
बाँकी थाने में जनाब की तीसरी पारी, महकमें में चर्चा
जिले के पुलिस महकमें में तबादले से तीसरी बार निरीक्षक चमन सिन्हा बाँकी थानेदार बने हैं। अब ये साहब तीन बार के थानेदार वाले रिकार्ड में शामिल हो गए हैं। एक वो दौर था जब जिला पुलिस में नारी शक्ति का दबदबा था। उस कार्यकाल का याद ताजा करते हुए महकमे के वीर सिपाही श्रुति सिंह के कार्यकाल और किरदार को याद करते थकते नहीं है।
जनाब की बाँकी थाने में तीसरी पारी को लेकर महकमें में बातें होने लगी हैं। सूत्रधार की माने तो साहब का तबादला जब कोरबा हुआ तो पहली पोस्टिंग बाँकी मोगरा मिली थी। दूसरी बार फिर बांकी मोगरा जाने का सौभाग्य तेज तर्रार आईपीएस अफसर के कार्यकाल में हुआ। तीसरी बार उन्हें बांकी मोगरा का थानेदार बनाकर कार्यकाल को यादगार बनाने का काम एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने पूरा कर दिया।
वैसे बॉकी मोगरा में नीति पर चलने वाले थानेदार ही चलते है। क्योंकि, विवाद कोयलांचल में होना कोई नई बात नहीं है। पूर्व में थानेदारी कर रहे तेज ललाट वाले साहब कंट्रोवर्सी की वजह से हटाए गए हैं। लिहाजा चमन के राज में अमन में शांति की बात की जा रही है। यही वजह है उनके कार्यकाल पर श्रुति सिंह का किरदार स्थानीय लोगों को नजर आ रहा है।
DEO दफ्तर में इश्क की जंग और कुर्सी का षड्यंत्र
शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले दफ्तर में इन दिनो इश्क की जंग और कुर्सी के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है। चारित्रिक हनन का आरोप लगाकर डीएमसी को डिस्टर्ब करने के खेल में कार्याली के कई रंगे सियारो के शामिल होने की बात सुर्खियां बटोर रही है।
एक कहावत है जिसका काम न खराब कर सको तो उसका नाम खराब कर दो। ठीक इसी शैली में शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी काम कर रहे है। एक महिला एपीसी ने डीएमसी के खिलाफ महिला उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जांच की मांग डीईओ से की है। विभागीय सूत्रधार की माने तो कुछ समय पहले पूरा स्टॉफ पिकनिक गया था उस समय डीएमसी पर आरोप लगाने वाली ने एपीसी ने साहब के साथ खूब फोटो शूट कराया था और उस पल को इंजॉय किया था। समय गुजरा तो ऐसा क्या हुआ कि वे साहब पर आरोप लगाने लगी। घटनाक्रम से जुड़े जानकर कहते है बात जो भी हो पर “रार” एक अधिकारी और एक महिला अधिकारी के बीच फंस गया है। कहा भी गया जब पड़ोसी का घर जल रहा हो तो कई लोग उसमें रोटी सेंक लेने में ही भलाई समझते है। सो अधिकारी से बदला लेने के लिए बहती गंगा में हाथ धोने के लिए कुछ शिक्षक व्यक्ति की शक्ल में साबुन लगा रहे है। बहरहाल इश्क और जंग दोनो में बदनामी होना तय है सो इन दिनो शिक्षा विभाग में बदनामी का धुंआ जमकर उड़ रहा है।
खनिज तस्करो का है जमाना ,आधा हकीकत आधा फसाना….
रेत तस्करो के माइनिंग डिपार्टमेंट में हाई लेबल की सेटिंग को लेकर चर्चा छिड़ गई है। 24 घंटे के भीतर गाड़ी छूटने को लेकर जनमानस में शोर है – “न अफसर कोरबा में थे और न इंस्पेक्टर तो कैसे पट गया जुर्माना..! साहब यही तो है खनिज तस्करो की आधा हकीकत और आधा फसाना।”
बात बीते गुरुवार शाम को सीतामणी क्षेत्र से पकड़े गए जेसीबी और ट्रैक्टर की है। तहसीलदार, माइनिंग अफसर और पुलिस टीम के साथ सीतामणी क्षेत्र से अवैध तस्करी में जुड़े चर्चित लोगो के गाड़ियों के पहिए को लॉक किया था। शहर के लोग कार्रवाई की जमकर सराहना कर रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये कार्रवाई पब्लिक के आंखें सिर्फ धूल झोंकने भर का है। हुआ भी यही जब्त वाहनों को छुड़ाने तस्करो ने इस कदर जुगाड़ लगाया कि बिना इंस्पेक्टर और अफसर 24 घंटे के भीतर जुर्माना भर कर गाड़ी छुड़ाने कामयाब हो गए। प्रशासन पर दबाव बढ़ा तो गाड़ियों का पेपर आरटीओ भेजा गया। गाड़ी का जुर्माना पटने के बाद एक तरफ तस्कर और माइनिंग डिपार्टमेंट के आंख मिचौली के खेल से वाहन चालक मूंछों पर ताव देकर खुशी का जता कर रहे है। तो दूसरी ओर जनमानस बेबस माइनिंग डिपार्टमेंट पर तंज कस रहे हैं…” तस्करो का है जमाना.. क्योंकि आधा हकीकत और आधा है फसाना।”
मंत्रीजी की क्लास, बताइए…डेढ़ साल में क्या किया
साय मंत्रिमंडल के डेढ़ साल बाद राजधानी के रायपुर के बीजेपी मुख्यालय में पार्टी संगठन ने मंत्रियों की क्लास लगा दी। सतही तौर पर तो ये रूटिन बैठक थी मगर इस बैठक में सरकार के कई मंत्री पसीना पसीना हो रहे रहे थे। असल में संगठन को मिली शिकायत में कई मंत्रियों के कामकाज से पार्टी कार्यकर्ता जबरदस्त नाराज दिखाई पड़े। इन मंत्रियों की शिकायत रायपुर से दिल्ली तक पहुंची थी। ऐसे मंत्रियों को शिव प्रकाश व नितिन नबीन ने दो टूक नसीहत दी कि वो अपना परफार्मेंस सुधारें नहीं तो दूसरे को मौका दें।
खबरीलाल की माने तो कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के बाद राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने बारी- बारी से मंत्रियों को अपने कक्ष में बुलाकर परफार्मेंस ऑडिट की। इस दौरान मंत्रियों से उनके कामकाज की रिपोर्ट ली गई। साथ मंत्रियों से ये भी पूछा गया कि मंत्रीगिरी के अलावा उन्होंने डेढ़ साल में क्या किया।
मंत्रियों की क्लास के बाद अब प्रदेश सरकार कार्यकर्ताओं की पूछ परख होने लगी है। हालांकि ऐसा कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है। कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार करने वालों को संरक्षण देने के भी आरोप लग रहे थे। इससे सरकार की छवि पर असर पड़ रहा था। इसे देखते हुए संगठन ने मंत्रियों की परफार्मेंस ऑडिट के जरिए उनको सख्त चेतावनी दी है। जिन मंत्रियों को नसीहत मिली है वो कार्यकर्ताओं को मनाने में लगे हैं। पता नहीं अगले फेरबदल में कुर्सी रहे न रहे।
प्रशासनिक मुखिया की तलाश
इस महीने के आखिरी तक प्रदेश सरकार को नया प्रशासनिक मुखिया मिल जाएगा। मुख्य सचिव, अमिताभ जैन 30 जून को रिटायर हो जाएंगे। उनके बाद राज्य का अगला मुख्य सचिव कौन होगा, इसकी अटकलें शुरू हो गई हैं। छत्तीसगढ़ में इस वक्त 1991 बैच की अतिरिक्त मुख्य सचिव रेणु पिल्ले, 1992 बैच के सुब्रत साहू 1994 बैच की ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ
इस वक्त छत्तीसगढ़ में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं 1993 बैच के अमित अग्रवाल, 1994 बैच की निधि छिब्बर, विकासशील प्रतिनियुक्ति पर प्रदेश से बाहर सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू, ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ की स्वाभाविक दावेदारी सबसे अधिक प्रबल है।
छत्तीसगढ़ में वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव पद के प्रमुख दावेदारों में महिला अधिकारी रेणु गोनेला पिल्ले का नाम है। वे 1991 बैच की आईएएस हैं। वर्तमान में वे एसीएस के रूप में सेवाएं दे रही हैं। उनके बाद के क्रम में सुब्रत साहू हैं जो 1992 बैच के आईएएस हैं। श्री साहू भी एसीएस के रूप में कार्य कर रहे हैं।
इन दोनों दावेदारों के बीच तीसरे दावेदार के रूप में अमित अग्रवाल का नाम चर्चा में है। वे 1993 बैच के आईएएस हैं। वे वर्ष 2016 से केंद्रीय सरकार की प्रतिनियुक्त पर दिल्ली में हैं। वर्तमान में वे यूआईडीएआई के सीईओ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। खबरीलाल की माने तो स्वाभाविक दावेदार के रूप में इन तीन अधिकारियों के नाम फिलहाल चर्चा में हैं।