
कोरबा 01 अगस्त 2025।कोरबा की कोयला खदानों के विस्तार से प्रभावित हो रहे भू-विस्थापितों की समस्याओं को लेकर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केन्द्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने एसईसीएल की नीतियों और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कोयला विस्तार परियोजनाओं से उपजे मानवीय संकट को प्राथमिकता देने की माँग की है।
“मुआवज़ा नहीं, पुनर्वास नहीं, रोजगार नहीं” – अग्रवाल ने जताई नाराजगी
पूर्व मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि कोरबा में संचालित एसईसीएल की कई खदानों के विस्तार के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, लेकिन बदले में उन्हें उचित मुआवज़ा, पुनर्वास या रोजगार के अवसर नहीं मिल पाए हैं। बरसात के मौसम में कई प्रभावितों के घर भी तोड़े गए, जिससे उनके समक्ष जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।
कोरबा दौरे पर भू-विस्थापितों की अनदेखी
जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में उल्लेख किया कि हाल ही में कोयला मंत्री का कोरबा दौरा हुआ, जिसमें केवल कोयला उत्पादन लक्ष्य की समीक्षा को प्राथमिकता दी गई। एसईसीएल अधिकारियों ने मंत्री को केवल तकनीकी प्रगति और उत्पादन आंकड़ों की जानकारी दी, लेकिन भू-विस्थापितों की पीड़ा से उन्हें अवगत नहीं कराया।
“बिना जनप्रतिनिधियों से संवाद, नहीं समझ पाएंगे सच्चाई”
पूर्व मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि जब तक कोयला मंत्री जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर वास्तविक हालात नहीं जानेंगे, तब तक वे भू-विस्थापन की पीड़ा और जनता की समस्याओं से परिचित नहीं हो पाएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन जानबूझकर मंत्री को जमीनी सच्चाई से दूर रख रहा है।
“विकल्प नहीं बचा, आंदोलन ही रास्ता”
पत्र में यह भी कहा गया है कि खेती से वंचित किए गए ग्रामीणों के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है और वे बार-बार प्रशासन से आश्वासन पाकर भी ठगे जा रहे हैं। इससे तंग आकर उन्हें बार-बार आंदोलन की राह अपनानी पड़ रही है। लेकिन हर बार समस्याओं को सिर्फ टालने की कोशिश होती है।
कोयला मंत्री से अपील
अग्रवाल ने कोयला मंत्री से अपील की है कि वे कोरबा प्रवास के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलने का समय सुनिश्चित करें, ताकि सीधे तौर पर भू-विस्थापितों की समस्याएं सुनी जा सकें। साथ ही उन्होंने यह आग्रह भी किया कि प्रबंधन और प्रशासन को निर्देशित कर भू-विस्थापितों की मूलभूत समस्याओं का प्राथमिकता से समाधान सुनिश्चित किया जाए।