छत्तीसगढ़

DMF Fund खर्च को लेकर सियासी बहस तेज…! BJYM अध्यक्ष ने प्रभारी मंत्री को लिखा पत्र…कैबिनेट मंत्री टंक राम वर्मा ने दी सफाई…यहां सुनिए VIDEO

पारदर्शिता और प्राथमिकता पर उठे सवाल

रायपुर, 27 अगस्त। DMF Fund : छत्तीसगढ़ में जिला खनिज न्यास (DMF) की राशि के उपयोग को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने इस मामले पर राज्य सरकार के प्रभारी मंत्री को पत्र लिखकर सवाल खड़े किए हैं। भगत ने आरोप लगाया कि DMF की राशि का उपयोग तय दिशा-निर्देशों से हटकर हो रहा है, जिससे असल प्रभावित लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा।

कैबिनेट मंत्री टंक राम वर्मा का बयान

DMF मामले पर विवाद के बीच राज्य के कैबिनेट मंत्री टंक राम वर्मा ने पूरी स्थिति पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, “DMF फंड खर्च करने की एक स्पष्ट प्रक्रिया तय है। सीधे प्रभावित लोगों के लिए 15 किलोमीटर और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित लोगों के लिए 25 किलोमीटर का दायरा तय है। उन्होंने आगे कहा कि इस कोष के दो मद हैं- 60% राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं पर खर्च की जाती है, तथा शेष 40% राशि अन्य मदों पर खर्च की जाती है। उन्होंने कहा कि, नियमों से हटकर DMF की राशि खर्च नहीं की जा सकती। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब यह राशि केवल जिले के भीतर ही खर्च की जानी है।

क्या है DMF फंड?

DMF (District Mineral Foundation) वह फंड है जो खनन से प्रभावित जिलों में स्थानीय जनता के कल्याण के लिए इस्तेमाल होता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, पेयजल, आजीविका आदि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

BJYM अध्यक्ष ने उठाया सवाल

BJYM अध्यक्ष रवि भगत के पत्र को विपक्ष की ओर से सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भगत का दावा है कि कई जिलों में, DMF फंड का सही लक्ष्य तक उपयोग नहीं हो रहा। वास्तविक लाभार्थियों को दरकिनार कर योजनाएं मनमाने ढंग से बनाई जा रही हैं।

वहीं सरकार का कहना है कि हर योजना नियमानुसार बनाई जा रही है, और अगर किसी जिले में गड़बड़ी हुई है तो स्थानीय प्रशासन जांच के लिए जिम्मेदार है।

DMF फंड के खर्च को लेकर उठे सवालों ने राज्य सरकार की जवाबदेही को फिर केंद्र में ला दिया है। जहां एक ओर सरकार नियमों की दुहाई दे रही है, वहीं विपक्ष और युवा संगठन पारदर्शिता और प्राथमिकता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह देखना होगा कि प्रभारी मंत्री रवि भगत के पत्र पर क्या औपचारिक प्रतिक्रिया देते हैं और क्या कोई जिला स्तर पर ऑडिट या जांच शुरू की जाती है।

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