Raipur News : बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों के लिए “JJ Act और POCSO Act” पर विशेष प्रशिक्षण सेमिनार आयोजित
छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार 5 सितंबर 2024 को "किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) और पोक्सो अधिनियम (POCSO Act)" पर एक दिवसीय विशेष सेमिनार का आयोजन सिविल लाइन्स स्थित नया सर्किट हाउस में किया गया।
Raipur News : छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार 5 सितंबर 2024 को “किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) और पोक्सो अधिनियम (POCSO Act)” पर एक दिवसीय विशेष सेमिनार का आयोजन सिविल लाइन्स स्थित नया सर्किट हाउस में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को इन महत्वपूर्ण कानूनों की जानकारी देना और उनकी क्षमता में वृद्धि करना था, ताकि बाल सुरक्षा और अधिकारों से जुड़े मामलों में प्रभावी कार्रवाई हो सके।
प्रमुख अधिकारियों में रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा, उपमहानिरीक्षक मिलना कुर्रे, और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार सिंह शामिल थे। इस कार्यक्रम में रायपुर, दुर्ग, और राजनांदगांव जिलों के 13 विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) के अधिकारी, 194 बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, महिला सुरक्षा टीम के सदस्य और रायपुर के आईयूसीएडब्लू (IUCAW) स्टाफ ने हिस्सा लिया। Raipur News
( Raipur News) प्रशिक्षण के दौरान मुख्य बिंदु:
1. प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया – जेजे अधिनियम के नियम 8 के तहत जघन्य अपराधों में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई, जबकि सामान्य अपराधों के लिए रोजनामचा/डीडी एंट्री कर मामले को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
2. अपराधों के प्रकार और प्रक्रिया – सामान्य और गंभीर अपराधों में प्रारूप 2 भरकर बच्चों को उनके परिजनों या अभिभावकों के हवाले करने की जानकारी दी गई।
3. रात्रि में गिरफ्तारी से बचाव – रात्रिकालीन गिरफ्तारी से बचने की सलाह दी गई, और अगर जरूरी हो, तो बच्चों को संप्रेषण गृह में रखने पर जोर दिया गया।
4. अज्ञात बच्चों के मामलों में कार्यवाही – अगर जांच के दौरान अज्ञात बच्चे पकड़े जाते हैं, तो अपराध का स्वरूप तैयार कर उन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश करने की प्रक्रिया समझाई गई।
5. उम्र की जांच – किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 के अनुसार बच्चों की उम्र संबंधी जांच और दस्तावेजों की अनुपस्थिति में बोर्ड/समिति के आदेशानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
6. यौन शोषण के मामले – यौन शोषण के मामलों में तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर पीड़ित बच्चों के सर्वोत्तम हित में उचित कार्रवाई करने की बात कही गई।
7. नशा सेवन के मामलों में पुनर्वास – नशा सेवन करने वाले बच्चों को CNCP (देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे) की तरह मानते हुए उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए।
8. देखरेख और संरक्षण के बच्चों की पहचान – चर्चा की गई कि कौन से बच्चे देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता के तहत आ सकते हैं, और उनके प्रति क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
इस प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को उनके जिलों में बाल सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर्स, जैसे बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, और विशेष किशोर पुलिस इकाई, की जानकारी भी दी गई। Raipur News
यूनिसेफ की चेतना देसाई (बाल संरक्षण विशेषज्ञ), गीतांजली (स्टेट कंसल्टेंट), और कॉउंसिल टू सिक्योर जस्टिस की निमिषा श्रीवास्तव एवं उर्वशी तिलक ने इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण दिया। यह सेमिनार बाल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले पुलिस अधिकारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुआ, जिससे उन्हें नए दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुईं। Raipur News