Featuredकटाक्ष

My life is yours and: गर्दिश में महिला थानेदारों के सितारे,लागी छूटे न… अब तो..निगम की सड़क जैसे ” गरीब का लुगरा,होली पर ही चढ़ेगा लाल रंग

गर्दिश में महिला थानेदारों के सितारे ..

एक दौर था जब पॉवर सिटी कोरबा में महिला थानेदारों के पॉवर का दबदबा था। ये वो दौर था जब साधना सिंह, मंजुलता राठौर और श्रुति सिंह की तिकड़ी ने बड़े थाने में थानेदारी कर खाकी के मान को गिरने नहीं दिया , और एक आज का दौर है जब महिला निरीक्षकों को सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए समय -समय पर उपयोग किया जा रहा है। महकमें में महिला निरीक्षकों के सितारे गर्दिश में होने की चर्चा चल पड़ी है।

अब देखिए ना निरीक्षक मंजूषा पांडे, किरण गुप्ता, उषा सोंधिया की पोस्टिंग का बहीखाता। जब जब थाने विवाद में आए इन्हीं को संकट मोचक बनाया गया और हालत सामान्य होते ही लूप लाइन का रास्ता दिखा दिया। वैसे तो कहा जाता हैं कि सरकार के विभागों में महिलाओं की भागीदारी और नारी शक्ति से ही देश की तरक़्क़ी और भी..बहुत कुछ लेकिन कोरबा की हकीकत कुछ औऱ बंया कर रही है…!
पुलिस महकमे में चल रही महिलाओ की भागीदारी पर विभाग के लोग राजकपूर का सुपरहिट मूवी मेरा नाम जोकर का गाना ” कहता है जोकर सारा जमाना आधी हकीकत आधा फसाना..! को गुनगुना रहे है।

लागी छूटे न… अब तो…

 

काली टोपी लाल रुमाल फिल्म- का लता मंगेश्कर का गाया ये गीत “लागी छूटे न अब तो सनम” पड़ोस जिले में पदस्थ एक सब इंस्पेक्टर पर फिट बैठ रहा हैं।

दरअसल कोरबा पुलिस के लिए स्वर्णिमकाल कहे जाने वाले पूर्वर्तीय सरकार में पदस्थ रहे एक चौकी प्रभारी का मोह अब भी कोरबा से नही छूट रहा है। काला हीरा और ध्रुव स्वर्ण के कारोबार के स्वर्णीम अवसर में पॉवरफुल रहे अधिकारी ट्रांसफर के बाद भी कोयलांचल नगरी में वापसी का सपना संजो रहें हैं।

सूत्रों की मानें तो साहब कुछ काम से उर्जाधानी पधारे थे और इसी  दौरान उनके एक पुराने टेशनबाज से मुलाकात हो गई फिर क्या था साहब ने बातों ही बातों में तंज कसते हुए कह दिया कि मैं जख्म पर मलहम नही लगा रहा, बल्कि उसे कुरेद रहा हूं…! जाहिर है साहब अभी भी कोरबा पोस्टिंग के जुगाड़ में है। हालांकि यह बात भी सच है कि समय ठीक रहता है तो मिट्टी को हाथ लगाने से सोना बन जाता है और जब समय का पहिया घूमता है और समय खराब होता है ऊंट में चढ़े आदमी को भी कुत्ता काट लेता है। अब देखना है साहब का दौर फिर फूल खिलाता है या उनके मन के बगिया का फूल मुरझा जाता है। उनकी शायराना अंदाज को सुनने वाले कहने लगे है साहब का मोह कोरबा से नही छूट रहा है..!

निगम की सड़क जैसे ” गरीब का लुगरा ..

छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है “गरीब के लुगरा आधा ढांके आधा उघरा..” इसका आशय है कि गरीब व्यक्ति लुगरे के एक छोर को खींचता है तो दूसरा छोर उघड़ जाता है। ठीक इसी तरह नगर सरकार की सड़कों दशा है एक छोर को बनाते तक दूसरा टूट जाता है।

कहने को तो निगम प्रशासन के द्वारा वित्तीय वर्ष 24- 25 के लिए 904 करोड़ का बजट पेश किया था, जिसमे सड़को की मरम्मत और नाली निर्माण को प्राथमिकता दी गई थी लेकिन हुआ उलट। सड़क बनाने वाले पैसे वाले बन गए और सड़क की दशा भिखारी से भी गई बीती हो गई, कोई न कोई नित उसके सुधार के लिए निगम प्रशासन के सामने कटोरा लिए खड़ा रहता। बारिश में नंगी हो चुकी सड़क पर विपक्ष ने भी हो हल्ला मचाकर जनसेवक बनने का ढोंग रचा लेकिन उनकी दुकानदारी नही चली क्योंकि जनमानस को पता है कि बुनियादी सुविधाओं पर शहर में नेतागिरी सिर्फ धंधे को धार देने के लिए होती है। सो हुआ भी यही खराब सड़क का मुद्दा छोड़ सब अपने अपने धंधे के ध्यान में लग गए और निगम के अफसर आमजन के जले में  मरहम लगाते हुए सड़क पर डामर की परत चढ़ाकर सत्तारूढ़ दल के चाटूकार बन गए।
इसके बाद भी निगम क्षेत्र की सड़कें गरीब के लुगरा जैसे आधा ढंका और आधा उघरा यानी आधे हिस्से में डामर है और आधा सड़क अभी भी ऊबड़-खाबड़ है। सूत्र बताते है कि सड़कों के लिए निगम का खजाना अभी भी भरा है, इसके बाद भी सड़को की दशा खराब है। कहा तो यह भी जा रहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व जनरेट करने वाली निगम के नेता नमूने और अफसर हाथ मिलाकर सिर्फ पैसा कमा नही बना रहे है। जानकारों की माने तो सड़क पर टायरिंग का खेल शहर के एक टायर वाले नेता जी का फेवरेट वर्क था। तब से शुरू हुए सड़क के ऊपरी सतह पर डामर चढ़ाकर रातो रात करोड़पति बनने का खेल नेता पुत्र भाजपा महापौर के कार्यालय से करते आ रहे है। इस खेल में निगम के अफसर नेताओं के साथ कदमताल करते रहे है। निगम के आधा उखड़े और आधा सड़क को देखकर जनमानस में खुसफुसाहट है “निगम की सड़क और गरीब का लुगरा एक जैसा है जो जो आधा ढका और आधा उघरा है..”

होली पर ही चढ़ेगा लाल रंग

 

पिछले सप्ताह बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में सदस्यता अभियान के लिए दिए गए क्राइटेरिया पूरा होने की खुशी में जश्न मना। बूथ लेबल से लेकर विधायक मंत्री और सांसद ने 60 लाख 60 हजार सदस्य बनाकर अपना अपना कोटा पूरा कर लिया। लेकिन इस जश्न ​के बीच पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इन सभी को नए काम पर लगा दिया..यानि अब पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में जीत कर आने पर ही आगे की बात होगी।

ऐसे में पार्टी के जो लोग निगम मंडलों में नियुक्ति मिलने का इंतजार कर रहे थे वो जरूर मायूस हुए। चकल्स के पिछले अंक में ”लालबत्ती को ग्रीन सिग्नल” वाली खबर में ही साफ हो गया था कि निगम मंडलों में नियुक्ति होली के बाद ही होनी है। वैसे भी इसी 13 तारीख को विष्णुदेव सरकार अपने एक साल पूरे करने जा रही है, और 16 दिसंबर से विधानसभा सत्र होना है। इस बीच निकाय चुनाव की अधिसूचना भी जारी होना है।

यानि दिसंबर माह में पार्टी और सरकार दोनों टाइट शेड्यूल में चल रहे हैं, लिहाजा निगम मंडलों में नियुक्ति का फैसला होली तक खिसक सकता है। अब होली पर रंग गुलाल खेलने का मौका किसे मिलता है इसके लिए इंतजार तो करना होगा।

 

जान आपकी है और जिम्मेदारी भी आपकी…

 

छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कल ही मैनपाट की सैर पर निकली कार उदयपुर के पास ट्रक से टकरा गई और चार लोगों की जान चली गई…मुंगेली के लखनऊ जाने निकली बस कवर्धा के पास जलकर खाक हो गई ये आंकड़े पिछले 24 घंटे के हैं। रोज रोज ऐसी खबरें अब डराने लगी है।

पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राज्य सडक़ सुरक्षा परिषद की बैठक में इसी बात को लेकर अपनी चिंता जताई और अफसरों को हाईवे पर ट्रैफिक रूल का सख्ती से पालन कराने को भी कहा। लेकिन सीएम की ताकीद के बाद भी अफसर मैदान में नजर नहीं आए।

आरडीओ विभाग शहर के आउटर पर उसी अंदाज में ड्यूटी में दिखा जो अब तक होता आया है। ट्रैफिक विभाग लाल डायरी के खाताबही में मस्त है तो ऐसे हालत में जिन्हें सड़क से गुजरना हो उसे अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी..आखिर जान आपकी है और जिम्मेदारी भी आपकी…केवल सिस्टम के भरोसे इन हादसों को रोक पाना मुश्किल ही होगा।

      ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button