खाकी और ढाई आखर प्रेम के…!
जिले के एक थानेदार के टेबल में कानून की किताब को देखकर विभाग के एक बहादुर सिपाही के मन-मुंह मे कबीर का दोहा “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ” रम गया है। पब्लिक उनके टेबल पर रखे किताब पर तंज भी कस रही है – “इसका मतलब है इससे पहले पदस्थ रहे थानेदार बिना नियम कायदे के थाना चलाते रहे।”
तो कुछ कानूनी जानकार ओवर स्मार्ट की संज्ञा देकर शहर के पुलिसिंग पर सवाल उठा रहे है। पुलिसिंग पर सवाल उठना भी सही है क्योंकि जिस अंदाज में शहर के सबसे व्यस्तम मार्ग पर छोटा कट्टा का वीडियो वायरल हुआ उससे कानून व्यवस्था पर बट्टा लगा है। हालांकि सोशल मीडिया में वायरल वीडियो के बाद पुलिस हरकत में आई और छोटा कट्टा के साथियों को गिरफ्तार किया गया लेकिन बीच शहर में हुए मारपीट से लोग असहज महसूस कर रहे है। वैसे तो साहब हरफनमौला है और उनके काम से ज्यादा नाम बोलता है। सिंघम स्टाइल और लाठी भांजने में महारत होने के बाद अब तक वे अपनी कल्पना की कला को साकार नहीं कर पाए हैं। उनकी कड़क थानेदारी से अपराधी तो परेशानी में है लेकिन उनके काम कम और नाम ज्यादा वाली सोच से जनता भी सोच में है – “साहब किताब कम औऱ थानेदारी ज्यादा करे तो काम के दम पर नाम तो हो ही जाएगा।”
गरीबों का निवाला और आईटी की जयमाला
छत्तीसगढ़ में पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, उनके परिजन एवं करीबी कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी में करोड़ों रुपए के लेनदेन और जमीन के दस्तावेज मिले हैं। अब आयकर विभाग इन दस्तावेजों की लिस्ट तैयार कर रही है ताकि कोई कोर.कसर बाकी न रहे। हालांकि छापेमारी के दौरान मंत्री अपने छत्त की खुली फ्लोर पर योगा करते दिख रहे हैं पर समय बेसमय का ये योगा लोगों को हजम नहीं हो रहा है।
इस पूरे मामले में करीबी से नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि आयकर विभाग को देखकर अच्छे अच्छे लोगा शीर्षसन करने लगते हैं मंत्रीजी तो केवल योगा कर रहे हैं इसमें हर्ज क्या है। खबरीलाल की माने तों छापे में विभाग को कृषि भूमि, बेशकीमती प्लॉट, फार्म हाउस और इसमें बनाए गए फ्लैट की लिस्ट मिली है। 50 से ज्यादा बैंक खाते मिले है। इस लिस्ट का मिलान करने के बाद आगे कार्यवाही की जानी है। हालांकि जांच पूरी करने के बाद अंतिम बयान देने और दस्तावेजी साक्ष्य देने एक मौका दिया जाएगा।
अंदरखाने में इस बात की चर्चा है कि मंत्री के ठिकानों पर आयकर विभाग की नजर तभी पड़ गई थी जब कोराना काल में गरीबों को मुफ्त बांटे जाने वाले चावल में गोलमाल की शिकायत सामने आई थी। मगर तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, और मंत्रीजी की तूती बोलती थी। अब सरकार बदल गई है और गरीबों का निवाला हजम करने की बात सामने आई तो इंकम टैक्स विभाग जयमाला लेकर पहुंच गया। वैसे भी कहा जाता है कि गरीबों की आह बेकार नहीं जाती है, लिहाजा हिसाब तो देना होगा।
“तो क्या बाबू चलाएंगे निगम को…”
निगम आयुक्त की मीटिंग में ऐसा क्या हुआ कि सन्नाटा छा गया और माननीया को कहना पड़ा तो क्या बाबू चलाएंगे निगम को..! दरअसल हुआ यूं कि नगर निगम के कार्यो की समीक्षा के लिए आयुक्त महोदया ने बैठक बुलाई थी। बैठक में जब निविदा खोलने में हो रही विलंब को लेकर प्रश्न करने पर सधा सा उत्तर मिला कि बाबू ई एल में है। प्रतिउत्तर सुनकर शांत चित्त माननीया ने गुस्से से लाल होकर कहा कि तो निगम को बाबू चलाएंगे क्या .! आयुक्त महोदया का गुस्सा होना भी उचित ही है क्योंकि निगम के बाबू इतने घाघ है कि वे अधिकारी को कुछ समझते ही नही। अब बात निहारिका मेन रोड की एक दुकान की बिक्री को हो ले लिजिए संपदा शाखा में पदस्थ बाबू ने अधिकारियों के आंखो में धूल झोंककर 50 लाख की दुकान का वारिस खड़ा कर बेच दिया। मामला जब चर्चा में आया में तो बाबू साहब का सेक्शन चेंज कर दिया गया। दुकान बेचने का मामला जब ठंडा पड़ा तो फिर से संपदा शाखा में पदस्थ कर दिया। मतलब साफ है निगम में बाबू राज इस कदर हावी है कि बाबू सरकारी अलमारी को अपने घर की तिजोरी समझते है और मनचाहा रकम लुटाते हैं। जिसमे काम कम और दाम ज्यादा मिले..!
मिट्टी से सोना बनाने वाले पार्षदों का क्या होगा..?
सरकार बदलते ही शहर में सरकारी कब्जा धारियों की जमीन पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया है। शासकीय जमीन पर चल रहे बेदखली को लेकर जनमानस के मन मस्तिष्क में एक सवाल कुरेद रहा है कि “अब उन ‘पार्षदों का क्या होगा’ .. जो सत्ता के नशे में मदमस्त होकर सरकारी जमीन पर सोने की फसल लहलहा रहे थे।”
बात निगम क्षेत्र के उन पार्षदों की है जो सिर्फ कब्जा कराने और सरकारी जमीन पर राखड़ पटवाने का एक सूत्रीय कार्यक्रम चला कर “जो जमीन सरकारी है” वो हमारी है के सुर में कब्जा करा कर अवैध धन उगाही कर रहे थे। अगर बात झोपड़पट्टी क्षेत्र के उन पार्षदों की करे तो राताखार, टीपी नगर, पथर्री पारा, दादर, खरमोरा ,पोड़ी बहार और एसईसीएल की सरकारी जमीनों को बेचकर मिट्टी से सोना निकालने का काम जिन्होंने किया है। वे अब बेचैन है क्योंकि जब बुलडोजर चल रहा तो जमीन खरीददार मांग कर रहे कि हमने तो खून पसीने की कमाई से जमीन खरीदी है…बेचने वालों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए..।
जनमानस की बुलंद होती आवाज ने जमीन बेचने वाले पार्षदों को टेंशन में डाल दिया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पटकथा लिखी जा रही है।
छापे में चमत्कार, राडार में है ठेकेदार…
पूर्व मंत्री के घर पड़े छापे के एक चमत्कार हुआ है जिसके बाद दुर्ग रायपुर और अंबिकापुर के कुछ समाज मे सुचिता के ठेकेदार भी जांच के रडार में आ गए है। दरसअल इनकम टैक्स टीम ने पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री घर से एक डायरी जब्त की है। जिसमे कुछ प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा समाज सुधारक कुछ ठेकेदार को शुकराना देने का उल्लेख है। सूत्रों की माने तो जब्त डायरी में जिन अफसरों और ठेकेदारो के नाम दर्ज है उन्हें भी पूछताछ के लिए सम्मन जारी करने की संभावना है। चर्चा तो इस बात की भी है कि मंत्री के घर से जब्त 26 पेज की डायरी में कई राज दर्ज है जिसे इनकम टैक्स कभी भी खोल सकती है। डायरी जब्त होने की बात उजागर होने के बाद नेता , अफसर और समाज के ठेकेदार की टेंशन बढ़ गई है। कहा तो यह भी जा रहा है पूर्ववर्ती सरकार में सत्ता के साथ सांठगांठ कर सप्लाई और ठेकेदारी करने वाले कारोबारियों की लिस्ट तैयार की जा रही है। जिससे ऐसे कारोबारियों की गर्दन नापी जा सके जो कागज में सप्लाई कर सरकारी रकम को डकारने का कुकर्म किये हैं। बहरहाल छापे में जब्त डायरी की बात आम होने के बाद किस किस के माथे कलंक का काला टीका लगेगा..इसे लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं।