भोपाल। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विवेक गौर ने जमानत पर आपत्ति प्रस्तुत की। न्यायालय ने माना कि अपराध की गंभीरता तथा अन्वेषण में आरोपित से पूछताछ किए जाने की आवश्यकता है और आरोपित की अनुपलब्धता के तथ्य को ध्यान में रखते हुए उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता ।
वकील ने कहा- सौरभ नहीं लेता कोई पेंशन
सौरभ की ओर से ग्वालियर से उसके अधिवक्ता उपस्थित हुए। सौरभ के अधिवक्ता आरके पाराशर ने बताया कि आरोपित छापामारी के समय लोक सेवक नहीं था। न्यायालय में अपनी दलील में उन्होंने कहा कि सौरव पीसी एक्ट में लोक सेवक की परिभाषा के अंतर्गत ही नहीं आता है। उसने वर्ष 2023 में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और वह सरकार से किसी तरीके की पेंशन प्राप्त नहीं करता है।
चौंकाने वाली बात है कि पूर्व आरक्षक अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी में आया था और मात्र छह से सात वर्ष नौकरी कर उसने पद से वीआरएस ले लिया था। अगर उसे जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह लोकायुक्त जांच में उनका पूरा सहयोग करेगा।
मां ने झूठा शपथ पत्र देकर सौरभ शर्मा को दिलाई थी अनुकंपा नियुक्ति
इस बीच, पता चला है कि सौरभ को नौकरी दिलाने के लिए उसके पिता डॉ. राकेश कुमार शर्मा के निधन के बाद उसकी मां उमा शर्मा ने षड्यंत्र रचा। उनका बड़ा बेटा सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी में था, लेकिन उन्होंने झूठा शपथ पत्र दिया।
नियुक्ति के लिए दिए गए शपथ पत्र में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी का सच छिपाया। शपथ पत्र में लिखा था- बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहता है, वह शासकीय सेवा में नहीं है।