
एशिया की खान से खाकी का गिरा मान…
वर्षों पुराना गाना ” लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे! चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे…” को जनमानस इन दिनों शहर में अपने अंदाज में गाते फिर रहे हैं ” लागा खाकी के दामन में दाग छुपाऊ कैसे …!
दरअसल एशिया की सबसे बड़े खान में हो रहे कोयले की चोरी से पुलिस का मान गिर रहा है। पुलिस के वरदहस्त में चल रहे कोयला चोरी के खेल से खदान में हुई हत्या की बात ऊर्जाधानी से लेकर प्रदेश की राजधानी में हिलोरे मारने लगी है। पुलिस के गिर रहे मान को बढ़ाने एसपी लेबल के अफसर घटना को सुलझाने लिए हर पल समीक्षा कर आरोपियों को तो पकड़ लिए लेकिन सवाल अभी सुलग रहे है। क्योंकि देख रहा है विनोद …ने खाकी के दामन को दागदार करते हर महीने नजराना वसूलते रहे जिसके परिणामस्वरूप गैंगवार की पटकथा लिखी गई।
खदान में हुई हत्या के बाद भाजपा अध्यक्ष का रात में मौके पर जाना और पुलिस को खरी- खोटी सुनाना, उड़ती खबर के संदेह को सच साबित कर रहा है। कहा तो यह भी जा रहा कि नेताजी सीधे उच्च अफसर को कॉल कनेक्ट कर 5 पेटी हर महीने वसूली की बात कहते हुए भाजपा नेताओं के आपसी झगड़े को पुलिस के पाले फेंक दिया। जिसकी खुसुर – फुसुर राजनीतिक गलियारों में सनसनी मचा रही है।हालांकि नेताजी और अफसर की हॉट टाक गूगल इंजन में इस कदर सर्च कर रही है कि पुलिस मैनेज सिस्टम कुछ खास छाप नहीं छोड़ पा रहा। शहर के गणमान्य नागरिक तो यह भी चर्चा कह रहे हैं कि बिगड़ती कानून व्यवस्था औऱ लूप लाइन में पदस्थ थानेदारों की व्यथा ही बता रही है कि पुलिस प्रशासन में कुछ भी ठीक नही चल रहा।
जिले में घट रहे एक के बाद एक घटनाओं से बड़े अफसरों के माथे पर पड़ रहे बल को समझते हुए विभाग के लोग आपस मे खुसुर- फुसुर करते हुए.. “पर्दे में रहने दो पर्दा ना हटाओ… पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा.. ” की धुन पर मुस्कान छेड़ रहे है।
निगम की तिकड़ी, स्वपिंग मशीन खरीदी से हालात बिगड़ी
निगम के तीन अफसरो की तिकड़ी की स्विपिंग मशीन खरीदी से हालात बिगड़ गई है। वर्षों पहले राजेश खन्ना की एक फ़िल्म आई थी। जिसमे गीत था ” कोई दुश्मन ठेस लगाए तो मीत जिया बहलाए,मनमीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए ” अमर प्रेम के गाने की धुन पर नगर को साफ सुथरा की राह बताने वाले अफसरो की तिकड़ी ही स्विपिंग मशीन की रकम डकार जाए तो क्या ही कहेंगे..!
दरअसल पूर्व आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई के कार्यकाल में 14 वें वित्त से सवा करोड़ की स्विपिंग मशीन जेम पोर्टल से खरीदी गई। सेटिंग से खरीदी करने वाले आकाश, राहुल और उरांव ने सवा करोड़ का भुगतान तो किया लेकिन स्विपिंग मशीन स्विंग हो गई अर्थात मशीन पर्दानशीन हो गई और रकम आपस मे बांट कर कागजी खरीदी कर ली। पेंच वहां फंस गया जब निगम के आय व्यय की ऑडिट हुई तो सवा करोड़ खर्च के बाद भी स्विपिंग मशीन हवा हवाई मिली। कागजी खरीदी को लेकर बोली लगी और गड़बड़ी पर हर बार की तरह इस बार भी पर्दा डाल दिया गया। कहते है कागज मरता नही सो कागज में हुई खरीदी पर अब निगम अफसर ही चटखारा लेते हुए खुसुर- फुसुर करने लगे हैं कि काश! जो स्विपिंग मशीन खरीदी गई थी उसे सड़क की सफाई होती तो स्वच्छता के काम आता, पर क्या करें निगम के जूनियर इंजीनियरो की नजर सिर्फ गोलमाल पर निहित है। निगम में चल रहे इंजीनियरो की कारीगरी को देखते हुए जनमानस “कहां जाएगा प्यारे ,अपने अपराध को लेकर तुझे डुबाने के लिए तेरे काले कारनामे ही काफी है..” कहते सहते सही समय की बांट जोह रहे हैं।
DMF की मीटिंग, सप्लायरों के मन मे लड्डू क्यों फूटा..?
डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड की मीटिंग होते ही डिपार्टमेंट में सप्लाई करने वाले अफसर और नेता के बीच सेतु का काम करने वाले सप्लायरों के मन में लड्डू फूटने लगा है। सप्लायर और प्रोजेक्ट बनाने वालों के मन में लड्डू फूटना भी स्वाभाविक है। सो तराना का याराना निभाने तत्कालीन सरकार के समर्थक नई स्कीम बनाकर फाइल लेकर कलेक्टोरेट के चक्कर लगा रहे हैं।
वैसे तो डीएमएफ केजीएफ यानी कोलार गोल्ड माइंस से कम नहीं है। सोने की इस खान को गलत तरीके से खोदने वाले अधिकारियों का देर सबेर निपटना तय माना जाता है। भाजपा कार्यकाल में शुरू हुए डीएमएफ स्रोत के पहले सूत्रधार सेंट्रल एजेंसी के रडार से उबर नहीं पाए। इसके बाद महिला आईएएस जिन्होंने “सोन चिरई” के माध्यम से अंडे को सोना बनाया था उन पर भी जांच की आंच देर सबेर पहुंचना तय है।
एक कलेक्टर ने तो पूर्व के अधिकारियों के कार्यों का आंकलन करते हुए सोने की खान से सोना निकालने अलग राह ही निकाली और खरीदी के लिए शिक्षा विभाग के सिंह को किंग बना डाला था।भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए कई योजनाओं को लांच किया है जिसे सप्लायार अपने आकाओं के माध्यम से मूर्तरूप देना चाहते है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सरकार के 14 महीने में डीएमएफ के कार्य ट्रेलर के तौर पर स्वीकृत हुए हैं पूरी पिक्चर अभी बाकी है। तभी तो डीएमएफ से डमरू बजाने वाले ऊपर वाले की शरण में जाकर सप्लाई का काम दिलाने अर्जी लगा रहे हैं।
आईपीएस की तबादला सूची रेडी
नक्सली मोर्चा में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को रोज नई कामयाबी मिल रही है। माओवादी कैडर के बड़े नेता मारे जा रहे हैं..। छत्तीसगढ़ पुलिस को उनकी कामयाबी और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति निशान (पुलिस कलर्स अवार्ड-2024) का सम्मान मिला है। लेकिन,नक्सली मोर्चा से उलट मैदानी जिलों में पुलिसिंग पिछड़ती जा रही है। कोरबा, रायगढ़, दुर्ग, कवर्धा, बलौदाबाजार जैसे जिले बार बार अशांत होते रहे हैं और इसी सप्ताह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रायपुर दौरे पर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि अमित शाह, नक्सली मोर्चा के अलावा पूरे प्रदेश की पुलिसिंग की समीक्षा कर सकते हैं।
मंत्रालय स्तर में उन जिलों के पुलिस कप्तान की सूची तैयारी की जा रही है जहां कि पुलिसिंग पिछड़ती नजर आ रही है। खबरीलाल की माने तो अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरा के तत्काल बाद 6 अप्रैल को कुछ आईपीएस की तबादला सूची जारी हो सकती है। जिसमें उन जिलों के एसपी को बदला जा सकता है जो सरकार के वर्किंग स्टाइल में फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। इन जिलों में कुछ नए और कुछ प्रमोटी अफसरों को कप्तानी करने का मौका मिल सकता है।
सीबीआई मलाई और बिलाई
रोज की तरह चाय की गुमठी में मजमा लगा हुआ था। रेडियो पर समाचार चल रहा था एक जानी पहचानी आवाज गूंज रही थी…. न खाऊंगा न खाने दूंगा। थोड़ी देर बाद रेडियो पर फिर आवाज आई समाचार समाप्त हुए। रेडियो पर अब समाचार बंद हो गया था, स्पीकर पर केवल सांय सांय की आवाज आ रही थी…मगर गुमठी में सन्नाटा छाया हुआ था।
काफी देर तक जब सब चुप रहे तो खबरीलाल ने पूछा..भाई इतनी खामोशी क्यों है..कोई जवाब आता इससे पहले मंगूराम बोल पड़े..बड़ा कठिन सवाल है..लाल बुझक्कड़ ने पूछा है सीबीआई मलाई और बिलाई में दो समानता और एक असमानता बताओ..। किसी को जवाब नहीं सूझ रहा है सभी को शर्माजी के आने का इंतजार था।
थोड़ी देर में सब्जी का झोला उठाए शर्माजी बाजार से लौटे..गुमठी में कानफूंसी हो रही थी..देखें आगे क्या होता है। शर्माजी चाय की जोरदार चुस्की लेकर जैसे ही फारिग हुए मंगूराम ने तुंरत अपना सवाल आगे बढ़ा दिया बिल्कुल उसी अंदाज में जैसे सदन में प्रश्नकाल चलता है। अब शर्माजी बोले इतनी सी बात है..क्यों डर रहे हो..सीबीआई मलाई और बिलाई से गरीब आदमी का कोई लेना देना है।
फिर जब सवाल उठा ही दिया तो जवाब भी सुन लो…सीबीआई और बिलाई…दोनों वहां पहुंचती है जहां मलाई हो..ये रही पहली समानता और दूसरी दोनों दबे पांव पहुंची हैं किसी को खबर तक नहीं होती है। भीड़ से आवाज आई अब एक असमानता भी बताओ तो जानें..शर्माजी मुस्कुराने लगे..अभी पिछले सप्ताह में जहां जहां महादेव वाली मलाई छिपाई गई थी वहां सीबीआई आई थी..मगर इस बार सीबीआई..बिलाई से मात खा गई..उनके आने की खबर लग गई मलाई को कटोरा हाथ से जाता रहा है।
अब भीड़ सिर हिलाने लगी..हर कोई यही कर रहा था कि लाल बुझक्कड़ बिना लॉजिक ऐसे ही पहेली नहीं पूछते.. शर्माजी भी बता रहे थे सीबीआई मलाई और बिलाई से गरीब आदमी का कोई लेना देना नहीं है। गरीब आदमी की किस्मत में मलाई नहीं होती चलो काम पर लग जाएं..। बात चल ही रही थी कि रेडियो की फ्रीक्वेंसी फिर सेट हो गई…ये आकाशवाणी है लिजिए समाचार सुनिए फिर वही आवाज न खाऊंगा न खाने दूंगा मगर इस बार भीड़ वहां से खिसक चुकी थी।