कटाक्ष
What is Raja’s “Raaj” सीख और शिकायत,कितने आदमी थे..राजा का क्या है ” रा ज”,ये पब्लिक है जो..शिक्षकों की पिक्चर…
ईडी और सवाल: कितने आदमी थे……
छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन घोटाले में एक आईएएस, एक ब्यापारी और एक सीए और कुछ कारोबारी के साथ ईडी ने तीन जिला खनिज अधिकारियों को भी जेल पहुंचा दिया है। परिवहन घोटाले से जुड़े नेता और अफसर ईडी को अब गब्बर सिंह कह कर बुलाने लगे हैं, इसकी वजह ये है कि गिरफ्तार किए गए लोगों से ईडी के अफसर एक ही सवाल पूछ रहे हैं जो शोले में गब्बर सिंह ने सांबा से पूछा था….यानि कितने आदमी थे…..।
मामला कोरबा से जुड़ा हुआ है। जहां कोयला परिवहन घोटाले की नींव रखी गई थी, हालांकि अभी तक ईडी के हाथ केवल रिकार्ड ही लगे हैं, कुछ पुख्ता सबूतों की तलाश में कोरबा के कुछ और सफेदपोश और अफसर अभी ईडी के रेडार पर हैं। कोरबा के कलेक्ट्रेट से लेकर माइनिंग आफिस तक ईडी की टीम खंगाल चुकी है। इसी के बाद जिला खनिज अधिकारियों की गिरफ्तार शुरू हुई। अब इन खनिज अधिकारियों से यही पूछा जा रहा है और कितने आदमी थे….।
यानि ईडी के हाथ इस बात के सबूत लग चुके हैं कि केवल स्थानीय स्तर इतने बड़े घोटाले को अंजाम देना अफसरों के बूते की बात नहीं है। पूरे खेल में कोई बड़ा खिलाड़ी भी है, वो उसी तक पहुंचना चाहती है। खबरीलाल की माने तो जब तक अफसर ये नहीं बता देते …..कितने आदमी थे….तब तक ईडी का डेरा छत्तीसगढ़ में बना रहेगा।
चोरी के राजा का क्या है ” रा ज”
पॉवर प्लांट से केजीएफ की तर्ज पर चोरी करने वाले रॉकी भाई यानी राजा का “रा ज” तो बस पकड़ने और छोड़ने वाले ही जानते हैं। हां पुलिस कस्टडी से राजा की फरार होने की खबर आमजन ने पढ़ी है तब से पब्लिक का पुलिस के प्रति मन श्रद्धा से भर गया है।
कई वर्षों की मेहनत से ही पुलिस ने न केवल आम लोगों का बल्कि अपराधियों का भी विश्वास जीता है और इसी का नतीजा है कि लूटेरे पूरी तसल्ली से कोयला खदान और पॉवर प्लांट लूटते हैं। आराम से वाहन आने का इंतजार करते हैं और इत्मीनान से बैठकर चले जाते हैं। जिस कदर गिरफ्तारी के बाद आरोपी की फरारी हुई है। उससे अपराधियों और पुलिस के बीच इसी तरह का सौहार्द्र एवं विश्वास बनाने की जरूरत पिछले कुछ महीनों से की जा रही थी।
खैर जिस अंदाज में चौकी से राजा नौ दो ग्यारह हुए उससे कई पुलिस कर्मी संदेह के दायरे में आ गए हैं। वैसे तो घटना को तीन दिन बीत चुके हैं पर अब तक आरोपी का सुराग नहीं मिल सका है। हां ये बात अलग है कि पुलिस महकमा हवा में हाथ पैर मार कर केस को सुलझाने और पब्लिक को उलझाने का प्रयास कर रही है।
ये पब्लिक है जो सब जानती है..
अर्से पहले राजेश खन्ना की एक फ़िल्म आई थी जिसका गाना “ये पब्लिक है सब जानती है” खूब बजा था। अब यह गाना रजिस्ट्री करने वाले एक बाबू साहब पर सटीक बैठ रही है। साहब की एक रजिस्ट्री अब उनके लिए मुसीबत साबित हो गई है। दरअसल जिस जमीन रजिस्ट्री की बात चल रही है वो अब ईडी के रडार में है। खबरीलालाल की माने तो बाबूसाहब ने बिना स्पॉट फेरिफिकेशन के 150 करोड़ की जमीन को कौड़ी के दाम में बताकर करोड़ों की स्टॉम्प ड्यूटी चोरी करने में अपने आकाओं की मदद की।
अब जब मामला जाँच के रडार में आया तो साहब बगले झांकने लगे हैं। वो कहावत तो सभी ने सुना है ” कोयले की दलाली में हाथ काला” लेकिन इस कहावत को अब लोग जमींन दलाली जी का जंजाल कहने लगे हैं। हाँ ये बात अलग है कि कुछ ऐसे शुर्तमुर्ग है जो यह समझते है कि सिर को छुपा लेने से उनका पूरा कारनामा दब जाएगा। लेकिन,ये तो पब्लिक है जो सब जानती है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि इस रजिस्ट्री में बाबू साहब को बड़ा लाभ हुआ था। तभी तो साहब ने रजिस्ट्री के कायदे को फायदे में तब्दील करते हुए देर रात तक दफतर को खुला रखा था। खैर अब सेन्ट्रल एजेंसी की जाँच में ये खुलासा हो ही जाएगा कि आखिर उस रात क्या हुआ था ?
छात्रों के प्रोजेक्टर पर चल रही शिक्षकों की पिक्चर