कोरबा। छोटी-मोटी कार्यवाही कर पीठ थपथपाने वाले खनिज विभाग के अफसर इन दिनों इतनी गहरी नींद में हैं कि दिन के उजाले में खुलेआम हो रहे मुरुम के अवैध उत्खनन पर उनकी नजर नहीं पड़ रही। दादर ढेलवाडीह में बकायदा पोकलन मशीन लगाकर धड़ल्ले से मुरूम और मिट्टी की खुदाई कर जमीन छल्ली किया जा रहा है, जिसकी खैर लेने वाला कोई नहीं। नतीजा यह कि खनिज माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं, जिसके चलते अनाधिकृत स्थलों में यह गोरख कारोबार कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ शासकीय राजस्व पर भी सेंध लगाई जा रही है।
बताया जा रहा है कि मुरुम-मिट्टी के इस अवैध उत्खनन का कार्य कुछ लोगों द्वारा दादर ढेलवाडीह में सिंडिकेट बनाकर किया जा रहा है। उड़ती खबर तो यह भी मिल रही है कि राजू और कोई ठाकुर वाले उपनाम का व्यक्ति इस कारोबार का मुखिया है। ढेलवाडीह क्षेत्र के सरकारी जमीन में खुलेआम मुरूम और मिट्टी उत्खनन कर की जा रही चोरी पर अंकुश लगाना तो दूर, खनिज विभाग के अधिकारी और उड़दस्ता टीम मानों निद्रावस्था में है, जिन्होंने कार्यवाही करना तो छोड़िये सूचना की पुष्टि करने तक का वक्त निकालना भी मुनासिब नहीं समझा। नगर निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 9 में आने वाले ढेलवाडीह में रात के अंधेरे में ही नहीं, दिन दहाड़े भी मशीन लगा कर मुरूम का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
बिना अनुमति निरंकुश खनन-परिवहन से बने गड्ढे
खनिज विभाग की ओर से मुरूम और मिट्टी उत्खनन के लिए अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन इसके बाद भी यहां जेसीबी, पोकलेन से दिन रात खुदाई करने के साथ मुरूम और मिट्टी का अवैध परिवहन भी हो रहा है। मानिकपुर खदान के पीछे ढेलवाडीह से लगी सरकारी जमीन में अवैध उत्खनन का कार्य जारी है। माफियाओं द्वारा जमीन पर बेतरतीब तरीके के खुदाई से कई बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके है। इस अवैध उत्खनन को रोकने के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों ने ना आवाज उठाई है और न ही इसकी शिकायत प्रशासन से की है।
कहीं खुली छूट तो नहीं, विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
ढेलवाडीह में अवैध उत्खनन होने और इसका विरोध नहीं होने से यह जाहिर होता है कि अवैध उत्खनन में छुटभैये नेता भी माफिया का सहयोग कर रहे हैं। अब तक क्षेत्र से एक भी व्यक्ति शिकायत लेकर सामने नहीं आया है। नियमों को ताक पर रखकर हो रहे रेत खनन में खनिज विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई होनी चाहिए। पर ऐसा नहीं होता, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है। ऐसा लगता है कि इन गोरख कारोबारियों को मानों उत्खनन की खुली छूट दे दी गई है। जब इस संबंध में जानकारी लेने के लिए खनिज विभाग के अधिकारी से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा मोबाइल रिसीव नहीं किया गया।