मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के पुलिस कप्तान भोजराम पटेल इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर सुर्खियों में हैं। वीडियो में वे धार्मिक भजन “बांके बिहारी की देख जटा मेरो मन होय लटा पटा” पर जनसमूह के बीच थिरकते दिखाई दे रहे हैं। माथे पर चंदन, पारंपरिक वेशभूषा और भक्तिभाव से ओतप्रोत चेहरे के साथ एसपी का यह रूप सोशल मीडिया पर तेजी से फैला है।
जहां एक ओर समर्थक इसे उनकी निजी आस्था और सनातन संस्कृति का सम्मान बता रहे हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि यह वर्दी की गरिमा और पुलिस आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।
क्यों उठ रहे सवाल
पुलिस वर्दी सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि अनुशासन और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
वर्दी में सार्वजनिक मंच पर थिरकना पेशेवर छवि पर दाग माना जा रहा है।
आम धारणा है कि अगर यही काम कोई कांस्टेबल करता, तो कार्रवाई तय थी।
सवाल उठ रहे हैं कि वरिष्ठ अधिकारी को यह छूट क्यों?
सोशल मीडिया पर चुटकुले और तंज
“रामराज्य में कप्तान भी भक्तों के संग लटा-पटा हो रहे हैं।”
“लगता है जिले में कानून-व्यवस्था इतनी दुरुस्त है कि कप्तान अब भजन मंडली संभाल रहे हैं।”
कानून विशेषज्ञों की राय
कानून जानकारों का कहना है कि यह अनुशासन के खिलाफ है और इससे जनता का भरोसा पुलिस पर कमजोर होता है। महाराष्ट्र और यूपी में पहले ही वर्दी में डांस या रील बनाने पर सख्त रोक है।
दो राय बंटी
समर्थक कहते हैं: अधिकारी भी इंसान हैं, उन्हें आस्था दिखाने का हक है।
आलोचक सवाल करते हैं: व्यक्तिगत आस्था और प्रशासनिक जिम्मेदारी अलग रहनी चाहिए। वर्दी में भजन पर थिरकना पूरी पुलिस की छवि पर असर डालता है।
देखे वीडियो
बड़ा सवाल
क्या इस वीडियो पर पुलिस मुख्यालय या राज्य सरकार कोई कार्रवाई करेगी? या फिर यह मामला सोशल मीडिया की तात्कालिक चर्चा बनकर ठंडा पड़ जाएगा?
मुंगेली का यह वीडियो सिर्फ एक भजन पर थिरकते अफसर का दृश्य नहीं है, बल्कि यह बहस है कि वर्दी अनुशासन का प्रतीक है या फिर व्यक्तिगत आस्था का मंच।