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Inside out : कोरबा में कोयला नही अब ईमान जलता है और,तजुर्बे का सपना और डिवाइस..निगम सरकार में सेटिंग का खेल,दिल है कि मानता नहीं..

 कोरबा में कोयला नही अब ईमान जलता है और पुलिस…

 

सावन के पावन मास में जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालु बोल बम-बोल बम के नारे लगाते शिव को मना रहे है तो दूसरी तरफ कोयलांचल में कोल बम की गूंज सोशल मीडिया में गूंजने लगी है। चौक चौराहे में लगने वाली मंडली करोड़ों के कोयला गायब होने की बात को चटखारे लेते हुए कह रहे है कि “कोरबा में कोयला नही अब ईमान जलता है और पुलिस धुएं में आंख मलती है जैसे कुछ देखा नहीं “ जहां पहरेदार ही सौदेबाज हो,  वहां चोरी नहीं व्यवस्था दम तोड़ती है…! ”

 

कहने को तो कोल माइंस की सिक्योरिटी इतनी टाइट है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता। इसके बाद भी 35 टन पासिंग गाड़ियों में 15 टन चोरी का कोयला लोडकर ट्रांसपोर्टर  खुलेआम खदान में शोर मचा रहे हैं। सूत्रों की माने कोल माफिया प्रबंधन के नुमाइंदों को सेट कर काले हीरे की तस्करी कर रहे हैं। वैसे तो सूबे में सरकार बदलने के बाद कोयला और डीजल चोरी बंद हो चुकी है। मगर, जिस अंदाज में बीते गुरुवार “खाटू श्याम” की गाड़ियां पकड़ाई उससे स्पष्ट है कि लूट का तरीका बदला है लूट नहीं।

कोयला खदान में चल रही लूट पर वर्षो पुरानी फिल्म  ” अमर प्रेम” की गीत  “चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए , सावन जब आग लगाए  तो उसे कौन बुझाए !!  सटीक बैठता है। क्योकि, इसी शैली पर कोयला खदान की सुरक्षा व्यवस्था नजर आ रही है जहां सुरक्षा के सिपहसलार चोरो के यार बने है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि कोयला खदान तो है ही “माल.ए.मुफ्त दिल ए बेरहम” जो कोई भी आ रहा है लूट कर जा रहा है और लूटे भी क्यों न क्योंकि नेताओं, अफसरों के लिए खदान अब खुला खजाना बन गया है।

अधिकारियों की संपत्ति बन रही हो तो तो फिर भला उन्हें कोयले की दलाली में कैसी आपत्ति !! सुरक्षा गार्ड ठहरे कठपुतली, जैसे प्रबंधन का आदेश वैसे ही उनके बंदूक का मूवमेंट। बहरहाल हाई सिक्योरिटी के बाद भी कोयले की लूट जारी है और सब एक दूसरे पर दोषारोपण कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

 

तजुर्बे का सपना और डिवाइस

 

खबर आई थी कि छत्तीसगढ़ की पुलिस हाईटेक हो गई। मगर कोरबा पुलिस ने तो कमाल ही कर दिया। जिले की साइबर टीम अब तक के सभी हाईटेक अफसरों को पीछे छोड़ दिया। यहां मुलजिमों तक पहुंचने के लिए टीम को किसी हाईटेक डिवाइस की जरूरत नहीं होती बल्कि वे तजुर्बे से सपना देखकर ही उनका पता लगा लेते हैं।

कुछ ऐसा ही मामला हाल के दिनों में सामने आया है जब इस पुलिस के वीर सिपाहियो ने “122 ”गुम मोबाइल को ढ़ूंढ कर उनके मालिकों को लौटा दिया।
गुम हुए 122 मोबाइल तो मालिकों को वापस मिल गए उनके चेहरों पर मुस्कान भी आई पर जो लोग मोबाइल के साथ मोबाइल उड़ाने वालों को भी सलाखों के पीछे देखना चाहते थे वो जरूर मायूस हुए। शहर में इस बात की चर्चा है कि पहाड़ी के पीछे मोबाइल का बैग मिला मगर उसे उड़ाने वाले कहां गायब हो गए।

अब लोग इस बात के इंतजार में हैं कि पता नहीं पुलिस की इस हाईटेक टीम को दोबारा सपना तब आएगा जब सारे मुलजिम सलाखों के पीछे होंगे। फिलहाल शहर के लोग सायबर टीम के सपनों के कायल हो गए हैं। महकमे के कुछ होनहार हिसाब किताब में लगे हैं 122 मोबाइल मतलब 122 मुलजिम.. तो समझ सकते है क्या हुआ होगा..!

 

निगम सरकार में सेटिंग का खेल

वैसे तो सुशासन की सरकार में 10 लाख के ऊपर सभी टेंडर ऑनलाइन हो रहे हैं लेकिन, नगर निगम में अभी भी सेटिंग से काम चल रहा है। निगम वाहन शाखा प्रभारियों की सेटिंग में अफसर मालामाल हो रहे हैं।

दरअसल निगम के तेज तर्रार आयुक्त ने वाहन शाखा में डीजल घोटाले पर सख्ती बरतते हुए स्वर्ण ध्रुव के कारोबार पर मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए प्रभारी तो बदल दिया, मगर सेटिंग का खेल अब भी जारी है।

नियम से होना यह था कि प्रभारी बदलते ही निविदा के माध्यम से पारदर्शी तरीके से गाड़ियों में ईंधन डलवाने के लिए निविदा मांगना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि सरकार मे सुशासन कागज में और अफसर सिक्के की खनक के लिए काम कर रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि वाहन शाखा के पूर्व प्रभारी वाहनो की मरम्मत के कार्य से खूब घी निकाले है। मरम्मत की जांच हो तो कई चौंकाने वाले भ्रष्टाचार का छक्का मारते कई चौंका-ने वाले तथ्य उजागर होंगे।

दिल है कि मानता नहीं..

सावन का महीना चल रहा है, हर ओर भोले नाथ अपनी कृपा बरसा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कुछ विधायक कांवड़ यात्रा लेकर बाबा धाम की परिक्रम कर आए हैं, जिसकी चर्चा है। इस बीच सीएम विष्णुदेव साय 30, और 31 तारीख को दिल्ली यात्रा पर निकलेंगे। इस बार सीएम की दिल्ली यात्रा खास होने वाली है।

संसद चल रही है तब सभी बड़े नेता वहां मौजूद रहेंगे। यानि मुलाकात करने के लिए अलग से अपाइंटमेंट लेने की झंझट भी नहीं होगी। सावन महीने में सीएम के दिल्ली दौरे की खबर से पार्टी के अंदरखाने में फिर हलचल शुरु हो गई है। जानकार बता रहे हैं इस बार कैबिनेट विस्तार पक्का होने वाला है। फेरबदल की अटकलें भी शुरु हो गईं हैं।

वैसे तो कैबिनेट में मंत्री के दो पद खाली हैं। मगर अब बात 13 की हो रही ​है। बताया जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में कैबिनेट को फुलफिल कर लिया जाएगा।
भाजपा के सीनियर विधायकों के पास तो बधाई के संदेशे भी पहुंच रहे हैं। हालांकि ये विधायक अभी चुप हैं मगर मन में लड्डू फूट रहे हैं। क्या करें..दिल है कि मानता नहीं..कोई बधाई आए तो मना थोड़ी ही करेंगे। बाकी की बात डमरू वाला जानें..।

अंदर की बात बाहर

हाल में रायपुर में कांग्रेस पॉलिटिक्ल अफेयर्स की बैठक रायपुर के राजीव भवन में हुई, बैठक में पार्टी अध्यक्ष मलिल्लकार्जुन खरगे ने पीसीसी और पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच चल रहे अफेयर्स को करीब से देखा। बंद कमरे में हुई इस बैठक के बाद अंतर कलह से जूझ रहे कांग्रेस नेताओं को खरगे ने दो टूक समझाइश देनी पड़ी। पहली यह कि मिल जुलकर काम करें, दूसरी अंदर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए।

लेकिन, खरगे की बात का असर कांग्रेस नेताओं पर हुआ हो ऐसा नहीं दिखा। चैतन्य बघेल की गिरफ्तार के विरोध में तेलीबांधा में भीड़ के सामने सड़क पर कांग्रेस के दो नेता एक दूसरे पर उंगली दिखा.दिखाकर आपस में भिड़ गए। तू.तू मैं.मैं से आगे और भी बहुत कुछ हुआ, वो भी सड़क पर जहां से भीड़ गुजर रही थी।

कुल मिलाकर खरगे की दो टूक समझाइश का कोई असर हुआ..? अंदर की बात बाहर करने वालों पर कोई एक्शन हुआ ? सदन में जनता की लड़ाई लड़ने की बात करने वाली कांग्रेस नेताओं की आपसी लड़ाई रूकी ? कुल मिलाकर शीर्ष नेताओं को इसका जवाब पार्टी के अं​दर और बाहर दोनों जगह तलाशना होगा..नहीं इस तरह की मीटिंग तमाशा होकर रह जाएंगी।

         ✍️अनिल द्विवेदी ,ईश्वर चन्द्रा

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