थानेदार.. बिना जांच के सीधों पर सितम
“यारों हम तो साजिशों के शिकार हो गए,न था कोई कुसूर मगर, गुनहगार हो गए!! ” ये पंक्ति नदियां के पार थाने में पदस्थ थानेदार पर सटीक बैठती है। दरसअल जिस मारपीट के आरोप में वे षड्यंत्र के शिकार हुए हैं, उसकी पुलिस विभाग में ही जमकर चर्चा हो रही है। सूत्रो की माने तो थाने के हर कमरे सीसीटीवी कैमरे से लैस है औऱ तो और टीआई का रूम भी तीसरी आंख की जद में है ऐसे में मारपीट हुई तो कैमरे में रिकार्ड तो होना ही चाहिए था।
सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार्रवाई भी उचित थी लेकिन यहां सिर्फ एक ने कह दिया बेरहम थानेदार में बड़े बेदर्दी से पट्टा चलाया तो कड़क मिजाज साहब को गुस्सा आ गया। उन्होंने आव देखा न ताव और अपने ही एक्शन कर दिया। हालांकि साहब ने जांच का निर्देश भी दिया लेकिन कार्रवाई के बाद..!
बिना तर्क सुने साहब की कार्रवाई से डिपार्टमेंट में कानाफूसी हो रही है और एक दूसरे से पूछ रहे हैं..ऐसे में नौकरी कैसे होगा भाई..! वैसे कहा तो यह भी जा रहा है भोले भाले स्थानीय थानेदार को हटाने की एक पटकथा डिपार्टमेंट के ही कुछ लोगों ने लिखी है। थानेदार पर हुए कार्रवाई के बाद जनमानस भी कहने लगी है साहब की नीति कुछ लोगों पर रहम और बिना जांच के सीधों पर सितम वाली चल रही है।
यह भी पढ़ें
एसीबी के जेसीबी एक्शन से अफसरों का भरतनाट्यम
अक्षय कुमार के गब्बर इज बैक का संवाद ” रिश्वत ली तो गब्बर आ जाएगा” और भ्रष्ट अफसरों के दिमाग में इसी का फ्लैशबैक चल रहा है – “रिश्वत ली तो एसीबी आ जाएगा।”असल में सत्ता बदलने के बाद उड़ते परिंदों के पर गिनने वाले अफसर एसीबी में तबला वादन कर रहे हैं तबसे “जबराना” वसूली करने वाले प्रसाशनिक अफसर भारत नाट्यम करने लगे हैं। क्योंकि साहब जो कमिटमेंट करते हैं उसे तो करते ही है जो कमिटमेंट नहीं करते उसे भी करते हैं।
पिछले पांच साल तक शांत बैठी एसीबी का जेसीबी एक्शन अब दिखने लगा है। भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अफसरों की ट्रेंकिंग बढ़ती जा रही है और ऊपरी कमाई वाले सरकारी सेवक सुरक्षित ठिकाना तलाशने लगे हैं। यही कारण है कि बीते गुरुवार को पीएचई कार्यालय में छापा मारकर एक एसडीओ को रिश्वत लेते दबोचा गया।
यह भी पढ़े
अब जगह-जगह एसीबी और ईओडबल्यू के दबिश की खबरें आने लगी हैं। प्रशासनिक हलकों के पटवारी से लेकर छोटे बड़े अफसरो के सपने में साहब दिखने लगे हैं। दिखे भी क्यों न साहब है इतने कड़क कि उनके कदमों की आहट से ही अच्छे अच्छों की पतलून गीली हो जाती है।
सो सरकारी डिपार्टमेंट में बैठकर सपने में मनी मनी करने वाले अफसर अब मनी की मनाही करने की सोच रहे है। तभी तो पहले “नजराना” मांगने वाले पटवारी और अफसर कहने लगे हैं ये भाई जरा देख के..रिश्वत ली तो.. एसीबी आ जाएगा।
तस्करों के ठाठ और रेत घाट
नदी से रेत उत्खनन की नीति में बदलाव क्या हुआ तस्करों के तो ठाठ ही बदल गए। रेत से तेल निकालने वाले तस्कर जनप्रतिनिधियों को पटाकर रेत घाट में ग्रामीणों को जमकर ठाठ दिखा रहे हैं। सूत्रों की माने तो जिले का एक रेत घाट जांजगीर के तस्कर को रास आ गया है और छल कपट के मायाजाल बुनकर सरपंच को गिरफ्त में लेकर जमकर तेल निकाल रहे हैं।
चर्चा तो इस बात की भी जोरों पर है कि रेत घाट में चल रहे खेल की खबर माइनिंग डिपार्टमेंट को भी है लेकिन करें क्या पॉवर के आगे वे भी कार्रवाई का हथियार डालकर नतमस्तक हो लिए हैं। अवैध कारोबारियों के बीच चल रही चर्चा की माने तो जिस रेत के लिए शहर की हवा दूषित हो रही है उसकी असली जड़ बालको के इर्द गिर्द पोषित हो रही है।
माइनिंग से जुड़े जानकारों की माने तो कहीं ऐसा न हो कि तस्करों के बुने जाल में वे खुद न उलझ जाए। वैसे यह भी कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि रेत घाट में चल रहा खेल ज्यादा दिन का नही है…जल्द ही प्रशासनिक टीम एक्शन लेने वाली है।
मोदी और महंत
चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए भेजे गए रुपयों से भरे सूटकेस रोज पकड़े जा रहे हैं। साड़ी कपड़ा और दिगर लक्जरी आइटम भी इसी लाइन में हैं। इसी के साथ हेटस्पीच भी टेंपरेचर बढ़ा रहा है। दिल्ली, केरल, बंगाल और बिहार में हेटस्पीच के रिकार्ड टूट रहे हैं मगर छत्तीसगढ़ में हेटस्पीच का पहला मामला राजनांदगांव में दर्ज हुआ। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत इसमें उलझ गए ।
वैसे तो डॉ चरणदास महंत अपने संसदीय और विधायकी कार्यकाल में चुटकिले और मर्यादित बयानों के लिए जाने जाते हैं मगर राजनांदगांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर छत्तीसगढ़ी भाखा में दिए गए उनके बयान उन्हीं पर भारी पड़ गया। अब डंडा उनके पीछे पीछे धूम रहा है।
और आज जब प्रधानमंत्री बस्तर दौरे पर आ रहे हैं स्वाभाविक है वे महंत के बयान पर कांग्रेस की फजीहत तो करेंगे ही…साथ ही कांग्रेस भी निशाने पर होगी। यानि सोमवार का दिन कांग्रेस और महंत दोनों के लिए इंजतार भरा होगा। महंत चुनाव आयोग से तो जैसे तैसे बच निकलेंगे मगर मोदी से बचना नामुमकिन होगा।
मंत्री के दो पद तो तीसरा कौन है.
लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून हो आएंगे। मगर 7 चरणों में होने जा रहे लोकसभा के चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के बीजेपी विधायाकों के लिए 7 जन्मों के इंतजार जैसा हो गया है। दरअसल सरकार के कैबिनेट में मंत्री का एक पद लोकसभा चुनाव तक खाली रखा गया है। एक मंत्री को लोकसभा में भेजा जा रहा है।
लेकिन खबरी लाल की खबर है की चुनाव के बाद कैबिनेट विस्तार में 3 नए मंत्री का कोटा तय हो चुका है। बीजेपी विधायकों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि जब मंत्री के दो पद भरे जाने हैं तो तीसरा कौन है…।
दरअसल भाजपा संगठन को प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीत दिलाने का टॉस्क दिया गया है। इसके लिए मंत्री और विधायकों को अलग अलग लोकसभा सीट पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी गई। शीर्ष नेतृत्व के इस टॉस्क के बाद सभी अपने अपने नंबर बढ़ाने में जी जान से लगे हैं।
मंत्री भी इसी प्रयास में लगे अगर उनके प्रभार वाले क्षेत्र में नंबर गेम्स कम हुए तो वो मुश्किल में होंगे। यानि तीसरे मंत्री की तलाश पूरी तो हो जाएगी मगर जिन्हें कैबिनेट से बाहर किया जा सकता है उसमें वो शामिल हो जाएंगे।