कप्तान पर थानेदारों की “नजर
जिस तरह चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र में बरसने वाले पानी का अपनी प्यास बुझाने के लिए प्रतीक्षा करता है। ठीक उसी तरह ऊर्जाधानी के कुछ ऊर्जावान थानेदार एसपी के स्थानांतरण सूची के बिना जारी हुए स्वयं ही समीक्षा कर रहे हैं।
दरअसल सूबे की सरकार बदलने के बाद आईएसएस अफसरों का स्थानांतरण हो चुका है और अब आईपीएस सूची जारी होने की चर्चा है। स्थानांतरण सूची की प्रतीक्षा बड़े अफसरों के साथ जिले के जांबाज थानेदारों को भी है क्योंकि ऊर्जाधानी में कोयला और डीजल से ऊर्जा के साथ रेत से तेल और सट्टा जुआ के खेल से थानेदारी चमकाने वाले थानेदार कप्तान की कप्तानी पारी से हताश हैं।
उनका हताश होना भी जायज भी है क्योंकि थानेदार कोरबा पोस्टिंग ही कुछ पाने और गीत गुनगुनाने के लिए कराते हैं। सो जब तक कुछ बड़ा न हो थानेदारी का मजा कैसा..! पुलिस के पंडितों की माने तो जिले में अवैध कामों को सिर्फ हवा देने टीआई जोर आजमाइश कर चुके हैं लेकिन, साहब के सिद्धांत के आगे उनकी एक न चल सकी।
सो अब ऐसे थानेदारों को मात्र स्थानांतरण के संबल में अपना बल नजर आ रहा है। हालांकि उनकी मनोकामना पूरी होगी या नहीं यह तो बाद की बात है..। चर्चा तो इस बात की भी जोरों पर है कि कुछ अवैध कारोबारी भी थानेदारों के साथ उठक बैठक कर साथ में गीत “हम होंगे कामयाब एक दिन” गुनगुना रहे हैं।
DMF के सीसी गैंग..
डिस्ट्रिक मिनिरल फंड पर पिछली भाजपा की सरकार में सीसी गैंग हावी रहा। सो इस बार भी सीसी रोड बनाने वाले गैंग नई सरकार के मंत्रियों के इर्द गिर्द मंडराने लगे हैं। वैसे तो पूर्ववर्ती सरकार में सीसी रोड बनाने वाले गैंग रिटर्निंग वॉल बनाकर करोड़ों का काम कर जिले में भ्रष्टाचार की ऐतिहासिक रचना कर चुके हैं। अब फिर वही गैंग किरदार बदलकर सरकार में मंत्रियों को साधने के जुगाड़ का मंतर मंत्री तक फूंकने में लगे हैं।
सूत्र बताते हैं कि डीएमएफ माफिया फिर से सक्रिय है और सरकार के दमदार अधिकारियों को अलग अलग स्कीम और मुनाफा बता रहे हैं। हालांकि चर्चा इस बात की भी है कि अभी डीएमएफ की रकम पर चर्चा होगी लेकिन खर्चा नहीं होगा। ये बात अलग है कि कुछ खास लोगों को स्पेशल ट्रीटमेंट देते हुए कहीं अलॉटमेंट दिया जा सकता है।
जैसे हाल में कॉफी पॉइंट की साज सज्जा और कैफेटेरिया के लिए फंड दिया गया। सो अब पहले की तरह आंख बंदकर अंधाधुंध रकम खर्च की आस में लगे लोग निराश होंगे.. फिर भी इसके डीएमएफ गैंग जहां चाह वहां राह की आस में प्रोजेक्ट..र बनाकर प्रेजेंटेशन करने चूक नहीं रहे हैं।
खनिज संपदा के दो अनमोल रत्न..
खनिज संपदा डिपार्टमेंट के दो अनमोल रत्न हैं एक दिलीप और एक ..खन जी हां इस बात की चर्चा सारे खनिज संपदा के कारोबारियों में जमकर हो रही है। खबरीलाल की माने तो साहब ने इन दो अनमोल रत्नों के लिए डिपार्टमेंट में लंबे समय से चल रहे नियम को ही बदल दिया है।
माइनिंग के जानकारों की माने तो हर महीने डिपार्टमेंट में अटैच नगर सैनिकों को अल्टरनेट तबादला किया जाता है। प्रभार बदलने का कारण गोपनीयता बरतने को बताया जाता रहा है। एक कारण यह भी माना जाता है कि लंबे समय से एक स्थान पर ड्यूटी करने से खनिज संपदा का दोहन करने वाले के प्रभाव, दबाव और अभाव में आकर काम न कर सके। लेकिन, पिछले चार महीने से माख.. और..दिली.. कार्यालय में पदस्थ हैं, जो पूरे डिपार्टमेंट की फजीहत कराते हुए खनिज तस्करों के साथ कदमताल कर रहे हैं।
साहब की टीम जब कार्रवाई के लिए निकलती है उससे पहले ही तस्करों को सूचना मिल जाती है कि अब रेत घाट पर रेड पड़ने वाली है। यही कारण है कि ज्यादातर कार्रवाई में विभाग के अधिकारियों को सफलता नहीं मिलती है। कहा तो यह भी जा रहा है कार्यालय में ड्यूटी का समय 10 बजे से शुरू होता है जबकि, ये दोनों अनमोल रत्न सुबह 7 बजे से बाइक में ड्यूटी करते ट्रैक्टर मालिकों के पास पहुंच जाते हैं।
मतलब साफ है ड्यूटी कम और अपने उद्देश्य पर ज्यादा फ़ोकस करते हैं। अब बात धनगांव से निकलने वाले सफ़ेद सोना की ही ले लीजिये। अफसर दो दिन से अवैध परिवहन कर रहे वाहनों को पकड़ने घूमते रहे और तस्कर हाइड एंड सिक का खेल खेलते रहे..!
सभी को दर्द तो दवा कौन देगा !
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का दर्द से कांग्रेस के नेता अभी तक उबर नहीं पाए हैं। मौके बेमौके उनका दर्द झलक उठता है। फिर हो चाहे दिल्ली में पार्टी को मिली हार की समीक्षा बैठक हो या फिर दिल्ली से लैंड किए गए किसी नेता….सभी के सामने अपना दुखड़ा सुनाने से वो खुद को रोक नहीं पाते।
अब नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत को ही ले लिजिए….कुमारी सैलजा की छुट्टी करने के बाद जब दिल्ली के सचिन पायलट कांग्रेस का दर्द दूर करने मरहम लेकर रायपुर पहुंचे तो सबसे पहले महंत ही अपना दुखड़ा लेकर वहां पहुंच गए। उनके मुंह से निकल गया क्या करें….हार के बाद हमलोग एक-दूसरे से मुंह चुरा रहे हैं और न ही एक-दूसरे से नजर मिला पा रहे हैं। यह सभी की हालत है। इस परिणाम से हम सभी दुखी हैं।
आगे लोकसभा चुनाव और सूबे के कांग्रेस नेताओं का दुखी हाल देख कर सचिन पायलट खुद अपना दुख भूल गए जो उनको पिछले 5 साल में अशोक गहलोत ने दिया था। फिर भी कुछ तो करना ही था…तो उन्होंने दिल्ली से लाया गया मरहम नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के हाथ में पकड़ा दिया।
सचिन पायलट ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि चिंता मत करो पार्टी हाईकमान ने दर्द की दवा भिजवाई है ये मरहम लगाओ और काम पर लग जाओ।इस बार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपने काम के दम और संगठन की ताकत पर दोबारा सरकार बनाएगी। पायलट ने ये समझा दिया कि जब सभी को दर्द है तो दवा कौन देगा ! सो अब दवा बांटने का काम महंत को ही करना होगा।
राम वनगमन पथ से एजेंसियों की छुट्टी
22 को अयोध्या में भगवान राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी को लेकर पूरा देश राममय हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी जबरा उत्साह दिख रहा है। सरकार के मंत्री मंदिरों की सफाई कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश संस्कृति विभाग भला कैसे पीछे रहता सो उसने राम वनगमन पथ के निर्माण में लगी एजेंसियों की सफाई करना शुरु कर दी। अभी राम वनगमन पथ परियोजना का काम दो एजेंसियों द्वारा कराया जा रहा है, जिसका मार्च में अनुबंध समाप्त हो जाएगा। यानि मार्च के बाद नई टेंडर जारी होंगे।
मतलब साफ है कि भूपेश सरकार में सत्ता की पथ परिक्रमा करने वालों की दाल अब गलने से रही। वैसे भी पर्यटन विभाग राम वनगमन पथ में 20 नए स्थल शामिल करने की तैयारी कर चुका है। इन स्थलों को चिह्नित कर उनके विकास की नई कार्ययोजना भी तैयार हो चुकी है। बस बजट का इंतजार है इसके बाद काम शुरु हो जाएगा। विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल परिक्रमा पथ में छूटे हुए स्थानों को जोड़ने के लिए हरी झंडी दे चुके हैं। अब बारी अफसरों की है।
वैसे भी सरकार राजिम कुंभ को भव्य मनाने की मंजूरी दे चुकी है। यानि आने वाले 5 साल में छत्तीसगढ़ के विष्णुलोक में पूरा राज्य राममय रहने वाला है जो पर्यटन और संस्कृति विभाग के ठेकेदार भी अब राम भजन में लग गए हैं।