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Procession of promises:सशक्त पुलिसिंग से प्रसन्न शिव भक्त ,सवाल टाइमिंग का नहीं सम्मान का..फोकट में निपट गए गुरुजी बेचारे,18 लिफाफा में 16 रिजेक्ट!

सशक्त पुलिसिंग से प्रसन्न शिव भक्त

सशक्त पुलिसिंग के बीच हुई शिव की भक्ति को लेकर एक ओर भक्त आयोजको को खरी खोटी सुना रहे तो दूसरी तरफ सशक्त पुलिसिंग की जमकर प्रशंसा कर रहे है। वैसे भी खाकी के वीर जवानो की कार्यशैली से वे प्रशंसा के पात्र भी हैं क्योंकि कम समय और अल्प संसाधनों के बीच हुए कथा को सफल बनाने मे पुलिस ने अहम रोल अदा किया।

 

कहते है भक्ति के आगे भगवान भी झुक जाते है सो इंसान की क्या बिसात। पंडित प्रदीप मिश्रा के शिव पुराण में भक्तों की भक्ति और कड़क पुलिसिंग का जबदस्त मिश्रण रहा है। कथा स्थल पर भीड़ को रोकने कुसमुंडा, उरगा के थानेदारों ने मुख्य भूमिका निभाई। कथा शुरू होने से पहले ड्यूटी में तैनात वीर सिपाहियो ने प्रेम पूर्वक भक्तो को एंट्री कराया और समझदार लोगो को समझाया। यही वजह है कि कथा स्थल में किसी तरह की अप्रिय घटना नही हुई और अल्प संसाधन में भी पंडितजी की कथा का रसपान भक्तो ने किया। कथा समापन के बाद अब जनमानस चर्चा करते आयोजको के आयोजन को फेल बताकर पास बेचने का आरोप लगा रहे है, लेकिन पुलिस की कार्यशैली की प्रशंसा करते थक नहीं रहे कि खाकी के वीर सिपाहियो के सेवा  ने भक्तो को पंडित प्रदीप मिश्रा का दर्शन कराया और शिव की भक्ति का अलख जगाया। कहा तो यह भी जा रहा कि ठीक समय पुलिस सुरक्षा के लिए हाथ आगे नही बढ़ाती तो कथा स्थल में भगदड़ निश्चित होना ही था। जिला पुलिस की टीम की कार्य को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नही है कि भक्तों से भगवान से मिलाने पुलिस ने सेतु का काम किया। सफल शिव पुराण को लेकर शहर के गणमान्य कहते नही थक रहे पुलिस के सख्ती के बीच हुए भक्ति ने खाकी के प्रति लोगो का विश्वास बढ़ाया है।

सवाल टाइमिंग का नहीं सम्मान का….

कोरबा में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रववाल और कलेक्टर के बीच सोशल मीडिया पेज पर पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की राज्यपाल रमेन डेका की मुलाकात वाली पोस्ट की गई तस्वीर को लेकर तनातनी बढ़ गई है। इस मामले में कलेक्टर ने अफसर वाले अंदाज में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को नियम कायदा की याद दिलाते हुए तस्वीर को हटाने का निर्देश दिया था..मगर कलेक्टर का ये आदेश उन्हीं पर भारी पड़ गया।

पहले तो इस तस्वीर को विपक्ष की ओर से सरकार की छबि खराब करने वाला बता कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश हुई मगर जब इस मामले में खुद पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर कूद पड़े तब प्रशासन की ओर से कोई बयान नहीं आया। ननकीराम कंवर ने भी सरकार के अफसरों को लेकर जो कुछ कहा वो वाकई सोचने वाला है। अगर जनप्रतिनिधि इसी प्रकार हाथ बांधे खड़े रहे और अफसर सोफा पर बैठे हों तो..सवाल तो उठता है।

कुल मिलाकर अब मामला फोटो सेशन की टाइमिंग का हवाला देकर टालने वाला नहीं रहा। जिसमें कहा गया था कि ये तस्वीर महज दो मिनट की है जब ननकीराम कंवर खड़े होकर अपनी बात रख रहे थे। हैरानी की बात ये है कि इस मामले में अभी तक बीजेपी सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। जो भी हो इस प्रकरण से प्रशासन की छबि को नुकसान जरूर हुआ..इसकी भरपाई किसे पूरी करनी होगी..ये सरकार के अगले कदम के बाद ही साफ हो पाएगा।

चतुर व्यापारी बड़े खिलाड़ी…फोकट में निपट गए गुरुजी बेचारे

पहले टीवी में एक विज्ञापन चलता था पूरे घर का बल्ब बदल डालूंंगा…ऐसे ही एक विज्ञापन कोरबा के शिक्षा विभाग में चल रहा है जहां बीईओ चतुर व्यापारी की तरह पूरे विभाग को बदल डालूंंगा..फिर सही दाम मिले तो सब कुछ सेट कर डालूंगा.. का गेम खेल रहे हैं। ऐसा हम नहीं, कोरबा विकासखंड में पदस्थ शिक्षक कह रहे हैं।

असल में शिक्षा विभाग में ट्रांसफर उद्योग में जमकर पैसों की बरसात हो रही है। खबरीलाल की माने तो सरकारी शिक्षक शहर के पास नौकरी करना चाहते हैं। जिसका फायदा उठाकर विभाग के शिक्षक बिचौलियों का काम करते है और बच्चों को पढ़ाना छोड़ ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल लग जाते हैं। सैलरी के साथ ऊपरी कमाई भला कौन छोड़ना चाहेगा। मगर इस मामले में कटघोरा बीईओ अनलक्की निकले, युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी की वजह से उनका तबादला हो गया है।

लेकिन, मुख्यालय के बीईओ साहब तो बड़े घाघ निकले, जिसमें जीरो रिस्क हो और कमाई अच्छी वो वहीं काम किया। यानी हर्रा लगे न फिटकरी रंग चोखा। बात जब खुली तो इनके चक्कर में गुरुजी निपट गए और साहब बच निकले। मामला एकदम साफ है उच्च अफसर के स्वीकृति बिना ट्रांसफर निरस्त कराने के लिए डील संभव नहीं है, मगर गुरुजी की कौन सुने..।

कहा तो यह भी जा रहा कि गुरुजी की गिरफ्तारी के बाद विकासखंड और जिला शिक्षा अधिकारी भी सकते में हैं। विभाग के सूत्रों की माने तो गुरुजी के गिरफ्तारी के बाद विभाग के अफसर फूंकफूंक कर पांव रख रहे हैं। शिक्षक भी क्या करें साहब जो ठहरे चतुर व्यापारी तभी तो हुई है गुरुजी की गिरफ्तारी..!

 

गजब का मैनेज गैंग, 18 लिफाफा में 16 रिजेक्ट!

नगर निगम के टेंडर प्रक्रिया की शहर में जोरदार चर्चा है। ठेकेदार समझ नहीं पा रहे हैं आखिर 18 लिफाफा में 16 कैसे रिजेक्ट हो गए। निगम में टेंडर मैनेज खेल पहले भी चलता था,मगर सरकार जिसकी रहती है उसी के ठेकेदार सड़क में नाली और गार्डन की रखवाली करते थे। ये पहली बार है जब विपक्ष खुलकर टेंडर रिजेक्ट और सेलेक्ट की बात कर रहा है।

दरअसल नगर निगम में अब तक जिसकी सरकार रही उनके अपने ठेकेदार रहे हैं। भाजपा के डबल इंजन वाली सरकार में भाजपाई चहेते ठेकेदारों की एंट्री करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, सिक्स्थ सेंस” आईएएस अफसर के सामने टेंडर मैनेज करने वालों की चल नहीं रही है।

इसका सबसे आसान इलाज ये है कि ” किसी की काम खराब न कर सको तो उसका नाम खराब कर दो” सो अफसरों नाम खराब करने टेंडर रिजेक्ट को तूल दिया गया। खबरीलाल की मानें तो 18 लिफाफा में कुछ निविदाकारों के लाइसेंस एक्सपायर हो चुके थे और बाकी में निविदा के लिए अहर्ताएं/ वैध दस्तावेज में कमी थी। जिसकी वजह से निविदा निरस्त किया गया।

असल में पूरे मामले में निगम का टेंडर मैनेज गैंग पवेलियन के पीछे बैठकर बैक बेटिंग कर रहा है। कहा तो यह भी जा रहा कि विपक्ष के नेता को निविदा की बारीकी समझाने वाले कोई और नहीं बल्कि पार्टी के ही ठेकेदार हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार में खूब टेंडर मैनेज किए।

सूत्रों की माने तो टेंडर मैनेज की हवा सिर्फ इसलिए उड़ाई गई कि साहब पर दबाव बनाकर पूर्व की तरह ठेकेदारी चमकाया जा सके। रही बात जनमानस की तो उनको ठेकदारी से कोई लेना देना नहीं। वैसे भी हर महापौर का अपना विजन होता है कोई 2 परसेंट में काम चलाता है तो कोई कमीशन बढ़ाकर ईमानदारी की पाठ पढ़ाता है, लेकिन जैसा अभी हो रहा वैसा पहले नहीं हुआ।

वादों की बारात

राजधानी रायपुर के आसपास कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें पर्यटन स्थल का दर्जा मिला है। पूरे प्रदेश के लोग रायपुर आते हैं…वो कुछ जरूरी… कुछ मजबूरी वाले काम की वजह से आते हैं। पहले रायपुर की पहचान नगर घड़ी चौक, पुराना डीके अस्पताल, रेलवे स्टेशन से होती थी मगर, आज राजधानी का धरना स्थल एक ऐसी जगह बन गया जिसे प्रदेश के सबसे ज्यादा लोग जानते हैं।

बस्तर हो या सरगुजा..अगर धरना देना है तो तूता माना आना पड़ेगा। पहले बूढ़ा तालाब धरना स्थल हुआ करता था, तब इस सड़क से गुजरने वाले लोग धरना प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को दूधमुंहे बच्चों के साथ साथ खुले आमसान के नीचे धरना करते देखते थे, मगर सिस्टम को ये पसंद नहीं था तो धरना प्रदर्शन करने वालों को  तूता माना शिफ्ट कर दिया…!

पहली वाली सरकार बदली..नई सरकार भी आई, मगर नहीं बदला तो सरकारी सिस्टम..। पिछले सप्ताह विधानसभा सत्र के दौरान सरकार को अपना वादा याद दिलाने जा रहे दिव्यांगों को सड़कों पर घसीटा गया…अब डीएड और बीएड डिग्रीधारी शिक्षक भर्ती के वादों की बारात निकालेंगे। वादों की बारात रायपुर शहर से होकर प्रदेश भाजपा कार्यालय तक जाएगी। वैसे भी वादे पर वादा और वादों से मुकरना आज चलन बन गया है। अब बेरोजगार शिक्षकों की इस बारात का कैसे स्वागत होगा..ये देखने वाली बात होगी।

 

        ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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