कोरबा। बीज से तेल। जड़ से दवाएं। पत्ती, फूल और फल से सब्जी। नाम है ड्रम स्टिक। शायद एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जिसकी पूछ- परख आयुर्वेदिक दवा निर्माण कंपनियों में भी हो रही है। दरअसल इसके पीछे वह अनुसंधान है, जिसमें पूरे पेड़ में रिकॉर्ड 300 प्रकार के औषधीय गुणों के होने की जानकारी सामने आई है।
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ड्रम स्टिक। अपने प्रदेश में इसे मुनगा के नाम से पहचाना जाता है। अनुसंधान में इसमें 300 ऐसे मेडिशनल प्रॉपर्टीज के होने का खुलासा हुआ है, जिसकी मदद से कुपोषण, अस्थमा और 35 प्रकार की स्वास्थ्यगत समस्याएं दूर की जा सकती हैं। यही वजह है कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने फल और सब्जियों की दर्जनों प्रजातियों के बीच इसे,न केवल अहम माना है, बल्कि सेवन की सलाह भी जारी की है।
ड्रमस्टिक याने मुनगा
वानस्पतिक नाम “मोरिंगा ओलिफेरा” है। जिसे पहचान मिली मुनगा के नाम से। शायद एकमात्र ऐसा वृक्ष होगा, जिसका हर भाग अपने भीतर कई प्रकार के औषधिय गुण समेटे हुए हैं। यानी जड़ से लेकर बीज तक का हर हिस्सा तरह-तरह की बीमारियां दूर करने में सक्षम पाया गया है। 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर यह आसानी से तैयार किया जा सकता है। बता दें कि 1 एकड़ क्षेत्रफल भूमि में 2 हजार पौधों का रोपण किया जा सकता है।
पत्तियां हैं अनमोल
मुनगा की पत्तियों में सबसे ज्यादा औषधिय गुण मिले हैं। इनमें विटामिन सी, प्रोटीन, पोटेशियम और मैग्नीशियम मुख्य है। इसके अलावा तना और छाल में कुपोषण दूर करने के गुण मिले हैं। लखनऊ की क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केंद्र की रिसर्च में मुनगा के वृक्ष की जड़ों को साइटिका, दमा और पथरी को नियंत्रित करने में सक्षम पाया गया है। फूलों में विटामिन ए, बी और विटामिन सी के भी होने की जानकारी प्रमाणित हुई है।
मेडिशनल प्रॉपर्टीज
ड्रम स्टिक याने मुनगा में रिकॉर्ड 300 प्रकार के मेडिशनल प्रॉपर्टीज की जानकारी आ रही है। अनुसंधान में 90 किस्म के मल्टीविटामिन, 45 किस्म के एंटीऑक्सीडेंट, 35 तरह के दर्द निवारक तत्व, 17 प्रकार के एमिनो एसिड मिले हैं। इनकी मदद से कुपोषण, अस्थमा व कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। यहां यह बता देना जरूरी होगा कि मरवाही, पेंड्रा और गौरेला के जंगलों में मिलने वाले मुनगा में यह तत्व सबसे ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। इस पर प्रदेश में पहला रिसर्च बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर ने किया है।
हर हिस्सा उपयोगी
मुनगा का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसे “चमत्कारी वृक्ष”, “जीवन का वृक्ष” कहा गया है। यह पृथ्वी ग्रह पर सबसे अधिक पोषक तत्वों से भरपूर पौधों में से एक है। इसके सेवन से लगभग हर व्याधियां दूर की जा सकतीं हैं। वैश्विक कुपोषण को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण नए “सुपरफूड” के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट ( फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर