राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को डीएसपी लितेश सिंह ने पत्र लिखा है। स्थानांतरण आदेश में राज्य पुलिस सेवा के पदों की गरिमा को कम करने और पुलिस की प्रशासनिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की है।
लितेश सिंह लिखती हैं, इन दिनों ऐसे स्थानांतरण आदेश आ रहे है जिनमें-एक ही पद पर दो अधिकारियों की नियुक्ति कर दी जा रही है। जिस पद से स्थानांतरण हुआ है वह पद रिक्त ही पड़ा रहता है। जिन पर आज दिनांक तक भी कोई नियुक्ति नहीं हुई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 3 वर्ष से अधिक प्रस्थापना के बावजूद पुनः नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थानांतरण किया जा रहा है।
इन सब के बाद 14 अगस्त 25 को जारी उप पुलिस अधीक्षकों के स्थानांतरण आदेश में ऐसी विसंगतियां है जो इस पद की गरिमा और उपादेयता के प्रतिकूल है। इस आदेश में नई परंपरा की शुरुआत की गई है जिसके अनेक दूरगामी दुष्प्रभाव है जो संपूर्ण कैडर को प्रभावित कर रहा है। इस आदेश में दो भिन्न भिन्न अनुविभाग के थानों को सुमेलित करते हुए एक उप पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना की गई है।
एक अनुविभागीय अधिकारी के पदस्थ रहते हुए उस अनुविभाग के मुख्य थाने को आवंटित कर एक नये उप पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति कर दी गई है। यह व्यवस्था पुलिस विभाग के अनुविभाग संरचना में आवंटित थानों को प्रभावित करते हुए “विभाग अनुविभाग” के मूल ढाँचे को विकृत करेगी। जिस से प्रशासनिक चुनौतियां सामने आयेंगी। इस से भविष्य में न्यायालय संबंधी प्रक्रिया में भी विसंगतियां देखी जाएंगी। यह व्यवस्था ऐसे अति आवश्यक प्रश्न खड़े करती है।
राज्य पुलिस सेवा का ‘अधिकारी पद’ राजपत्रित अधिकारी का पद है और इसकी नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा त्रि स्तरीय परीक्षा के बाद की जाती है। इस तरह योग्य अधिकारियों की योग्यता का संपूर्ण सेवा लाभ शासन को नहीं मिल रहा है। जबकि वर्तमान परिस्थिति में कई पदों से स्थानांतरण के बाद रिक्त हुए पद अभी भी रिक्त ही है। कई जिलों में उप पुलिस अधीक्षक अजाक, उप पुलिस अधीक्षक के पद रिक्त पड़े हैं या सृजित ही नहीं है। उप पुलिस अधीक्षक-यातायात एवं उप पुलिस अधीक्षक साइबर सेल के पद अधिकांश ज़िलों में सृजित ही नहीं है।
फिलहाल पुलिस विभाग के प्रशासनिक ढ़ांचे से जुड़े इस सवाल पर सरकार क्या एक्शन लेती है ये देखने वाली बात होगी… क्या डीएसपी लितेश सिंह की शिकायत में दम है या इसका हाल भी नारियल का चढ़ावा जैसा हो जाएगा जैसा कि तहसीलदारों की हड़ताल के दौरान हुआ था।