कोरबा। जल आवर्धन योजना की शर्तों में निगम क्षेत्र के सभी वार्डों को चौबीस घंटे पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने का प्रावधान है। इसके विपरीत यहां 24 घंटे की बात तो छोड़ दीजिए, अनेक वार्डों में सुबह-शाम दो वक्त की दो पालियों में भी नगर वासियों के नल प्यासे रह जाते हैं। ऐसे में भला किस आधार पर ठेकेदार की राशि जारी कर दी गई, इस पार जांच हो और कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र जारी करने वाले अफसर को निलंबित किया जाए।
यह मुद्दा उठाते हुए वार्ड क्रमांक 4 देवांगन पारा के पार्षद सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने एक मार्च को आयोजित नगर पालिक निगम कोरबा के सामान्य सभा में कही। उन्होंने एजेंडा क्रमांक 11 जल आवर्धन योजना की मांग 1 पर आपत्ति दर्ज कराई। श्री जायसवाल ने कहा कि इस योजना के तहत ठेका अनुबंध के अनुसार सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे पानी देने का प्रावधान रखा गया था। इस योजना के अंतर्गत 4 जोनों को 24 घंटे पानी मिलना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। किसी वार्ड में 24 घंटे तो दूर की बात है, निगम के अनेक वार्डो में सुबह शाम की दो पाली में भी पानी नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में किस आधार पर ठेका कंपनी को अंतिम भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा एक अन्य ठेका कंपनी, मैक्स इंडिया प्रोजेक्ट्स एण्ड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड भिलाई को संचालन एवं संधारण का कार्य दिया गया है। संबंधित ठेका कंपनी का अनुबंध 18-05-2023 को समाप्त होने बाद भी अनुबंध को तीन-तीन माह बढ़ाकर भुगतान किया जा रहा है। इससे आभास होता है कि ठेका कंपनी और जल प्रदाय विभाग के प्रभारी के बीच साठगांठ कर फर्जी भुगतान किए गए। इतना ही नहीं, जल आवर्धन योजना भाग-1 के ठेका कंपनी को अनुबंध की शर्ते 24 घंटे पानी देने की शर्ते पूरा किए बिना ठेका कंपनी को कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र किस आधार पर जारी कर दिया गया। उन्होंने यह मामला उठाते हुए आवाज बुलंद की।
विपक्षी पार्षदों ने समर्थन देकर कहा- ऐसे अधिकारी को निलंबित करें
श्री जायसवाल को सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के पार्षदों ने समर्थन करते हुए एक स्वर से मांग की, कि सम्पूर्ण तथ्यों एवं इस तरह के भ्रष्टाचार की जांच की जाए। कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी को निलंबित करने की भी मांग की गई है। पार्षदो की कमेटी बनाकर जांच कराने का मांग की गई, जिसे सभापति श्याम सुंदर सोनी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। उन्होंने निर्देश दिया कि ठेका में संलग्न 71 मजदूरों की जांच की जाए। कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी को निलंबित किया जाए। यदि स्थानीय स्तर पर अधिकार न हो तो राज्य शासन को पारित प्रस्ताव अनुशंसा के साथ भेजा जाए और स्थानीय स्तर पर दो माह के अंदर जांच पूर्ण किया जाए।