कोरबा। एसईसीएल गेवरा में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनी रूंगटा के कर्मियों ने काम बंद कर शुक्रवार को जीएम कार्यालय का घेराव कर दिया। उन कहना है कि रूंगटा कंपनी अपने वर्करों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दर नहीं दे रही है। आधा वेतन खाते में और शेष कैस इन हैंड देते हैं। 25 हजार प्रतिमाह के वादे के विपरीत वेतन भी कम दिया जा रहा है। इस संबंध में एसईसीएल को भी अवगत कराया गया पर सबकुछ जानते हुए भी एसईसीएल प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है। यही वजह है जो उनका आक्रोश फूट पड़ा और सैकड़ों ड्राइवरों ने अपनी मांगों को लेकर SECL गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर दिया।
ड्राइवरों ने बताया कि काफी लंबे समय से रूंगटा कंपनी में काम कर रहे हैं। इसकी चार और कंपनियां हैं, जो कोयला उत्खनन का काम करती है। सभी कंपनी में अलग-अलग कर्मचारी हैं, जिनका वेतन अलग-अलग है। ऐसे में समान वेतन सबको नहीं मिल पा रहा है और न हीं उनको ईएसआईसी जैसी कोई मेडिकल सुविधा मिल पा रही है। इन बातों को लेकर वे आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए। उन्होंने SECL प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। उल्लेखनीय होगा कि रूंगटा कंपनी खदान के भीतर कोयले का खनन काम करती है। ठेका कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से खदान के भीतर उत्खनन का काम पूरी तरह से ठप हो गया है। खदान के भीतर वाहनों की लंबी कतार लग गई है।
1800 की बजाय पीएफ में 3600 कटौती, अलग अलग वेतन
उनका यह भी आरोप है कि उनका जो पीएफ काटा जा रहा है, वह भी अधिक है। कायदे से 1800 रूपए प्रतिमाह कटना चाहिए पर 3600 रूपए की दोगुनी राशि काट ली जाती है। पूछने पर कहते हैं कि सरकार के नियम के अनुसार ही कटौती की जा रही है। किसी को 15 हजार तो किसी को 18000 वेतन दिया जाता है। इसके पहले भी कंपनी के ठेका श्रमिकों ने मार्च 2024 में कोल माइंस अधिनियम, समान वेतन और मेडिकल की सुविधा दिए जाने की मांग को लेकर पहले दो खदान में काम बंद कर दिया, फिर गेवरा सीजीएम कार्यालय के सामने धरना दिया था। अब ड्राइवरों ने मोर्चा खोल दिया है।