बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने इंटरनेशनल प्राईड मंथ के दौरान जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने संयंत्र और समुदाय में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया। पूरे माह चले इस जागरूकता अभियान में 250 से अधिक कर्मचारियों, व्यावसायिक साझेदारों और समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। सभी लोग एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय के लिए समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हुए।
मासिक पहल में समुदाय को जागरूक करने वाली कार्यशाला शामिल थीं जिसमें समुदाय के नेतृत्वकर्ता, आमजन और सीएसआर हितधारक को लैंगिक के प्रति संवेदनशील और समावेशी समाज बनाने की दिशा में सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के लिए आमंत्रित किया गया। छत्तीसगढ़ में ऐसी एक अनोखी कार्यशाला का नेतृत्व छत्तीसगढ़ की ट्रांसजेंडर पुलिस कांस्टेबल एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री सबुरी शंकर और उद्यमी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री आरोही महानंदा ने किया। कार्यशाला में ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019’ पर विस्तृत चर्चा कर लोगों को जागरूक किया गया। इसकी मदद से ट्रांसजेंडर के कानूनी अधिकारों और सुरक्षा के बारे में समुदाय को शिक्षित करके एक आधारभूत समझ स्थापित की जो समावेशी समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि कंपनी ने समावेशी संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं। कंपनी ने धातु उत्पादन केवल पुरुष-प्रधान क्षेत्र है इस धारणा को चुनौती देते छत्तीसगढ़ राज्य में पहली मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी है जिसने अपने प्रचालन में ट्रांसजेंडर को शामिल किया। उन्होंने कहा, आज हम छत्तीसगढ़ समुदाय के भीतर एलजीबीटीक्यू प्लस संवेदीकरण कार्यशालाओं के आयोजन में भी अग्रणी बन गए हैं। कंपनी अपनी प्रचालन क्षमता को 1 मिलियन मैट्रिक टन उत्पादन की तरफ लेकर जा रहा है जहां पर सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। एलजीबीटीक्यू प्लस भर्ती अभियान चलाकर अपने समावेशी संस्कृति को और व्यापक बना रहे हैं।
समुदाय के साथ संवादात्मक कार्यशाला के बारे में बात करते हुए छत्तीसगढ़ की ट्रांसजेंडर पुलिस कांस्टेबल और सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री सबुरी शंकर ने कहा कि बालको में जागरूकता सत्र एक दिन का प्रयास नहीं बल्कि कंपनी ने दो साल पहले अपने कार्यबल में ट्रांसजेंडर को नियुक्त करने की यात्रा शुरू की थी। कंपनी की यात्रा अब समुदाय की जागरूकता तक पहुंच गई है। सत्र में समुदाय ने शालीनता से मेरी बात सुनी और मेरे साथ बातचीत की। मैं समुदायिक स्तर पर इस तरह के सत्र की शुरुआत करने, समावेशिता फैलाने और समाज के हर कोने में हमें सशक्त बनाने के लिए बालको की आभारी हूं।
कर्मचारियों और व्यावसायिक भागीदारों के साथ कंपनी ने प्राइड मार्च का आयोजन किया। एकजुटता दिखाने और प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्टता का जश्न मनाने के लिए हाथ से पेंटिंग और रिबन बांधने का कार्य किया गया। पोस्टर और स्लोगन बनाने की प्रतियोगिताओं में सभी की सक्रिय भागीदारी ने समावेशी एवं सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया।
वेदांता के दृष्टिकोण के अनुरूप बालको एक समावेशी कार्यस्थल विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जहाँ हर व्यक्ति सम्मानित, मूल्यवान और सशक्त महसूस करता है। इसके लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं। एलजीबीटीक्यू प्लस कर्मचारियों के लिए ‘जेंडर रीअफर्मेशन लीव्स एंड कॉम्पेंसेशन पॉलिसी’ की शुरुआत की गई है जिसमें 2 लाख रुपये का एकमुश्त अनुदान और लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी करवाने वाले व्यक्तियों के लिए 30 दिन की सवेतन छुट्टी शामिल है। समावेश और सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों के साथ लिंग संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन होता है।
समाज के हाशिये से आद्यौगिक कार्यों में ट्रांसजेंडर समुदाय के नियोजन के लिए तीन-आयामी दृष्टिकोण अपनाना गया है। सबसे पहले स्किल मैपिंग स्टडजी के माध्यम से प्रचालन के भीतर काम करने के लिए आवश्यक उपयुक्त कौशल प्रदर्शित करने वाले ट्रांसजेंडरों का मूल्यांकन और पहचान करना। काम पर गहरा प्रभाव डालने के लिए उनके कौशल का निर्माण, ऑपरेशनल स्किल, सॉफ्ट स्किल और व्यावसायिक ज्ञान के कौशल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित है। अंत में बालको लिंग-संवेदनशीलता सत्रों और ‘जेंडर-न्यूट्रल’ बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से एक समावेशी माहौल का निर्माण कर समावेश के लिए एक अनुकूल कार्यस्थल तैयार करता है।