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SBI के वरिष्ठ क्लर्क सुरेंद्र पाल सिंह का दर्द भरा पत्र…! लिखा- ‘रोज की बेइज्जती से थक गया हूं…? अब हुआ लापता यहां देखें Letter

परिजनों की पीड़ा और पुलिस की कार्रवाई

आगरा, 22 अगस्त। SBI : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की छीपीटोला स्थित हाउसिंग लोन शाखा के वरिष्ठ क्लर्क सुरेंद्र पाल सिंह (40 वर्ष) के अचानक लापता होने से हड़कंप मच गया है। 18 अगस्त को घर से निकले सुरेंद्र पाल अपने भांजे को एक पत्र सौंप कर यह कहकर निकले कि वे ‘दवा लेने जा रहे हैं’, लेकिन फिर लौटकर नहीं आए।

इससे पहले उन्होंने एक भावुक और दर्द भरा पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर बैंक के भीतर हो रहे मानसिक उत्पीड़न और अपमानजनक व्यवहार का विस्तार से जिक्र किया है।

क्या लिखा था पत्र में?

सुरेंद्र पाल सिंह द्वारा लिखे गए इस पत्र में उन्होंने कहा- “अब मैं और अपशब्द, गाली-गलौज नहीं सुन सकता। रोज की बेइज्जती से बहुत परेशान हो चुका हूं…मेरी मानसिकता जवाब दे चुकी है…अगर कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार एजीएम विक्रम कुमार धेजा होंगे।” उन्होंने आरोप लगाया कि एजीएम विक्रम कुमार धेजा उनके साथ स्टाफ और ग्राहकों के सामने अपमानजनक भाषा और व्यवहार करते थे। पत्र में यह भी उल्लेख है कि, उन पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं, वेतन रोकने और अनचाही ट्रांसफर की धमकियां दी जाती हैं।

सुरेंद्र पाल ने यह भी लिखा कि वह पहले से ही हाईपरटेंशन, एंग्जाइटी, सर्वाइकल और स्लिप डिस्क जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में इस तरह का मानसिक दबाव असहनीय हो गया है।

परिजनों की पीड़ा और पुलिस की कार्रवाई

सुरेंद्र पाल के परिजनों का कहना है कि दो दिन बीतने के बावजूद उनका कोई सुराग नहीं लगा है। उन्होंने आगरा पुलिस से एफआईआर दर्ज कराई है और पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार से व्यक्तिगत रूप से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है।

उनके भाई मनोज पाल सिंह, जो गुजरात में एक बैंक में कार्यरत हैं, ने भी इसे कार्यस्थल पर मानसिक उत्पीड़न का गंभीर मामला बताते हुए सोशल मीडिया पर अपील की है।

डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि, “थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच जारी है और पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है कि सुरेंद्र पाल को जल्द से जल्द सुरक्षित ढूंढा जा सके।”

मानसिक उत्पीड़न का गंभीर पहलू

यह मामला न सिर्फ एक बैंक कर्मचारी (SBI) के लापता होने की चिंता बढ़ाता है, बल्कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य, सम्मान और कार्य का माहौल कैसा होना चाहिए, उस पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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