कोरबा। अगर आप भी स्पीड के दीवाने है तो हो जाये सावधान! क्योंकि अब हाइवे में स्पीड कंट्रोल करने के लिए आ गई है इंटरसेप्टर व्हीकल। हाइटेक वाहन मिलने से अब पुलिस को क्राइम कंट्रोल में मदद मिलेगी।
यातायात प्रभारी एसआई गोवर्धन मांझी से मिली जानकारी के अनुसार इंटरसेप्टर वाहन एक हाईटेक गाड़ी है। ट्रैफिक पुलिस इंटरसेप्टर वाहन का इस्तेमाल करती है। एचडी कैमरा और जीपीएस से यह लैस इंटरसेप्टर व्हीकल में 360 डिग्री में घूमने वाला कैमरा है जो वाहनों की गति को नियंत्रित करने का काम करती है। तेज रफ्तार वाहनों की गति माप लेती है। इंटरसेप्टर में लगे कैमरे नंबर प्लेट की फोटो लेकर चंद सेकेंड में गाड़ी के नंबर प्लेट की प्रिंट निकाल देती है। बिना गाड़ी को रोके उसका चालान काट देती है। सड़क दुर्घटना को रोकने में यह कारगर साबित होती है। दुर्घटना के वक्त मदद के लिए भी तैयार रहती है। इंटरसेप्टर वाहन में ट्रैफिक विभाग का पूरा डेटा मौजूद रहता है और इस डेटा की मदद से गाड़ी मालिक को संदेश भेजा जाता है। इसी तरह यह बिना हेलमेट वालों को ट्रैक कर लेती है। सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों की भी फोटो खींच लेती है। यह गाड़ी जुर्माने की प्रक्रिया को आसान बनाती है। क्राइम कंट्रोल करने में भी इंटरसेप्टर वाहन से मदद मिलेगी।
क्या है इन्सेप्टर व्हीकल
आपने हाईवेज अक्सर कुछ लोगों को लापरवाही से ओवरस्पीडिंग करते देखा होगा. ओवर स्पीडिंग पर लगाम लगाने के लिए अक्सर पुलिसवाले एक गाड़ी लेकर हाईवे पर खड़े हो जाते हैं.
यह गाड़ी पुलिसवालों को पीछे से आ रही गाड़ियों की स्पीड बताती है. अगर वह ओवरस्पीड पर होती है, तो पुलिसवाले उसका चालान काट देते हैं. अब सवाल बनता है कि इस गाड़ी से दूसरी गाड़ियों की स्पीड का पता कैसे चलता है? आइए जानते हैं.
दरअसल, पुलिसवालों के इंटरसेप्टर व्हीकल (Interceptor) में एक रडार बेस्ड कैमरा डिवाइस लगा होता है. इसका इस्तेमाल गाड़ियों की स्पीड और डिटेल्स पर नजर रखने के लिए होता है.
इसमें लगे HD कैमरा और रडार रोड पर आ रही कार की स्पीड और डिटेल्स 200 से 700 मीटर दूरी से ही कैप्चर कर लेते हैं. दरअसल, इसमें लगे रडार सिस्टम से रेडियो वेव्स निकलती हैं. जो रोड पर आ रही गाड़ी से टकराकर वापस आती हैं.
ये वापस आने वाली वेव्स को कैप्चर करता है और कैलकुलेशन के हिसाब से गाड़ी की स्पीड इसे ऑपरेट कर रहे पुलिसकर्मी को मॉनिटर पर दिखाता है
अगर गाड़ी ओवरस्पीड होती है, तो पुलिसवाले या तो उस गाड़ी को रोक कर उसका चालान काट देते हैं या फिर इसी में लगे कैमरा की मदद से गाड़ी की नंबर प्लेट का फोटो खींचकर उसका चालान बना देते हैं.