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Supreme Court: राज्यों में डिप्टी सीएम नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यह सिर्फ एक ओहदा है, कोई अतिरिक्त फायदा भी नहीं मिलता

नई दिल्ली/रायपुर। Supreme Court: देश के अलग अलग राज्यों में नियुक्त डिप्टी सीएम पद लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ एक ओहदा है, कोई अतिरिक्त फायदा भी नहीं मिलता है डिप्टी सीएम को।

Supreme Court: बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के बाद भाजपा सरकार ने प्रदेश में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 5 डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। इसी तरह देश के कुल 14 राज्यों में 26 उप मुख्यमंत्री कार्यरत हैं।

Supreme Court: सोमवार को राजनीतिक दल पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी की जनहित याचिका पर की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, राज्यों में डिप्टी CM की नियुक्ति संविधान के खिलाफ नहीं है। सुप्रीम अदालत ने कहा- यह सिर्फ एक ओहदा है, जो वरिष्ठ नेताओं को दिया जाता है। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति को कोई अतिरिक्त फायदा भी नहीं मिलता।

Supreme Court: किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं

Supreme Court: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा- सरकार में पार्टियों के गठबंधन या अन्य वरिष्ठ नेताओं को अधिक महत्व देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, डिप्टी CM की नियुक्ति को किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता। डिप्टी CM राज्य सरकार में पहला और सबसे अहम मंत्री होता है।

Supreme Court: पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने लगाई थी याचिका

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने लगाई थी। याचिका में दावा किया गया था कि संविधान में डिप्टी CM जैसा कोई पद नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। ऐसी नियुक्ति एक गलत उदाहरण पेश करती है। याचिका में इस बात का भी दावा किया गया था कि डिप्टी CM को मुख्यमंत्री की मदद के लिए नियुक्त किया जाता है। वह मुख्यमंत्री के बराबर होता है और उसे समान वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।

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