प्रतीकात्मक तस्वीर
Korba: खूब चलाई जा रहीं हैं मॉडिफाई साइलेंसर वाली वाहनें। थी कभी बंदिश प्रेशर हॉर्न के उपयोग पर। निजाम बदला तो ताक पर रख दिए गए ऐसे नियम जिनका पालन अपने आप में अहम था।
तेज गति से वाहन चालन, रॉन्ग साइड भी वाहन का चलाया जाना। ध्यान नहीं देते जिम्मेदार। ऐसे में सावधान रहने की जिम्मेदारी हमारी ही है क्योंकि पलक झपकते कोई मॉडिफाई साइलेंसर लगी वाहन न केवल चौंका सकता है बल्कि मजबूर भी कर सकता है सड़क छोड़ने के लिए।
खुली छूट
मॉडिफाई साइलेंसर। प्रेशर हॉर्न। नियम विरुद्ध है विक्रय और उपयोग करना लेकिन दोनों जगहों
को खुली छूट दी गई है। इसलिए ऐसी दुपहिया वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। हद तो तब, जब यह हरकतें जिम्मेदारों के कार्यालय और साइलेंस क्षेत्र में भी सामान्य रूप से की जाती नजर आती है। सख्त कार्रवाई का प्रावधान है नियम तोड़ने पर लेकिन सवाल यह कि किसने दी छूट ?
चुप क्यों है जनाब
शहर और ग्रामीण पुलिस। और साथ ही है यातायात पुलिस। तीनों को मिलाकर कुल पुलिस बल पर्याप्त है, अवांछित गतिविधियों पर रोक के लिए लेकिन जो चुप्पी इन तीनों ने साधी हुई है, उससे सवाल उठ रहा है कि आखिर किसने कार्रवाई से हाथ बांध रखने को कहा है?
जिम्मेदार यह भी
वह पालक समान रूप से प्रथम जिम्मेदार शख्स कहे जा सकते हैं जिन्होंने अपने बच्चों को इसकी छूट दी हुई है। कम जिम्मेदार नहीं कहे जा सकते ऐसे जनप्रतिनिधि, जिन पर प्रशासन को चुस्त रखने के लिए न केवल नजर रखने बल्कि सुझाव और प्रोत्साहन देने की भी जिम्मेदारी है।