Korba NTPC की CSR नीति पर उठे सवाल…! 2600 मेगावाट बिजली लेकिन गांवों में उजाला नहीं
सिर्फ आंकड़ों का विकास, ज़मीन पर कुछ नहीं

कोरबा, 23 अगस्त। Korba NTPC : देश के सबसे बड़े बिजली उत्पादकों में से एक नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (NTPC), कोरबा की सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में की गई गतिविधियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2600 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली यह कंपनी पूरे वर्ष भर में सिर्फ 6.24 करोड़ रुपए ही CSR मद में खर्च कर पाई है, वो भी बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, बिजली या ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक भी रुपया खर्च किए बिना।
CSR खर्च का ब्योरा (2023-24)
क्षेत्र | खर्च (रुपए में) |
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पर्यावरण सुधार | ₹4.31 करोड़ |
स्वास्थ्य सुधार | ₹88 लाख |
शिक्षा | ₹53 लाख |
ग्रामीण विकास | ₹23 लाख |
खेल | ₹17 लाख |
कला एवं संस्कृति | ₹12 लाख |
कुल खर्च | ₹6.24 करोड़ |
बुनियादी सुविधाओं पर ‘शून्य’ निवेश
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सीएसआर के तहत एक भी कार्य ऐसा नहीं है जो कोरबा के स्थानीय समुदाय की बुनियादी जरूरतों जैसे सड़क निर्माण, स्वच्छ पेयजल, बिजली कनेक्शन, जल निकासी या स्थायी ग्रामीण विकास से जुड़ा हो।
खर्च का ब्योरा भी अस्पष्ट
पर्यावरण सुधार मद में खर्च किए गए ₹4.31 करोड़ की राशि का ब्योरा NTPC प्रबंधन द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि ये कार्य किस स्थान पर, किन साधनों और किन उद्देश्यों के लिए किए गए।
बड़ी कंपनी, सीमित सामाजिक भागीदारी
NTPC कोरबा की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 2600 मेगावाट है और 800 मेगावाट की नई इकाई भी प्रस्तावित है। ऐसे में यह आश्चर्यजनक है कि इतनी बड़ी औद्योगिक इकाई अपने परिचालन क्षेत्र में CSR के माध्यम से कोई ठोस योगदान नहीं दे रही है।
प्रशासन की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में
जिला प्रशासन की भूमिका भी इस स्थिति में संदिग्ध नजर आती है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने NTPC को किसी भी बुनियादी सुविधाओं से जुड़े प्रस्ताव नहीं सौंपे हैं, जबकि CSR नीति के तहत कंपनियों को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार करनी होती है।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी
स्थानीय समाजसेवियों और ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा, “एनटीपीसी कोरबा की धरती से अरबों की बिजली पैदा कर रही है, लेकिन यहां के गांवों में सड़क और नाली जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं। CSR को केवल फाइलों और आंकड़ों में दिखाया जा रहा है, ज़मीन पर नहीं।”
CSR का उद्देश्य सिर्फ “राशि खर्च करना” नहीं, बल्कि स्थायी और ठोस सामाजिक परिवर्तन लाना होता है। NTPC कोरबा का मौजूदा रुख इस उद्देश्य से मेल नहीं खाता। यदि प्रशासन और कंपनी मिलकर पारदर्शी और ज़रूरत-आधारित नीति अपनाएं, तो कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्र में भी वास्तविक विकास की रेखाएं खिंच सकती हैं।