कोरबा।प्रतिकूल मानसून। आशंकित किसान और कमजोर आवक। यह तीनों स्थितियां साफ संकेत दे रही हैं कि आने वाले दिन भी बारीक धान में तेजी के ही रहने वाले हैं। कुछ ऐसे ही संकेत महामाया और सरना से भी मिल रहे हैं क्योंकि कीमत के मामले में यह दोनों भी मजबूत हैं।
मानसून की बेरुखी का असर अब कृषि उपज मंडी में भी देखा जाने लगा है, जहां मोटा धान को छोड़कर शेष सभी जिंस की आवक सीमित होने लगी है लेकिन लिवाली का क्रम पूर्ववत बना हुआ है। ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धी खरीदी से भाव बढ़ते क्रम पर है। मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर अगली फसल की आवक तक बने रहने की आशंका है।
मजबूत होने लगी यह प्रजातियां
हर उपभोक्ता की पहुंच में है एचएमटी चावल लेकिन अब इसकी खरीदी महंगी पड़ने वाली है क्योंकि एचएमटी धान 2800 से 3000 रुपए क्विंटल की दर पर खरीद रही हैं इकाइयां। गर्मी उस सियाराम धान में भी आने लगी है, जिसमें न्यूनतम भाव 3200 और अधिकतम भाव 3300 रूपये क्विंटल पर बोले जा रहे हैं। शीर्ष पर रहता आया है विष्णु भोग। यह जगह इसने 3400 से 3600 रुपए क्विंटल की कीमत के साथ बनाए रखा है।
आवक कमजोर हो रही
मानसून के प्रतिकूल तेवर को देखते हुए अनहोनी की आशंका के बीच अब बारीक धान की आवक किसानों ने कमजोर करना चालू कर दिया है। इससे मांग और आपूर्ति के बीच अंतर की खाई गहरी होने लगी है। ऐसे में कारोबारी सूत्र बारीक धान की सभी किस्म में दीर्घ अवधि तक तेजी की आशंका जता रहे हैं।
पीछे नहीं यह दोनों भी
पोहा में अंतरप्रांतीय कारोबार ने महामाया धान और भाटापारा कृषि उपज मंडी को जो पहचान दी है, वह अब छिपी नहीं है लेकिन मानसून की बेरुखी के बाद पोहा उत्पादक इकाइयों ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए चौतरफा खरीदी का सिलसिला बनाए रखा है। इसलिए प्रांगण में महामाया 2100 से 2200 रूपए क्विंटल और बाहर 2200 से 2300 रुपए क्विंटल पर सौदे हो रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति सरना में भी देखी जा रही है, जिसमें 1950 से 2000 रुपए क्विंटल पर लिवाली निकली हुई है।