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One glass of water : थानेदारों को ट्रांसफर का टेंशन,माई नेम इज माखन..ब्लैक डायमंड और ध्रुव स्वर्ण, पिकअप में सवारी बैठाने की जरूरत…

थानेदारों को ट्रांसफर का टेंशन

थानेदारों का लोकसभा चुनाव के बाद टेंशन बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि, राज्य सरकार चुनाव के बाद फिर एक लिस्ट जारी करने वाली है। इस लिस्ट में टीआई स्तर के अफसरों का भी ट्रांसफर होना है। तबादले की सुगबुगाहट से जिले में पदस्थ चार थानेदारों की टेंशन बढ़ गई है। वैसे तो उनके माथे में शिकन सख्त कप्तान के पदस्थ होते ही आ गई थी।

क्योंकि, साहब आते ही अवैध कारोबार पर पाबंद लगाते हुए ला एंड ऑर्डर के लिए काम कराने लगे। सो काम कम और नाम ज्यादा वाले थानेदारों को पुलिसिंग रास नहीं आ रहा है। कोयला, डीजल और कबाड़ से जुगाड़ बनाने वाले थानेदारों की बेसिक पुलिसिंग से रात की नींद और दिन का चैन उड़ गई है। वैसे ये वहीं थानेदार है जो मौके की तलाश कर अपना जलजला दिखाने का प्रयास करते है, लेकिन खुद पुलिस के चाणक्यों के जाल में फंस गए। अब जब मैदान साफ हुआ तो ट्रांसफर का टेंशन सताने लगा।

 

खबरीलाल की माने तो जिले में एक थानेदार ऐसे भी हैं जो जिले के हर थाने का पानी पी चुके हैं लेकिन कोरबा का पानी हजम नहीं कर पा रहे। यही वजह है कि अभी लाइन में लंबा टीका लगा रहे हैं। लिहाजा वे भी अब वापस दूसरे जिले का रुख करने और चैन की नींद लेने की बात कह रहे हैं।

 

माई नेम इज माखन

 

अनिल कपूर का हिट सॉन्ग ” माई नेम इज लखन”  की चिरपरिचित शैली में दो नगर सैनिक माइनिंग डिपार्टमेंट  गीत गुनगुनाते हुए कह रहे माई नेम इज ” दिलीप  एंड माखन “! खाकी के हमराज-हमप्याला कहे जाने वाले विभाग में मनी और मलाई का खेल पोस्टिंग आदेश में खूब चल रहा है। जिसे सच साबित करते हुए फिर से दो जांबाज सैनिक महीने भर में फिर से खनिज सम्पदा की रक्षा के लिए तैनात हो गए हैं।

अगर नगर सैनिकों के पोस्टिंग की बात की जाये तो एक डिपार्टमेंट में 6 महीने तक काम कर सकते हैं , लेकिन दिलीप एंड माखन की डिपार्टमेंट में फिर से पोस्टिंग ने इस नियम को बदल कर रख दिया है। सूत्रों की माने तो माइनिंग वाले बड़े साहब का अपने इन दो सिपाहियों पर अलग लगाव है। लिहाजा उन्हें फिर से अप्रोच के साथ पोस्टिंग कराया गया है।

चर्चा तो यह भी है कि  आगामी 10 जून को रेत घाट बंद हो जाएगा। सो रेत का अवैध कारोबार भी पूरे उफान पर होगा , लिहाजा जो सिपाही रेत से तेल निकालना जानते हैं ऐसे सिपाहियों की पोस्टिंग की जा रही है… जो अपने साथ साथ विभाग को भी समय समय पर इंटरटेंट कर सके। जो भी हो माइनिंग में फिर से पदस्थ होने के बाद डिपार्टमेंट में ..”ये जी ओ  जी लो जी सुनो जी माई नेम इज माखन” की धुन गूंज रही है।

 

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ब्लैक डायमंड और ध्रुव स्वर्ण

काली टोपी लाल रुमाल फिल्म- का लता मंगेश्कर का गाया वो गीत “लागी छूटे न अब तो सनम” राजनीति के महारथियों पर फिट बैठ रहा हैं। दरअसल कोयले की खान से निकलने वाले काला हीरा और ध्रुव स्वर्ण के कारोबार से मलाई खा चुके नेताओं और अफसरों को सरकार बदलने के बाद भी लागी नहीं छूट रही है। खबरीलाल की मानें तो ध्रुव स्वर्ण के कारोबार को संचालित करने के लिए फिर से मोहरे फिट किए जा रहे हैं।

कहा तो यह भी जा रहा है कि एसईसीएल की कोल माइंस में अवैध धंधा को संचालित करने वाले काले कारोबारी फिर सक्रिय हो गए हैं। जिससे आने वाले समय में कोयला के कारोबार में भी कब्जा जमाया जा सकें। पूर्व कार्यकाल में विभाग की छवि धूमिल करने वाले बैक डोर से अवैध कारोबार को संचालित करने की प्लानिंग कर रहे हैं। हालांकि नए साहब के सख्त तेवर से अवैध कारोबारियों के तोते जरूर उड़े हैं जिससे पुराने कामों को शुरू करना आसान नहीं होगा पर जानकारों की माने तो नामुमकिन भी नहीं है।

खैर जिस अंदाज में मोहरे फिट किए जा रहे हैं उससे हर कोई मात खाता नजर आ रहा हैं। फिलहाल इस कारोबार को समझने वालों की नजर अब इस बात पर टिकी है कि ध्रुव स्वर्ण के कारोबार शुरू होगा तो इस मलाई वाले काम पर कब्जा किसका रहेगा और कौन बनेगा पुलिस, कारोबार और नेताओं का किंग मेकर..!

 

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पिकअप में सवारी बैठाने की जरूरत ही क्यों आन पड़ी

कवर्धा में बैगा आदिवासियों से भरी पिकअप 20 फीट गहरी खाई में पलट गए… मौके पर ही 19 लोगों की मौत हो गई और 25 से ज्यादा लोग वहीं अपनी जान बचाने के लिए चीखते चिल्लाते रहे। जिन कानों तक इनकी चीख पहुंची वो दहल गया। कवर्धा विधायक और प्रदेश के ​डिप्टी सीएम भी दौड़ते भागते वहां पहुंचे और घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भिजवाया। हाई कोर्ट ने भी इस हादसे में संवेदनशीलता दिखाई और राज्य सरकार को तलब किया।

इस घटना के तुरंत बाद कई सवालों के साथ एक तस्वीर समाने आई है जिसमें घायलों तक पहुंचने के लिए पुलिस को पिकअप की सवारी करते दिखाया गया…। सवाल भी वही है आखिर पिकअप में सवारी बैठाने की जरूरत ही क्यों आन पड़ी। सवाल ये भी है कि ऐसा क्यों हुआ…अब ये कब रूकेगा।

हाईकोर्ट ने राज्य शासन, राष्ट्रीय राजमार्ग, परिवार विभाग व कलेक्टर सहित सभी पक्षकारों से शपथ पत्र में बताने के लिए कहा है कि सड़क हादसे रोकने के लिए क्या उपाय कर रहे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्यवाही की रिपोर्ट 26 जून को होने वाली सुनवाई में मांगी है।

माननीय हाईकोर्ट की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए….लेकिन क्या इतने भर से हादसे रोके जा सकेंगे। जरूरत इस बात की है ​कि राज्य सरकारों को अपनी परिवहन नीति को भी बदलना होगा…। जिन मार्गों में यात्री ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं के बराबर है उन मार्गों में नए पर​मिट जारी करने होंगे..ताकि यहां के लोगों को माल वाहन पिकअप में बैठकर मौत की सवारी ने करने से रोका जा सके।

साथ ही सड़कों में सुधार और जन जागरुकता भी जगानी होगी…इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग, परिवार विभाग और सरकार के बाकी सिस्टम जो इस तरह के हादसों को रोकने में अहम कड़ी है उनकी जवाबदेही भी तय करनी होगी तभी इस तरह की मौतों को रोकने में ईमानदारी के प्रयास कहा जा सकेगा।

 

एक लोटा जल…सभी समस्याओं का हल

 

लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे। कांग्रेस सीटें बढ़ने और बीजेपी सभी 11 सीट जीतने का दावा कर रही है। दोनों को उम्मीद है कि जनता का आर्शीवाद उनको मिला है और चुनाव जीतने के लिए मंदिरों में फेरा लगाने के का फल भी बेकार नहीं जाएगा..यानि जनता और जर्नादन दोनों का आर्शीवाद मिला तो फिर बेड़ा पारा हो ही जाएगा।

 

बीजेपी में चर्चा है कि सबकुछ ठीक रहा तो प्रदेश को दो नए मं​त्री मिल जाएंगे और भगवा ब्रिगेड के कुछ नेताओं के लिए निगम मंडलों में लालबत्ती का इंतजाम हो जाएगा। और तो और कांग्रेस में भी लट्ट तैयार हो रहे हैं बस नतीजें आने का इंतजार है…सिरफुटव्वल में विधानसभा चुनाव में जो कसर बाकी रह गई थी वो इस बार पूरी होगी।

 

इन सबसे से अलग कुरुद विधायक अजय चंद्राकर की शिव भक्ति की इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा है। चंद्राकर भी मंत्री बनने की दौड़ में हैं। मंत्री के दो पदों के लिए दो दर्जन लोग दम लगा रहे हैं। ऐसे में पार्टी के बड़े नेताओं का आर्शीवाद बंट सकता है। ऐसे में अगर एक लोटा जल से सभी समस्याओं का हल हो जाएं तो शिव भक्ति तो करनी होगी।

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लिहाजा पड़ोसी राज्यों में चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर वो सिहोर वाले पं प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा में रम गए हैं। शायद रमते रमते …राम मिल जाएं। खैर मंत्री बनने के लिए जब तक राजभवन से बुलावा नहीं आ जाएं तब तक इंतजार करिए और एक लोटा जल हमेशा तैयार रखिएं…।

   ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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