प्रतीकात्मक तस्वीर (Election Korba)
कोरबा चुनावी परिणाम की प्रतीक्षा: उम्मीदों का इम्तिहान
Election Korba। कहावत है कि इंतजार का फल मीठा होता है। तो लीजिए साहब, इम्तिहान खत्म हुए और अब परिणाम के इंतजार की घड़ी शुरू हो गई। अब देखना होगा कोरबा में किस उम्मीदवार की उम्मीद जीतती है और 25 दिनों के इस इंतजार का फल मीठा साबित होता है। फिर देखना तो ये भी होगा न कि कौन बेचारा हार के बोझ का मारा अगले 5 साल इंतजार का भागी बनता है। बस आप तो अब तो शाहरुख खान की एक फिल्म का वही फेमस डायलॉग याद कीजिए कि पिक्चर अभी बाकी है …
मतदान के बाद की बेचैनी: कोरबा के प्रत्याशियों का इंतजार
करीब एक से डेढ़ माह की चुनावी प्रचार और यहां वहां भागदौड़ में अपने घर-परिवार और व्यवसाय से जुदा हो गए प्रत्याशियों को मतदान के बाद तन की राहत मिली है। पर नतीजे आने तक अब मन की बेचैनी शुरू हो गई है। फिलहाल वे अपना ज्यादा से ज्यादा परिवार के बीच बिता रहे हैं। वहीं उनकी नजरें अब मतगणना के दिन पर टिकी हुई हैं। प्रत्याशी ही नहीं उनके समर्थक भी बेसब्री से 4 जून का इंतजार कर रहे हैं। मतदान और मतगणना के बीच के एक माह का समय प्रत्याशियों सहित राजनीतिक दलों के लिए इंतजार की घड़ी बन चुका है जो काफी मुश्किल से गुजरने वाला है।
अभी पूरे 25 दिन का समय बचा हुआ है। इस बीच भले ही बीजेपी-कांग्रेस सहित अन्य दलों के बड़े नेता अन्य राज्यों में जा कर चुनावी प्रचार में व्यस्त हों, लेकिन प्रत्याशियों की धड़कने दिन प्रतिदिन तेज होती चली जाएंगी। हमारे नेताजी का कहना है कि परीक्षा देने के बाद रिजल्ट के लिए उत्सुकता तो रहती है।इंतजार लंबा है, लेकिन करना तो पड़ेगा ही। दलअसल चुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं माना जाता जिस तरह से परीक्षा समाप्ति के बाद छात्र-छात्राओं को परीक्षा परिमाण का इंतजार रहता है ठीक उसी तरह से चुनाव के बाद प्रत्याशी सहित नेता और राजनीतिक दलों को चुनाव परिणाम का इंतजार रहता है। बस परीक्षा और चुनाव में फर्क इतना ही होता हैं कि परीक्षा में ज्ञान की कसौटी पर छात्र परखे जाते हैं तो वहीं चुनाव में जनता की कसौटी पर खरे उतरने पर प्रत्याशी ही सफल हो पाते हैं।
पार्टी दफ्तर वीरान, नुक्कड़ों में सुबह शाम बनती बिगड़ती सरकार (Election Korba)
Election Korba: मंगलवार की रात तक जहां विभिन्न प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय गुलजार थे अब वहां अधिकांश जगह बुधवार को सन्नाटा पसरा था। हालांकि पार्टी के स्थाई कार्यालयों पर जरूर चुनावी चर्चाओं में पार्टी वर्कर मशगूल नजर आए। यहां कोरबा शहर के अलावा उपनगरीय और विधानसभा स्तर के दफ्तरों की बैठकी तो हो रही, जहां राजनीति पर रायशुमारी का दौर चल रहा है। मीडिया के सर्वे आंकड़ों से लेकर पार्टी के दावों और अपनी अपनी सरकार बनाने के लिए चुनावी बातें खास बनी हुई हैं। इधर गली मोहल्ले और नुक्कड़ पर चाय समोसे की दुकानों में हर रोज सुबह शाम अपनी अपनी सरकार बन रही है, जिसमे चुनावी नतीजों की गप शप के बीच मानों सांसद भवन की बहस भी छिड़ जाती है।
तन सुकून में पर मन बिचैन, परिवार और पूजा पाठ में राहत की तलाश
इधर प्रत्याशियों और उनके रणनीतिकार फिलहाल कुछ दिन राहत के पल में बिताना चाह रहे हैं। भले ही दिन रात की भाग दौड़ थम गई है और तन की राहत भी मिल गई है पर अभी मन की बेचैनी का एक नई दौड़ भी शुरू हो चुकी है। फिलहाल वे परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं और कल के नतीजों को सफल करने की आस में पूजा पाठ में भी मन लगाया जा रहा है।