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Political : ज्योत्सना फिर जीतीं…क्योंकि यह डॉ चरणदास महंत हैं, जो दिमाग में तो आते हैं, पर समझ में नहीं…

कोरबा। पति परमेश्वर के पदचिन्हों पर पीछे-पीछे चलती गईं ज्योत्सना चरणदास महंत पर कोरबा लोकसभा की जनता ने दूसरी बार विश्वास जताते हुए संसद भवन की कुर्सी सौंप दी है। इतनी विपरीत परिस्थितियों में ज्योत्सना ने दूसरी बार मोदी आंधी का न केवल डटकर सामना किया, धारा का रुख मोड़कर कोरबा में उल्टी गंगा ही बहा दी है। इस सफलता के पीछे, यानि ज्योत्सना की जीत में डाॅ चरणदास महंत का किरदार सबसे कारगर रहा है, जिसके कायल तो प्रतिस्पर्धियों को भी होना पड़ेगा। ताजा नतीजों के बूते अब छत्तीसगढ़ की सियासत में एक ही डायलाॅग गूंज रहा है कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले डाॅ चरणदास महंत ने ऐसा पासा पलट दिया है कि दिल-ओ-दिमाग में तो आते हैं, पर समझ में नहीं…

यह पहले भी सुना गया है और एक बार फिर वही बात, ज्योत्सना कहतीं रहीं हैं कि अपने उद्देश्य व संकल्प पूर्ति के लिए कांग्रेस को सशक्त माध्यम के रूप में देखती हूं। कांग्रेस मेरी दृष्टि में राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक विचारधारा है। पति डॉ. चरणदास महंत के साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव में लगातार सक्रिय रहने से आमजनों से सीधे संपर्क का फायदा मिला और एक बार फिर हमने कोरबा में विजयध्वज फहराया है। उल्लेखनीय होगा कि डाॅ चरणदास महंत 15वीं लोकसभा अवधि के दौरान छत्तीसगढ़ से एकमात्र कांग्रेस सांसद थे और अब उनकी पत्नी श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत भी इस बार की 18वीं लोकसभा के नतीजों में छत्तीसगढ़ से एक मात्र सांसद हैं, जो कांग्रेस से चुनी गई हैं। कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। पहली बार में कांग्रेस के दिग्गज नेता डाॅ चरण दास महंत ने चुनाव जीता था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में डाॅ महंत को बीजेपी के डॉ. बंशीलाल महतो ने हराया था। फिर साल 2019 के चुनाव में चरणदास महंत ने अपनी धर्मपत्नी ज्योत्सना चरणदास महंत को चुनाव मैदान में उतारा। उन्होंने ज्योति नंदन दुबे को हराया था। कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। पहली बार में कांग्रेस के दिग्गज नेता चरण दास महंत ने चुनाव जीता था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में चरणदास महंत को बीजेपी के डॉ. बंशीलाल महतो ने हराया था। फिर साल 2019 के चुनाव में चरणदास महंत ने अपनी धर्मपत्नी ज्योत्सना चरणदास महंत को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में ज्योत्सना महंत ने ज्योति नंदन दुबे को 26 हजार 349 वोट से हराया था।

 

सूबे के सबसे अनुभवी नेताओं में शुमार

 

करीब 70 वर्षीय चरण दास महंत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं। उन्होंने पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी। हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में चरण दास महंत ने भाजपा के खिलावन साहू को 12,395 मर्तों के अंतर से हराकर सक्ती सीट को बरकरार रखा है। साल 2018 में जब 15 साल बाद सूबे की सत्ता पर कांग्रेस की वापसी हुई थी तब ओबीसी वर्ग से आने वाले डाॅ महंत भी भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक थे। महंत अविभाजित मध्य प्रदेश में तीन बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार में गृह और जनसंपर्क विभाग मंत्री (1995-1998) के रूप में कार्य किया है। वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो बार 2018 और 2023 में चुने गए हैं।

 

बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड, बेशुमार तजुर्बा और माहिर खिलाड़ी

 

डाॅ महंत वर्ष 1998, 1999 और 2009 में तीन बार लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जा चुके हैं। 2011 में उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संपग्र) सरकार में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने 2013 में लगभग छह महीने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली थी। वह 2004 और 2013 के बीच कई बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे लेकिन 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में नहीं ला सके। कहावत है कि विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ में डाॅ चरणदास महंत से बेहतर दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं। यह एक बड़ी वजह रही है जो उन्हें गांधी परिवार का विश्वासपात्र माना जाता है। उन्हें कांग्रेस के मिलनसार, सहज और मृदुभाषी नेताओं में गिना जाता है।

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