
जांजगीर-चांपा, 12 जुलाई। CSR : जिले में आयोजित हालिया बैठकों और समीक्षाओं में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) और डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) से जुड़ी जानकारी का एजेंडे से गायब होना अब चर्चा का विषय बन गया है। ये दोनों फंड जिले के सामाजिक और बुनियादी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन प्रशासनिक समीक्षा बैठकों में इनका जिक्र न होना कई सवाल खड़े कर रहा है।
DMF फंड का उपयोग खनिज प्रभावित क्षेत्रों के विकास हेतु किया जाता है, जबकि CSR के अंतर्गत कंपनियां अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करती हैं। जिले में खनन और औद्योगिक गतिविधियों के चलते इन दोनों मदों में करोड़ों रुपये की राशि प्रतिवर्ष खर्च की जाती है, लेकिन इसकी पारदर्शिता और उपयोगिता को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिक समाज ने चिंता जताई है।
प्रमुख बिंदु
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CSR और DMF पर कोई विस्तृत रिपोर्ट न समीक्षा बैठक में दी गई और न ही इन पर चर्चा हुई।
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सार्वजनिक मंचों पर जानकारी साझा नहीं की जा रही, जिससे योजनाओं की निगरानी मुश्किल हो रही है।
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स्थानीय विकास कार्यों की प्रगति धीमी, फिर भी इन फंड्स के उपयोग का लेखा-जोखा स्पष्ट नहीं।
नागरिकों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब करोड़ों की योजनाएं CSR और DMF के माध्यम से संचालित हो रही हैं, तो इनकी सार्वजनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य होनी चाहिए। विकास कार्यों की गुणवत्ता और प्राथमिकता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब जानकारी पारदर्शी ढंग से साझा की जाए।
प्रशासन की चुप्पी
जिला प्रशासन की ओर से इस विषय पर कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं आई है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि जल्द ही इस विषय पर स्पष्टता और पारदर्शिता नहीं लाई गई, तो वे सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से पूरी जानकारी मांगेंगे।
CSR और DMF जैसे महत्वपूर्ण फंड्स का एजेंडे से गायब रहना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनहित के मुद्दों से ध्यान हटाने जैसा माना जा रहा है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और कितनी जल्दी इस विषय में पारदर्शिता लाता है।