
प्रतीकात्मक तस्वीर
कोरबा। कहावत है जब समय खराब हो तो ऊंट में बैठे आदमी को कुत्ता काट लेता है ये बातें जिला पुलिस महकमें की महिला थानेदारों पर फिट बैठती है। पहले जिले की पुलिसिंग में महिला थानेदारों का रूवाब था। अब महिला मंडल में उनके रुवाब कम होने की खुसुर- फुसुर हो रही है।
एक दौर था जब पॉवर सिटी कोरबा में महिला थानेदारों के पॉवर का दबदबा था। ये वो दौर था जब साधना सिंह, मंजुलता राठौर और श्रुति सिंह की तिकड़ी ने बड़े थाने में थानेदारी कर खाकी के मान को गिरने नहीं दिया , और एक आज का दौर है जब महिला निरीक्षकों को सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए समय -समय पर उपयोग किया जा रहा है।
अब देखिए ना निरीक्षक मंजूषा पांडे, किरण गुप्ता, उषा सोंधिया की पोस्टिंग का बहीखाता। जब जब थाने विवाद में आए इन्हीं को संकट मोचक बनाया गया और हालत सामान्य होते ही लूप लाइन का रास्ता दिखा दिया।
हालांकि महिलाओं की थानेदारी भी साहब के नीति पर भारी रही है। तभी तो पोस्टिंग के बाद भी एक एक शिकायत पर बोल्ड आउट होकर लाइन लौट रहे हैं।
वैसे तो कहा जाता हैं कि सरकार के विभागों में महिलाओं की भागीदारी और नारी शक्ति से ही देश की तरक़्क़ी और भी..बहुत कुछ लेकिन कोरबा की हकीकत कुछ औऱ बंया कर रही है…!