कप्तान पर थानेदारों की “नजर”
जिस तरह चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र में बरसने वाले पानी का अपनी प्यास बुझाने के लिए प्रतीक्षा करता है। ठीक उसी तरह ऊर्जाधानी के कुछ ऊर्जावान थानेदार एसपी के स्थानांतरण सूची के बिना जारी हुए स्वयं ही समीक्षा कर रहे हैं।
दरअसल लोकसभा का रिजल्ट 4 जून को डिक्लेयर हो जायेगा और आचार संहिता भी समाप्त हो जाएगी। अचार संहिता हटने के बाद सरकार नये सिरे से आईपीएस अफसरों का तबादला कर होनहार जिलाधिकारियो की पोस्टिंग करेगी। लिहाजा स्थानांतरण सूची की प्रतीक्षा बड़े अफसरों के साथ साथ जिले के जांबाज थानेदारों को भी है क्योंकि ऊर्जाधानी में कोयला, कबाड़ और डीजल से ऊर्जा के साथ रेत से तेल और सट्टा जुआ के खेल से थानेदारी चमकाने वाले थानेदार कप्तान की कप्तानी पारी से हताश हैं।
उनका हताश होना भी जायज भी है क्योंकि थानेदार कोरबा पोस्टिंग ही कुछ पाने और गीत गुनगुनाने के लिए कराते हैं। सो जब तक कुछ बड़ा न हो थानेदारी का मजा कैसा..! पुलिस के पंडितों की माने तो जिले में अवैध कामों को सिर्फ हवा देने टीआई जोर आजमाइश कर चुके हैं लेकिन, साहब के सिद्धांत के आगे उनकी एक न चल सकी।
सो अब ऐसे थानेदारों को मात्र स्थानांतरण के संबल में अपना बल नजर आ रहा है। हालांकि उनकी मनोकामना पूरी होगी या नहीं यह तो बाद की बात है..। चर्चा तो इस बात की भी जोरों पर है कि कुछ अवैध कारोबारी भी थानेदारों के साथ उठक बैठक कर साथ में गीत “हम होंगे कामयाब एक दिन” गुनगुना रहे हैं।
अंक चार दीदी या भाभी.. किसकी बारी.किससे यारी
अंक 4 और दिन मंगलवार दोनों ही शुभ है सो यह 4 जून दीदी या भाभी की नैय्या लगायेगी पार…! इस पर चर्चा छिड़ गई है। वैसे तो चार अंक का महत्व जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है। अक्सर लोगों को कहते सुना होगा चार लोग क्या कहेंगे, चार लोगों से सलाह ले लेना चाहिए… इस तरह की कई बातें चार से जुड़ी हैं।
सो कोरबा लोकसभा में भी अंक चार का बड़ा महत्व रहने वाला है। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में अंक चार पर सूर्य और राहु का प्रभाव माना जाता है। 7 चरणों में हुई वोटिंग और 7 अप्रैल को हुए मतदान के 4 जून को मतों की गिनती होगी। यानी 4 तारीख को दीदी और भाभी की किस्मत का फैसला हो जाएगा। लेकिन, अंक 4 राजनीति की कुंडली बाचने वालों के लिए संयोग और कुसंयोग दोनों लेकर आ रही है। दरअसल अंक 4 का मूल अंक 4 ही होता है और 4 अंक को राहू का अंक माना जाता है। अब राहू किस पर मेहरबान होता है ये भी 4 तारीख को ही पता चलेगा।
दत्तक “पुत्र” और DFO का सूत्र
जब किसी गणित को हल करने में समस्या आती है तब उसे सूत्र में पिरो कर आसान किया जाता है। ठीक इसी शैली में वन विभाग में दत्तकपुत्र की नौकरी के गणित का दस्तावेज जटिल हो गया तो सुलझाने के लिए डीएफओ के सूत्र सहारा लिया जा रहा है। वन विभाग में चल रहे चटखारे पर गौर करें तो जनाब किसी के दत्तक पुत्र बनकर नौकरी कर रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा कि जिसके दत्तक पुत्र बने हैं उनके भी उत्तराधिकारी हैं, सो पोल खुलने की भय से नौकरी से जुड़े प्रणामपत्र को गोपनीय बताकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो उनकी फर्जीवाड़े की जानकारी होने पर पूर्व डीएफओ ने इन्हें साइड लाइन लगा दिया था। उनके ट्रांसफ़र होते ही फिर से तत्तकालीन डीएफओ को चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर फिर से डिपार्टमेंट के फाइलों के साथ फर्राटे भर रहे हैं।
खबरीलाल की माने तो पंडित जी बड़े सयाने है जो डिपार्टमेंट में बड़े अफसर बनकर लोगों को डीएफओ से शिकायत का भी धौंस दिखा रहे हैं। उनकी नौकरी पर बार – बार उठ रहे प्रश्नों पर डीएफओ की चुप्पी जंगल राज होने के दावे की पुष्टि हो रही है। राम जाने की शिकायतों और नियमों को दरकिनार कर उसको मलाई वाले काम सौंपकर डीएफओ दत्तकपुत्र पर कौन सा सूत्र लगा रहे हैं।
गोदरी के लाल ओपी चौधरी
न कोई शोर न कोई दिखावा..अपने के साथ अपनों का प्यार..कुछ ऐसे ही सादगी से साथ प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपने परिवारजनों के साथ जन्मदिन मनाया। रविवार 2 जून का दिन उनके दोस्तों ने यादगार दिन बना दिया।सुबह से ही उनके समर्पित समर्थक और प्रशंसक उनके घर पहुंच कर अपने लाडले ओपी भाइया को बर्थ डे बधाई और शुभकामनाएं देने पहुंचे।
रायगढ़ के बयांग में पले बढ़े छत्तीसगढ़ के गोदरी के लाल ओपी चौधरी का बचपन यहीं की गलियों में गुजरा है। सभी बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। अपने 42वें जन्मदिन पर जब उन्होंने मां के पैर स्पर्श कर आशीर्वाद लिया तो ममता से से भरे उनके हाथ सिर पर फेर कर अपने बेटे को शुभाशीष दी। उनकी जीवन संगनी डॉक्टर अदिति पटेल घर पर आए मेहमानों की स्वागत करती रही। ये सिलसिला सुबह से शाम तक चला।
गांव सरकारी स्कूल में पढ़ाई पूरी कर मात्र 22 साल में आईएएस बनने वाले ओपी चौधरी शासकीय सेवा के अलावा राजनीति में भी सफल रहे। ऐसा बहुत कम होता है जो किसी एक शख्सियत में प्रशानिक और राजनीतिक कौशल मौजूद हो। ओपी चौधरी इसकी मिसाल हैं। आईएएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति में जनता की सेवा करने आए ओपी इस वक्त प्रदेश में वित्तमंत्री का जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
मात्र 5 महीने के उनके मंत्रिमंडलीय कार्यकाल में प्रदेश में वित्तीय अनुशासन देखने को मिला। सरकार के खजाने में आने वाले धन का उपयोग जनता के हित में कैसे हो इसका दारोमदार उन्हें पूरा करना है। जब सरकार का खजाना कर्ज में डूबा हो जनता की उम्मीदें उन्हीं पर टिकी हो तो ये जिम्मेदारी कांटों भरा ताज जैसी ही होती है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि जीवन की हर चुनौती के सामने डटकर खड़े रहने वाले रायगढ़ के गोदरी के लाल ओपी चौधरी इसे कांटों से भरा ताज की जगह फूलों का सेहरा बना लेंगे। “न्यूज पॉवर जोन” की ओर से हमारी भी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
मूसे वाला और हुज़ूर-ए-वाला
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने से पहले इस देश में एक बार फिर पंजाबी सिंगर के गाये ‘पंजाब:माय मदरलैंड’की चर्चा पड़ी है। पंजाब:माय मदरलैंड की दोबारा चर्चा कांग्रेस के हुज़ूर-ए-वाला की वजह से हो रही है। मूसे वाला को लेकर हुज़ूर-ए-वाला इस वक्त चर्चा में हैं। ये जान लें कि सिद्धू मूसेवाला कांग्रेस सदस्य थे और 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था. लेकिन उन्हें हार मिली।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जब एग्जिट पोल को लेकर कहा,’यह एग्जिट पोल नहीं है, यह उनका फैंटेसी पोल है। इंडिया गठबंधन को मिलने वाली सीटों की संख्या के बारे में उनका कहना है था कि, ‘क्या आपने सिद्धू मूसेवाला का गाना 295 सुना है? 295 सीटें मिलेंगी। दरअसल 295 एक गाने का नाम है, जिसे कि मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला ने गाया था।
दरअसल मूसेवाला के गाने 295 में 295 सिर्फ एक नंबर नहीं है। इस गाने के बोल हैं ‘धर्मां दे नाम ते डिबेट मिलुगी. सच बोलेगा तां मिलु 295 जे करेगा तरक्की पुट हेट मिलुगी’। इसका हिंदी में अर्थ होता है कि धर्म के नाम पर डिबेट होती रहती है, जहां तुम सच बोलते हो तो धारा 295 लगा दी जाती है। अगर तुम तरक्की करोगे तो यहां तुम्हें नफरत मिलेगी।
सही मायने में हुज़ूर-ए-वाला इस गाने के मार्फत एग्जिट पोल जारी करने वाले मीडिया को आगाह करने की कोशिश कर रहे हैं। जो भी हो ये गाना कितना हिट होगा ये कल शाम तक साफ हो जाएगा…जब नतीजे आपके सामने होंगे।