दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मामलों में बार-बार सामने आने वाली एक बड़ी समस्या पर चिंता व्यक्त की। इसमें ईमानदार खरीदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जब उनके आपूर्तिकर्ता जीएसटी जमा करने से बचने के लिए फर्जी चालान जारी करते हैं।
खरीदार की जिम्मेदारी पर सवाल
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि आपूर्तिकर्ता के गलत जीएसटी पंजीकरण के लिए खरीदार को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। सीजेआई ने कहा, “यदि सामग्री खरीदी गई है और भुगतान किया गया है, तो खरीदार को कैसे पता चलेगा कि आपूर्तिकर्ता फर्जी है? यह विभाग का काम है कि वह उचित जांच करे।”
फर्जी चालान का बढ़ता मुद्दा
कोर्ट ने कहा कि जीएसटी विभाग का कर्तव्य है कि वह पंजीकरण और चालान की वैधता सुनिश्चित करे। सीजेआई ने टिप्पणी की, जीएसटी अधिनियम के तहत उचित परिश्रम विभाग की जिम्मेदारी है। वास्तविक खरीदारों को इस समस्या का सामना क्यों करना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
सीजेआई ने स्पष्ट किया कि यदि यह समस्या हल नहीं हुई, तो न्यायालय कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, यह एक गंभीर मुद्दा है, और अगर इसे ठीक नहीं किया गया, तो हम इस पर कठोर कदम उठाएंगे।
जीएसटी विभाग के वकील ने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जा रहा है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं और इनपुट टैक्स क्रेडिट के बीच ऑनलाइन कनेक्शन स्थापित हो सके। हालांकि, सीजेआई ने कहा कि इस तरह के तंत्र से समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं होगा, क्योंकि बाद में फर्जी पंजीकरण की पहचान होने पर विवाद फिर खड़ा हो सकता है।
सीजेआई ने जोर देकर कहा कि समस्या का समाधान करदाता के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, खरीदार ने भुगतान किया है, सामग्री खरीदी है, लेकिन बाद में पता चलता है कि आपूर्तिकर्ता फर्जी था। यह समस्या लगातार बढ़ रही है, और इसे गंभीरता से लेना होगा।
जीएसटी विभाग ने आश्वासन दिया कि इस समस्या का व्यावहारिक समाधान खोजा जाएगा। लेकिन कोर्ट ने विभाग को खरीदारों के हित में जल्द और प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
बता दें कि फर्जी चालान और पंजीकरण के चलते करदाताओं को हो रही परेशानियों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। साथ ही कोर्ट ने विभाग को तंत्र विकसित करने और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।