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Korba: बिजली-कोयले का पूरा हिसाब, पर दम घोट रहे बेहिसाब प्रदूषण पर अंकुश के लिए कोई युक्ति नहीं ढूंढ पाए, उद्योग निरंकुश

कोरबा। ऊर्जानगरी में जिस हिसाब से बिजली उत्पादन की एक एक यूनिट का लेखा जोखा बन रहा, हवा-पानी में घुल रहे प्रदूषण के बेहिसाब जहर का पैमाना नोट करने में शासन प्रशासन विफल रही। दिन प्रतिदिन लोगों के लिए सांसें लेना मुश्किल हो रहा है और दम घोट रहे वातावरण की पैरवी करने वाला कोई नहीं। मनमानी कर रहे उद्योग, संयंत्र और खदान प्रबंधन नियंत्रण से बाहर हैं, जिन पर जुर्माने का कोई असर नहीं। यही वजह है जो साल 2023 में सबसे ज्यादा जुर्माने की कार्रवाई की गई पर प्रदूषण का हल ढूंढने कोई कारगर उपाय नहीं किए जा सके।बीते चार साल के अंदर हुए जुर्माने की कार्रवाई पर नजर डालें तो सबसे अधिक कार्रवाई वर्ष 2023 में हुई है।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी उपक्रमों पर लाखों का जुर्माना लगाया है, पर इससे आमजनों को को राहत नहीं मिल सकी। जुर्माना अदा करने के बाद संबंधित उपक्रम अपनी मनमर्जी से ही राख फेंक रहा या प्रदूषण फैला रहे हैं। एसईसीएल दीपका द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन में लापरवाही बरते जाने पर पर्यावरण संरक्षण विभाग पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। इसी तरह कोलडस्ट की वजह से एक लाख रूपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया गया है। वहीं गेवरा, दीपका कुसमुंडा खदान पर भी एक- एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया। इसी तरह बाल्को पर फ्लाइऐश के डंपिंग के मामले में पांच बार 1.25 लाख रूपये तथा एक बार तीन लाख रूपये (कुल 9.25 लाख रूपये) का जुर्माना लगा कर वसूला गया है। यह कार्रवाई बाल्को प्रबंधन द्वारा यहां- वहां राख फेंके जाने के मामले में की गई है। कोरबा के क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी एस पिस्दा का कहना है कि एनजीटी के निर्देशानुसार जिन उद्योगों व खदानों में लापरवाही सामने आई है उन पर जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही सभी कंपनी प्रबंधन को कड़ी हिदायत भी दी गई है।

 

एसईसीएल की खदानों के प्रदूषण से कठिन हो रहा सांस लेना

 

प्रदूषण से हर वर्ग परेशान है। खदान से लगे क्षेत्र में उड़ रही धूल हो या फिर ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली राख। संयंत्रों से निकलने वाली राखड़ डंप किए जाने से शहरी क्षेत्र के लोग त्रस्त हैं। विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली राख के साथ ही साऊथ ईस्टर्न कोलफिल़्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानों से हो रहे प्रदूषण की वजह से सांस लेना दुश्वार होते जा रहा है। गाइड लाइनों को दरकिनार करते हुए मनमानी से कार्य किया जा रहा है। निर्धारित स्थल के बजाय मनमर्जी से जहां खाली जगह मिली, वहां राख का डंप किया जा रहा है। राख भरे भारी वाहन भी बेलगाम सड़क में दौड़ रहे हैं। खदानों के आसपास तो कोलडस्ट से सांस तक लेना मुश्किल हो गया है। कुसमुंडा, गेवरा, दीपका क्षेत्र में लोग प्रदूषण की समस्या से सबसे अधिक बेहाल हो चुके हैं।

लैंको-बालको और सीएसईबी, सब पर लगाई पेनाल्टी

 

चांपा मार्ग में ग्राम पताढ़ी में स्थित लैंको अमरकंटक विद्युत संयंत्र पर भी 1.25 लाख का पेनाल्टी लगाया गया है। लैंको पर भी फ्लाई ऐश के निपटारे में लापरवाही बरतने पर यह कार्रवाई की गई है। विभाग ने संयंत्र को चेतावनी देते हुए राखड़ निपटारे में गाइडलाइन का पालन करने कहा है। विद्युत उत्पादन कंपनी के दोनों प्रमुख संयंत्र एचटीपीपी और डीएसपीएम प्रबंधन पर मनमाने ढंग से राख डंप किए जाने पर कार्रवाई की गई है। सड़क किनारे राखड़ डंप करते कंपनी की हाईवा को दो बार पकड़ा गया था। साथ ही निश्चित स्थल पर राख डंप नहीं किए जाने की शिकायत भी सामने आ चुकी है। इस पर एचटीपीपी पर 8.98 लाख और डीएसपीएम पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया है।

राखड़ लेकर दौड़ते भारी वाहनों से लगातार दुर्घटनाएं

 

राखड़ परिवहन में लगे भारी वाहनों की वजह से दुर्घटनाएं भी लगातार हो रही है। रिसदी मार्ग में ही राखड़ भरे हाईवा से दुर्घटना होेने पर एक शिक्षिका समेत दो लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं एक अन्य मामले में बाइक सवार एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। उधर राष्ट्रीय राजमार्ग में भी राख भरे हाईवा की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। बावजूद भारी वाहन बेलगाम तेज गति से दौड़ रहे हैं। खास बात यह है कि क राख भरे वाहन में तिरपाल भी ढंके नहीं रहते हैं।

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