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Korba: बेशकीमती जमीन पर काबिज होने का सपना चकनाचूर.. प्रशासन की टीम ने सीमांकन कर कहा ये सरकारी प्रॉपर्टी है हुजूर….

कोरबा। रविशंकर नगर अटल आवास के समीप के जमीन में चल रहे विवाद का गुरुवार को पटाक्षेप हो गया है। भू अधीक्षक की टीम ने सीमांकन कर साबित कर दिया जमीन सरकारी थी और अभी भी है।  है। सूत्रों की माने तो करोड़ों रुपयों की जमीन को हड़पने के लिए शहर के कुछ नामी प्रॉपर्टी डीलर्स के दावों की हवा निकल गई है। दूसरे पक्ष के द्वारा बाकायदा एक प्रेस वार्ता का आयोजन करके भोले भंडारी आदिवासियों को पीड़ित पक्ष दर्शाते हुए सामने रखकर पर्दे के पीछे से किया गया था।

उल्लेखनीय बिंदु यह भी है कि एक बार पूर्व में भी इस जमीन का सीमांकन जिला प्रशासन के द्वारा कराया जा चुका है और उस सीमांकन के दौरान भी इस जमीन को सरकारी जमीन जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए उल्लेख किया गया था।लेकिन इसके बाद भी भूमाफियाओं का कलेजा किसके बल पर इतना बड़ा हो गया कि प्रशासन की आंखों से सूरमा निकालने की हिम्मत कर बैठे..?

27 मार्च को अपर कलेक्टर ने एक निर्देश जारी करते हुए 08 सदस्यीय जांच दल का गठन कर तत्काल सीमांकन प्रतिवेदन, फील्ड बुक, नक्शा-खसरा सौंपने आदेश दिया था।

उक्त आदेश के परिपेक्ष्य में 28 मार्च को उक्त 236/1, 236/2 और 236/3 का सीमांकन किया जा चुका है।

बता दें कि शहर के हृदय स्थल में हाइप्रोफाइल जमीन दलालों के फेर में शहर के शांत वातावरण में जहर घोल रही है। सूत्र बताते है कि रविशंकर नगर के अटल आवास से लगी।मुख्य मार्ग की जमीन पर प्रॉपर्टी डीलरों की गिद्धदृष्टि गड़ी हुई है। जमीन हड़पने के लिए एक निर्धारित पटकथा रचकर जिसमें जमीन मालिक एक भोले भाले आदिवासी को बताते हुए उसे मोहरा बनाकर पहले जमीन के खसरा नम्बर को सेट किया गया और फिर हुआ जमीन कब्जाने का खेल। बेशकीमती जमीन हथियाने के लिए एक आदिवासी को खड़ा कर सड़क किनारे की जमीन का कब्जा दिलाने सिविल शूट दायर किया गया। केस चलता रहा और इसी बीच जमीन पर एक पक्ष के द्वारा बाउंड्रीवाल करा लिया गया जबकि वास्तविक रूप से राजस्व अभिलेखों में जमीन सरकारी है।

 

जिलेवासियों की टिकी है निगाहें

सड़क किनारे की बेशकीमती लगभग 30 करोड़ रुपये की जमीन पर कब्जा हो रहे जमीन की बेदखली के लिए राजस्व और नगर निगम की तोड़ू दस्ता की टीम पूर्व में कार्रवाई कर चुकी है। इसके बाद भी मौका पाकर पुनः बाउण्ड्रीवाल कर लिया गया है। जिसे प्रशासन एवं निगम के द्वारा गठित जांच दल के रिपोर्ट के बाद क्या अवैध कब्जे के लिए निर्मित बाउंड्रीवाल को पुनः मिट्टी में मिला दिया जाएगा, इसे जिलेवासियों को भी प्रतीक्षा है कि झोपड़ी निर्माण पर तत्काल प्रभाव से एक्शन में आने वाला तोड़ू दस्ता क्या कर पाता है…!

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