खाकी, खाली और गेट पर…
खाकी जब ठान ले तो दिन को रात और रात को दिन बना सकती है। इस युक्ति को नदी उस पार के थानेदार ने सच कर दिखाया है। क्योंकि साहब ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसके बाद जनमानस को खून पसीने की कमाई से खड़ी की गई की इमारत खाली होने आस जगी है तो डिपार्टमेंट के लोग सात तोपों की सलामी देने पहुंच गए।
दरअसल जिले में एक ऐसे थानेदार भी हैं जो कोर्ट के डिसीजन को सुपरशीट करते हुए दुकान खाली कराने पहुंच गये। यही नहीं खाकी का रौब दिखाते हुए दुकानदार को जमकर लताड़ भी लगा दी। अब थानेदार की कार्रवाई से क्षुब्ध होकर पीड़ित ने बड़े साहब का दरवाजा खटखटाया है। दूसरी तरफ वास्तव में जिनकी जमीन दबंगों ने कब्जा किया है, उन निरीह लोगो को कप्तान से अनुनय विनय कर जमीन से कब्जा हटाने की उम्मीद जगी है।
वैसे तो पुलिस जमीन के मामले को दीवानी मामला बताते हुए कोर्ट जाने की सलाह देती है, लेकिन दुकान खाली कराने के मामले में खुद साहब खाली कराने निकल पड़े।साहब की कार्रवाई को देख जिले के जांबाज खिलाड़ी भी सोच में पड़ गए है कि ” ऐ भाई इतना हिम्मत लाता कहां से है..?” पुलिसिया कार्रवाई को देखते हुते जनमानस को शूटआउट एंड लोखंडवाला का ये संवाद “मुजरिम मां के पेट मे कम पुलिस के गेट पे ज्यादा बनते है” की बरबस याद दिला रहा है।
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IPL सट्टा.. पुलिस के साख में बट्टा
कहते हैं पैसा पैसे को खींचता है ” ये बात बिल्कुल सच है.. शहर के कुछ सटोरिये पैसा से पैसे से खींच रहे हैं। वैसे तो आईपीएल मैच का रोमांच बढ़ता जा रहा है तो सट्टा बाजार में भी जमकर पैसा बरस रहा है। शहर में आपसी सहमति से चल रहे सट्टे से पुलिस की साख पर बट्टे लग रहें हैं। यही वजह है कि इस सीजन सटोरियों को पकड़ने पुलिस इंट्रेस्टेट नही दिख रही।
लिहाजा सट्टे में सक्ती के चुलबुल पांडे की एंट्री हुई और शारदा विहार में बैठकर सट्टा संचालित करने वाले एक बुकी को सक्ती पुलिस ने बुक किया है। सक्ती पुलिस की सख्ती से ऊर्जाधानी के ऊर्जावान पुलिस का पॉवर डाउन हो गया है। कहा तो यह भी जा रहा है आईपीएल बुकी हॉटल और फॉर्म हाउस में बैठकर सट्टा संचालित कर रहे है और शहर में उनके गुर्गे दुकान की आड़ में कलेक्शन सेंटर का काम कर रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है शहर एक कारोबारी सट्टा में इस कदर उतर गया कि उसे उबरने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। मसलन उन्होंने व्यापारियों की रकम वापस लौटा से हाथ खड़ा कर दिया। इसकी चर्चा जन जन में होने के बाद भी पुलिस सटोरियों को पकड़ने रुचि तो छोड़िए इन्क्वारी भी नहीं लगा रही । इससे खाकी की साख में बट्टा लगने की बात के साथ साथ हिस्सा बंटने की बात की जा रही है। लेकिन, जिस तत्परता से सक्ती पुलिस की कोरबा इंट्री हुई उससे तो कोरबिहा पुलिस की कार्यशैली पर यक्ष प्रश्न खड़े होते हैं।
चुनावी चंदा गंदा है पर धंधा है..
शहर में यह पहली दफा है जब चुनावी चन्दे पर चौक चौराहों में चर्चा हो रही है और मतदाता कहते फिर रहे हैं क्या करें भाई गंदा है पर धंधा है..। वैसे तो अब तक बड़े बड़े उद्योग घराने और पार्टी के भामाशाह ही चंदा देकर चुनाव में रकम लगाते रहे हैं। लेकिन, यह पहला मौका है जब कबाड़, कोयला और ठेकेदारों से चंदा लेने की बात जनता के बीच खलबली मचा रही है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी कार्यकर्ता की जेब में शहर के ऐसे कारोबारियों की लिस्ट है जो बिना हो हल्ला के चंदा दे सके। वैसे तो चंदा को एक तरह का गुप्त दान कहा जाता है जो चंदा देने वाले के सामर्थ्य और आस्था पर निहित होता है। लेकिन, जब चंदा प्रोटक्शन मनी के रूप में वसूला जाता है तो यह देने वाले की सामर्थ्य से नहीं लेने वाले की क्षमता पर निर्भर करता है।
कोरबा लोकसभा के चुनाव में भी चंदा प्रोटेक्शन मनी की तर्ज पर वसूलने की चर्चा है। चुनावी पंडितों की माने तो शहर के कबाड़ कारोबार से जुड़े कुछ लोगों से चंदा यानी प्रोटक्शन मनी डिमांड भी गई। हालांकि कारोबारियों से चंदा लिया गया या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
महादेव की कृपा और अफसर
छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा ऐप पर ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू की छापे मारी जारी है। चुनावी मौसम में रोज नई नई गिरफ्तारियां हो रही हैं। ईडी को पर्याप्त सबूत और गवाह भी मिल रहे हैं। इसलिए उनका नाम परिवाद में शामिल करने की तैयारी है। खबरीलाल की मानें तो पिछली सरकार के कुछ प्रभावशाली अफसरों और इससे जुड़े लोगों पर भी जांच एजेंसी की नजर है।
दिल्ली और गोवा से राहुल वटके व रितेश यादव की गिरफ्तारी और जेल में बंद एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, कारोबारी सुनील दम्मानी और सतीश चंद्राकार से आमने-सामने पूछताछ के बाद उन अफसरों पर नजर रखी जा रही है, जिनकी संपत्ति कई गुना बढ़ गई है।
कहा जा रहा है दुर्ग भिलाई और कुछ बड़े शहरों में महादेव सट्टा ऐप मामले में जांच के दायरे में आए अफसरों की संपत्ति का ब्यौरा जांच एजेंसी तक पहुंच चुका है। पूरी पड़ताल के बाद इन अफसरों पर भी महादेव की कृपा हो हो सकती है। इनमें मंत्रालय के आलाव कुछ आईपीएस भी शामिल हैं। इनके अलावा टेलीकॉम कंपनी और बैंक अफसर भी ईडी के चपेटे में आ सकते हैं। कहा तो ये जा रहा है कि लोकसभा चुनाव निपटने के बाद जांच और तेज होने वाली है।
राधिका के ”राम” (Radhika’s “Ram”)
Radhika’s “Ram”- कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा राजीव भवन में बैठकर रोती रहीं…, आंसू बहाए गला भी रुंधा मगर कहीं से भी दो बोल सहानुभूति के सुनने को नहीं मिले। आखिरकार उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी। जिस पार्टी को उन्होंने अपने 22 साल से ज़्यादा वक्त दिया उसकी बात सुनने के लिए पार्टी के बड़े नेता दो मिनट का वक्त भी नहीं निकाल पाए।
Radhika’s “Ram”- मीडिया कांफ्रेस में पत्रकारों के सामने अपने ही राष्ट्रीय प्रवक्ता का ऐसा अपमान प्रेस ने भी पहली बार देखा। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे राधिका का कहना है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि उसने हिंदू सनातनी होने के कारण अयोध्या जाकर भगवान राम के दर्शन करने की गुस्ताखी की, जिसकी सजा उसे अपमानित करके दी जा रही है।
Radhika’s “Ram”- भगवान राम के प्रति श्रद्वा से भरे प्रेम में राधिका के मन जो कुछ दबा था वो उनकी जुबान पर आ गया। मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे में राधिका ने उन कारणों बताया जो जिनकी वजह से उन्हें अपमानित होना पड़ा। लेकिन, उन्हें अपने हिंदू होने पर गर्व हैं। अब कोई उनकी पार्टी के नेताओं को कैसे समझाए कि राधिका के लिए कृष्ण और राम एक ही है। हर हिंदू की आत्मा में राम रामे हुए हैं। राम मंदिर का दर्शन करना कोई गुनाह नहीं है।
Radhika’s “Ram”- इससे पहले भी कांग्रेस के कई नेता राम मंदिर के मुद्दे पर पार्टी की लाइन से इतर जाकर अयोध्या में रामलला के दर्शन किए और आखिरकार उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र और पार्टी में महिलानेत्रियों के सम्मान पर सवाल उठना स्वाभाविक है। मैं लड़की हूँ लड़ सकती हूँ,की पैरोकार वाली कांग्रेस को अपने की पार्टी में महिलानेत्रियों को न्याय और सम्मान कैसे हो इस पर गौर करना चाहिए.. नहीं तो आज राधिका रोते हुई निकली कल किसी और के आंसू फूट पड़ेंगे।