जगदलपुर, 23 सितंबर। Letter Bomb : माओवादी संगठन की केंद्रीय कमेटी और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) ने वरिष्ठ नेता कामरेड सोनू द्वारा जारी ‘हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने’ की अपील को पूरी तरह खारिज और निंदनीय करार दिया है। पार्टी ने इसे ‘क्रांति के साथ विश्वासघात और संशोधनवाद की मिसाल’ बताते हुए सोनू पर संगीन आरोप लगाए हैं और उनके खिलाफ आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं।
पार्टी का साफ संदेश
पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ‘हथियार दुश्मन को सौंपकर आत्मसमर्पण करना न सिर्फ पार्टी की नीति के खिलाफ है, बल्कि शहीदों और उत्पीड़ित जनता के साथ किया गया विश्वासघात है।
संगठन का कहना है कि कामरेड सोनू द्वारा दिया गया बयान उनका ‘व्यक्तिगत निर्णय’ है, और यह पार्टी की राजनीतिक लाइन, रणनीति और जनयुद्ध के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।
पार्टी के अनुसार, सोनू द्वारा यह दावा करना कि महासचिव शहीद कामरेड बसवराजु ने भी हथियार छोड़ने की पैरवी की थी, ‘सच्चाई से खिलवाड़ और सस्ती राजनीति’ है। प्रेस नोट में कहा गया कि. कामरेड बसवराजु ने कभी भी हथियारबंद संघर्ष को स्थायी रूप से छोड़ने की बात नहीं की थी। बल्कि उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के कगार युद्ध (Low-Intensity Conflict) का मुकाबला करने का आह्वान किया था।
सोनू को पार्टी से हथियार लौटाने का अल्टीमेटम
प्रेस विज्ञप्ति में एक कड़ा संदेश देते हुए कहा गया है कि यदि सोनू और उनके साथी हथियार पार्टी को स्वेच्छा से नहीं लौटाते, तो PLGA (People’s Liberation Guerrilla Army) को उन्हें ‘जब्त करने’ के निर्देश दिए जाएंगे।
प्रचंडा मॉडल की निंदा
संगठन ने नेपाल में माओवादी नेता प्रचंडा द्वारा अपनाए गए संसदीय रास्ते को भी ‘नया संशोधनवाद’ कहते हुए तीव्र आलोचना की है और सोनू के कदम को उसी ‘गद्दारी की राह’ का हिस्सा करार दिया। संगठन के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार- हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से त्यागने की बात महज एक छलावा है। असल में यह संसदीय रास्ते को अपनाने का बहाना है, जो भारतीय क्रांति को खत्म करने की साजिश है।
क्रांतिकारी आंदोलन में पीछे हटना हार नहीं
पार्टी ने दावा किया कि बदले हुए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हालात में भी हथियारबंद वर्ग संघर्ष और जनयुद्ध की आवश्यकता पहले से अधिक बढ़ गई है। आर्थिक असमानता, सामाजिक उत्पीड़न, ब्राह्मणीय हिन्दुत्व फासीवाद और कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ संघर्ष ही पार्टी का एकमात्र रास्ता है। क्रांतिकारी आंदोलन की पीछेहट और हार अस्थायी होती है, लेकिन आख़िरी जीत जनता की होगी।
शांति वार्ता पर नरमी, लेकिन शर्तों के साथ
पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब भी ‘शांति वार्ता’ के लिए तैयार है, बशर्ते केंद्र और राज्य सरकारें ईमानदारी से आगे आएं। इसके लिए नागरिक समाज से समर्थन जुटाने का आह्वान भी किया गया है।
कामरेड सोनू को लेकर पार्टी का संदेश साफ है, यदि आत्मसमर्पण करना है तो करें, लेकिन पार्टी की नीति और हथियारों पर उनका कोई अधिकार नहीं। बहरहाल, यह पूरी घटना भारत के सशस्त्र वामपंथी आंदोलन में एक गंभीर वैचारिक विभाजन की ओर इशारा करती है।
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