मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पौधा मां के नाम” अभियान के तहत डीएफओ मनीष कश्यप ने मनेंद्रगढ़ जिले में महुआ बचाओ अभियान का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस अभियान में शुक्रवार को स्थानीय विधायक रेणुका सिंह भी शामिल हुईं।
महुआ बचाओ अभियान के तहत अब तक जिले में लगभग तीस हजार से अधिक महुआ के पौधे लगाए जा चुके हैं। किसानों और स्थानीय लोगों को महुआ लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वन विभाग ने पौधे बांटने के लिए ट्री गार्डन भी स्थापित किए हैं। डीएफओ के अनुसार, आने वाले दिनों में महुआ बचाओ अभियान को पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है।
0.कल्पवृक्ष मानते हैं आदिवासी
आदिवासियों के लिए महुआ एक महत्वपूर्ण पेड़ है जिसे वे कल्पवृक्ष मानते हैं। बस्तर और सरगुजा के आदिवासी क्षेत्रों में महुआ के पेड़ को बहुत महत्व दिया जाता है। महुआ के सीजन में गांव की गलियां सूनी हो जाती हैं और लोग अपने घरों में व्यस्त हो जाते हैं। महुआ से प्राप्त फल को बेचकर किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
महुआ के पेड़ के फल, बीज, छाल और पत्तों का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है। कुल मिलाकर, महुआ के पेड़ से लेकर उसकी पत्तियों तक की मांग बाजार में बनी रहती है, जिससे यह पेड़ किसी कल्पवृक्ष से कम नहीं है। आदिवासियों के लिए यह आय का एक बड़ा स्रोत है, लेकिन महुआ के पेड़ों की कमी से महुआ फल की आवक में तेजी से कमी आ रही है।
0.महुआ बचाओ अभियान को प्रमोट करने पहुंचीं विधायक रेणुका सिंह
महुआ पेड़ों की घटती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने महुआ बचाओ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत बड़ी संख्या में वन विभाग की ज़मीन पर महुआ के पौधे लगाए जा रहे हैं। वन विभाग ने इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। आदिवासी इलाकों में रहने वाले परिवार बड़ी संख्या में महुआ के पौधे लेकर उन्हें लगा रहे हैं। शनिवार को बीजेपी विधायक रेणुका सिंह महुआ बचाओ अभियान को प्रमोट करने के लिए मनेंद्रगढ़ पहुंचीं और वहां महुआ का पौधा लगाया।
रेणुका सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक पौधा मां के नाम’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत हमने भी महुआ का पौधा आज लगाया है। महुआ के साथ-साथ सभी पेड़ों के पौधे लगाए जाने चाहिए। यहां के जंगल काफी घने हैं लेकिन जगह भी खाली है। हमें इस अभियान से जुड़कर महुआ के पौधे लगाने चाहिए।”
डीएफओ मनीष कश्यप ने कहा, “हमने जिले में महुआ बचाओ अभियान चलाया है। इसका उद्देश्य महुआ के घटते पेड़ों की संख्या को बढ़ाना है। महुआ के पेड़ कई आदिवासी परिवारों की आजीविका का स्रोत हैं। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोग इस अभियान से जुड़कर महुआ के पौधे लगाएं। आने वाले दिनों में हमें इस अभियान के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।”
0.जीवकोपार्जन में महुआ पेड़ का महत्व
महुआ के पेड़ से मिलने वाले फल और छाल से दवाएं बनती हैं। महुआ के फल से मिठाई और चिक्की भी बनाई जाती है। महुआ से बने सामान हेल्दी होते हैं और अगर इन्हें रोजाना खाने में शामिल किया जाए तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
औसतन एक महुआ पेड़ की उम्र लगभग साठ साल होती है और इससे कई परिवारों की आजीविका चलती है। यदि हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए, तो इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है।