NKH Jeevan Asha Hospital : एनकेएच जीवन आशा हॉस्पिटल ने आयुष्मान योजना के लाभ से वंचित कर मरीज से वसूले 60 हजार रुपए…कलेक्टर के निर्देश पर लौटाने का आदेश
शिकायत पर धीमी कार्रवाई

कोरबा, 21 जुलाई। NKH Jeevan Asha Hospital : एनकेएच ग्रुप के तहत संचालित जीवन आशा हॉस्पिटल, कोरबा एक बार फिर विवादों में है। अस्पताल पर गंभीर आरोप लगे हैं कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज का हकदार होने के बावजूद एक मरीज से 60,270 रुपए नकद वसूल लिए गए। अब सात माह बाद इस मामले में कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल को राशि लौटाने का आदेश जारी किया गया है।
क्या है मामला?
अक्टूबर 2024 में एकदशया थवाईत नामक मरीज को पैरालिसिस (Acute Ischemic Stroke) के इलाज के लिए जमनीपाली स्थित एनकेएच जीवन आशा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। मरीज की हालत गंभीर बताकर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया और परिवार से तत्काल नकद भुगतान की मांग की गई।
जब परिवार ने बताया कि मरीज आयुष्मान भारत योजना का लाभार्थी है, तब भी अस्पताल ने योजना के तहत इलाज देने से इनकार करते हुए 60 हजार 270 रुपए की वसूली कर ली।
शिकायत पर धीमी कार्रवाई
मरीज के परिजनों ने अस्पताल की इस मनमानी की शिकायत कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) से की, लेकिन CMHO ने कोई तत्काल संज्ञान नहीं लिया।
बाद में कलेक्टर ने 18 अक्टूबर 2024 की समय-सीमा बैठक में मामले को उठाया और जांच के निर्देश दिए। लंबी जांच के बाद 5 जून 2025 को CMHO कार्यालय ने पत्र (क्रमांक 5810) के जरिए अस्पताल को नोटिस जारी किया।
क्या कहा गया है पत्र में?
CMHO द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया कि:
- मरीज पैरालिसिस स्टोक से पीड़ित था और उसे आयुष्मान योजना के पैकेज कोड MG049C (Acute Ischemic Stroke) के तहत इलाज मिल सकता था।
- जीवन आशा हॉस्पिटल आयुष्मान भारत योजना से अधिकृत अस्पताल होने के बावजूद मरीज को लाभ से वंचित कर नकद राशि लेकर इलाज किया, जो अनुचित है।
- अस्पताल को 60,270 रुपए वापस करने का निर्देश दिया गया है।
एनकेएच ग्रुप पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
कोरबा जिले में एनकेएच ग्रुप के चार अस्पताल संचालित हैं, और पूर्व में भी इस ग्रुप पर इलाज से ज्यादा आर्थिक अनियमितताओं और मनमानी वसूली के आरोप लग चुके हैं।
अब आगे क्या?
यह आदेश कानूनी रूप से महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। यदि अस्पताल पैसा लौटाने से इनकार करता है, तो प्रशासनिक या कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इस प्रकरण से यह सवाल भी उठता है कि आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं का ज़मीनी क्रियान्वयन किस हद तक प्रभावी है?